महात्मा गांधी के बेटों ने क्यों की थी गोडसे और आप्टे की फांसी माफ करने की मांग
महात्मा गांधी के बेटों ने क्यों की थी गोडसे और आप्टे की फांसी माफ करने की मांग
नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे पहली को 08 नवंबर 1949 को फांसी की सजा होने वाली थी. अंतिम क्षणों में इसे एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया क्योंकि गांधी के दो बेटों ने दोनों को माफ करने की अपील नेहरू और पटेल से की थी
हाइलाइट्स महात्मा गांधी के दो बेटों ने नेहरू और पटेल से की थी गोडसे और आप्टे को माफी की मांग लाल किले में विशेष अदालत में गांधी हत्या मामले की सुनवाई करीब आठ महीने तक चली जेल में जाकर गोडसे और आप्टे से मिले भी थे रामदास और देवदास गांधी
8 नवंबर 1949 को महात्मा गांधी के हत्यारों नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को अंबाला सेंट्रल जेल में फांसी की सजा तय की जा चुकी थी. तभी गांधीजी के दो बेटों ने देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी से दोनों की फांसी की सजा माफ करने का अनुरोध करते हुए एक पत्र भेजा. जैसे ही उनका पत्र पहुंचा, फांसी की सजा पर कार्रवाई रोक दी गई. नेहरू, पटेल और राजगोपालाचारी ने इस पर विचार किया. उन्होंने इस अनुरोध को ठुकरा दिया. लिहाजा फांसी की सजा एक हफ्ते और आगे सरककर हरकत में आई.
इसका रहस्योदघाटन बंगाल के राज्यपाल रहे गोपाल कृष्ण गांधी ने वर्ष 2017 में किया था. ब्रितानी लेखक राबर्ट पेन की बेहद चर्चित पुस्तक “द लाइफ एंड डेथ ऑफ महात्मा गांधी” में भी इसका जिक्र आया है.
लाल किले में लगी विशेष अदालत में गांधी हत्या के आरोप में करीब आठ महीने तक सुनवाई चली. इसके बाद जज आत्मचरण ने 10 फरवरी 1949 को अपना फैसला सुनाया. इस दौरान अदालत के सामने 149 प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही हुई. इस मामले में कोई भी गवाह आरोपियों के पक्ष में सामने नहीं आया.
कोर्ट ने क्या सजा सुनाई थी
कोर्ट ने सावरकर को बरी कर दिया, क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे. आठ लोगों को हत्या की साजिश रचने का दोषी पाया गया. इसमें नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा हुई जबकि शेष छह को आजीवन कारावास.
नाथूराम गोडसे को छोड़कर अन्य सभी ने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. 02 मई 1949 को हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बहाल रखा. ये है नारायण आप्टे, जिसे गांधीजी की हत्या की साजिश रचने के लिए अदालत ने दोषी पाया था. उसे भी गोडसे के साथ फांसी दी गई थी
गांधीजी के बेटों ने नेहरू और पटेल से की अपील
अब ये तय हो गया था कि गोडसे और आप्टे को फांसी की सजा होगी. इसका दिन तय हुआ 08 नवंबर 1949. इसी बीच गांधीजी के दो बेटों मणिलाल और रामदास ने भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ गर्वनर जनरल सी. राजगोपालाचारी के पास अपील भेजी.
क्या कहा था गांधीजी के बेटों ने
गांधीजी के दोनों बेटों का कहना था कि गोडसे और आप्टे को फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए. गांधीजी खुद मृत्युदंड के खिलाफ थे. दोनों को माफ कर दिया जाए. हालांकि गांधीजी के तीसरे बेटे देवदास गांधी ने खुद को इससे दूर रखा जबकि सबसे बड़े हरिलाल का तब तक निधन हो चुका था. हालांकि गांधीजी की हत्या की खबर सुनते ही हरिलाल ने हत्यारों से बदला लेने की कसम खाई थी. रामदास गांधी ने गांधीजी को मुखाग्नि दी थी. वो गोड्से से जेल में मिले थे और फिर उनका उससे पत्र व्यवहार भी हुआ
एक हफ्ते के लिए रोक दी गई फांसी की सजा
रामदास और देवदास जेल में जाकर गोडसे से मिल चुके थे. रामदास और गोडसे के बीच पत्र व्यवहार भी हुआ था. जब मणिलाल और रामदास की माफी की अपील पहुंची तो 08 नवंबर को मुकर्रर फांसी की सजा रोक दी गई. गोडसे और आप्टे उस समय अंबाला जेल में थे. नेहरू, पटेल और गोपालाचारी ने मंत्रणा की. वो इस मामले में एकराय थे कि इस सजा में माफ करने का सवाल ही नहीं उठता है. लिहाजा गांधीजी के दोनों बेटों की माफी की अपील ठुकरा दी गई.
इसके बाद 15 नवंबर 1949 में अंबाला जेल में ही दोनों को फांसी की सजा दी गई. फांसी के दौरान आप्टे की तुरंत मौत हो गई जबकि गोड्से का निधन होने में करीब 15 मिनट लगे. मणिलाल गांधीजी के दूसरे नंबर के बेटे थे. वो दक्षिण अफ्रीका में रहे. वहीं उन्होंने गाधीजी के टालस्टाय आश्रम की देखरेख की और एक अखबार भी निकालते रहे
गोपालकृष्ण गांधी ने क्या कहा था
बाद में गोपाल गांधी ने वर्ष 2017 में विपक्ष द्वारा उन्हें उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मैं तो उस सिद्धांत को मानने वाला शख्स हूं, जहां गांधीवादी विचारधारा सबसे ऊपर है. ये विचारधारा मानवता और सहिष्णुता की बात करती है. उनका कहना था कि महात्मा गांधी खुद फांसी की सजा का विरोध करते थे. ये मध्यकाल की क्रूरता के प्रतीक हैं.
Tags: Capital punishment, Death penalty, Mahatma gandhi, Nathuram GodseFIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 13:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed