SC के जज ने क्यों पढ़ी वो कविता जिसको लिखने वाले ने छुड़ाए अंग्रेजों के छक्के

Kavi Pradeep: सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने आज राज्यों की बुलडोजर कार्रवाई पर अपना फैसला दिया. उस बेंच में शामिल जस्टिस बीआर गवई ने अपनी बात कहने के लिए कवि प्रदीप की एक कविता की पंक्तियों की मदद ली. कवि प्रदीप के नाम से ही उनके कई गीत जेहन में बरबस बजने लगते हैं. कवि प्रदीप का परिचय देशभक्ति का संचार करने वाले गीतकार का है.

SC के जज ने क्यों पढ़ी वो कविता जिसको लिखने वाले ने छुड़ाए अंग्रेजों के छक्के
Kavi Pradeep: देश के कई राज्यों में अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए ‘बुलडोजर’ की कार्रवाई की गई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की कार्रवाई को असंवैधानिक बताया था. इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और इसे कानून के खिलाफ बताया. जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुलडोजर एक्शन पर फैसले की कॉपी पढ़ते हुए छह गाइड लाइन जारी की हैं. जस्टिस बीआर गवई ने अपनी बात कहने के लिए मशहूर कवि प्रदीप की एक कविता की कुछ पंक्तियों का भी सहारा लिया. कविता की लाइनें कुछ तरह हैं, “अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है. इंसान के दिल की ये चाहत है, कि एक घर का सपना कभी न टूटे.” उन्होंने फैसला सुनाते समय कहा, “घर होना एक ऐसी लालसा है जो कभी खत्म नहीं होती. हर परिवार का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो. एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका को दंड के रूप में आश्रय छीनने की अनुमति दी जानी चाहिए? हमें विधि के शासन के सिद्धांत पर विचार करने की आवश्यकता है जो भारतीय संविधान का आधार है.”  ये भी पढ़ें- Explainer: क्या बीवी की जगह बेटी बन सकती है पिता की पेंशन की हकदार, क्या है प्रावधान देशभक्ति के गीत हैं कवि प्रदीप की पहचान कवि प्रदीप के नाम से ही उनके कई गीत जेहन में बरबस बजने लगते हैं. कवि प्रदीप का एक परिचय देशभक्ति का संचार करने वाले गीत हैं तो दूसरा परिचय वे भजन हैं जिन्‍होंने हमें समय के पहले सचेत किया. उन्होंने, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’, ‘दूर हटो ऐ दुनिया वालो, हिंदुस्‍तान हमारा है’, ‘चल चल रे नौजवान’, ‘हम लाए हैं तूफान से कश्‍ती निकाल कर’ ये उनके बेहद लोकप्रिय गीतों में से हैं. कवि प्रदीप के लिखे गीत- ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’,’आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं’, ‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा’, देश प्रेम की भावना पैदा करते हैं. इनके गीतों का सार देशभक्ति है. उन्होंने समाज में एकता पर सबसे अधिक जोर दिया. ये भी पढ़ें- वो देश जहां भारतीयों को होता है अमीरी का अहसास, 1 रुपये के बन जाते हैं 500 उनके लेखन में थी विद्रोह की आग कवि प्रदीप का जन्म 6 फरवरी 1915 को मध्य प्रदेश के उज्जैन के बड़नगर में हुआ था. उनका असली नाम रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी था. लिखने-पढ़ने का शौक उन्हें घर में ही मिला. उस समय जब देश में स्वतंत्रता आंदोलन की लपटें तेज हो रही थीं, उनके भीतर भी एक आंदोलनकारी उमड़ घुमड़ रहा था. उन्होंने उस दौर में अंग्रेजों के अत्याचारों को देखा था और महसूस किया था. इसलिए उनके लेखन में एक विद्रोह की भावना दिखती है कवि प्रदीप ने पहली बार 1940 में रिलीज हुई फिल्म बंधन के लिए गीत लिखे थे. उनके गीत भाईचारा और देश प्रेम बढ़ाने का काम करते थे. कैसे बने प्रदीप से कवि प्रदीप कवि प्रदीप जब फिल्म इंडस्ट्री में आए तो उस समय प्रदीप नाम के एक मशहूर अभिनेता हुआ करते थे. इस तरह दो प्रदीप हो गए. एक अभिनेता और दूसरे कवि. दोनों के नाम एक से होने की वजह से उनकी डाक बदल जाया करती थी. डाकिया अक्सर डाक देने में गलती कर दिया करता था. इस समस्या को दूर करने के लिए कवि प्रदीप ने अपने नाम के आगे कवि लगा लिया. इस तरह उनका नाम ही कवि प्रदीप हो गया. डाकिए की भी समस्या दूर हो गई. इससे पहले बॉम्बे टाकीज के मालिक हिमांशु राय ने उन्हें सलाह दी थी कि वो नाम रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी से बदल कर प्रदीप कर लें.    ये भी पढ़ें- भारत में काबू में आई जनसंख्‍या वृद्धि, 2 फीसदी से भी कम हुई प्रजनन दर, क्‍या हैं फायदे और नुकसान   वो वाकया जिससे अंग्रेज हुए दुश्मन कवि प्रदीप के लिखे गीत ‘दूर हटो ऐ दुनिया वालो ये हिंदुस्तान हमारा है.’ यह ऐसा गीत था जो 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का नारा बन गया था. उनका गीत सुनकर जनता एकजुट हो गई. ब्रिटिश हुकूमत को यह नागवार गुजरा. डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स की दफा 26 के तहत कवि प्रदीप के खिलाफ जांच बैठा दी गई. अभियोजन अधिकारी धर्मेंद्र गौड़ ने मामले की जांच के बाद लिखा, ‘इस गाने में प्रदीप ने जर्मनी और जापान को अपना निशाना बनाया है अंग्रेजों को नहीं. प्रदीप धोती कुर्ता पहनते जरूर है पर कांग्रेसी नहीं हैं और क्रांतिकारी भी नहीं हैं.’  ये भी पढ़ें– Explainer: ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए उम्मीद, कैसे एक स्टेंट 24 घंटे में रक्त के थक्के को कर सकता है साफ मामला हो गया रफा-दफा इस तरह मामला रफा दफा हो गया. वास्तव में कवि प्रदीप ने गीत लिखते समय चालाकी से काम लिया था. उन्होंने गीत में एक लाइन डाल दी थी, ‘तुम न किसी के आगे झुकना, जर्मन हो या जापानी.’ यही लाइन अभियोजन अधिकारी की रिपोर्ट का आधार बनी और चाह कर भी अंग्रेज सरकार कवि प्रदीप पर कार्रवाई नहीं कर सकी. कवि प्रदीप अपने मकसद में कामयाब रहे, जबकि ब्रिटिश हुकूमत मन मसोस कर रह गई. Tags: Chief Justice, Supreme Court, Supreme court of india, UP bulldozer actionFIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 15:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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