अमेरिका जैसा देश क्यों नहीं करता EVM पर भरोसाबैलेट बॉक्स का ही करता है प्रयोग

तकनीक की बात अगर करें तो अमेरिका इस मामले में दुनिया में सबसे आगे है लेकिन ये देश ईवीएम यानि इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर कभी भरोसा नहीं करता. वहां बैलेट बॉक्स का ही इस्तेमाल क्यों होता है.

अमेरिका जैसा देश क्यों नहीं करता EVM पर भरोसाबैलेट बॉक्स का ही करता है प्रयोग
हाइलाइट्स अमेरिका में ईवीएम का इस्तेमाल ना तो किया गया ना ही कोई योजना पेपर बैलेट यहां पर 18वीं सदी से चला आ रहा है दुनिया में ज्यादातर देशों में अब भी बैलेट बॉक्स का ही चुनाव में प्रयोग इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें यानि ईवीएम फिर चर्चाओं में आ गई हैं. दो बयानों ने इसे हवा दी है. एलन  मस्क को दुनिया के कई ऐसी कंपनियों का मालिक माना जाता है, जो नई तकनीक पर चलती हैं. वह इंटरनेट के विस्तार और डिजिटल से जुड़े नए कामों के पुरोधा माने जाते हैं. उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे हैक किया जा सकता है. वैसे दुनिया में समय समय पर कई तकनीकविद ये दावा कर चुके हैं. इसके बाद भारत में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी कहा कि ईवीएम से चुनावों में गड़बड़ तो हो रही है. विपक्ष तो लंबे समय से इन पर सवाल उठाता रहा है. दिलचस्प बात ये है कि सुपर पावर होने के बाद भी अमेरिका वोटिंग के मामले में काफी परंपरागत है. वो EVM (Electronic Voting Machine) पर भरोसा नहीं करता. दुनियाभर में 100 के आसपास ऐसे देश हैं. जहां चुनावों में अब भी बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल होता है. पिछले दो दशकों से कई देशों में चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल शुरू हुआ. अब ये बढ़ता जा रहा है. 30 से ज्यादा देशों में सरकार चुनने के लिए ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल होने लगा है. भारत में 90 के दशक तक चुनावों में बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल होता था लेकिन उससे जुड़ी कई शिकायतों के बाद हम ईवीएम की ओर चले गए. हालांकि अमेरिका जैसे विकसित देशों में इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग लोकप्रिय नहीं है. वो वोटिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक जरिया चुनने की बजाए बैलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं. अमेरिकी नागरिक को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर उतना भरोसा नहीं- सांकेतिक फोटो (Pixabay) अमेरिकियों को ईवीएम पर संदेह  वहां का चुनाव आयोग इसकी एक वजह ये बताता है कि अमेरिकी नागरिक को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर उतना भरोसा नहीं अगर बात वोटिंग जैसी महत्वपूर्ण हो. हर बात पर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर भरोसा करने वाले अमेरिकी नागरिक मानते हैं कि ईवीएम हैक किया जा सकता है और पेपर बैलेट ज्यादा भरोसेमंद है, जिसमें उनका वोट वहीं जाता है, जहां वे चाहें. परंपरा से जुड़ाव का जरिए भी मानते हैं  इसके अलावा पेपर बैलेट यहां पर 18वीं सदी से चला आ रहा है इसलिए इसे चुनाव में एक रिचुअल की तरह भी देखा जाता है. अमेरिका में ई-वोटिंग का एकमात्र तरीका है ईमेल या फैक्स से वोट करना. इसमें भी वोटर को बैलेट फॉर्म भेजा जाता है, जिसे वो भरते हैं और ई-मेल या फैक्स कर सकते हैं. इसके अलावा वहां कोरोना दौर से पोस्टल वोटिंग भी शुरू हुई है. एक और तरीका है एब्सेंटी वोटिंग. इसके तहत वोटर बैलट के लिए रिक्वेस्ट करता है और साथ में बताना होता है कि चुनाव में वो क्यों पोलिंग बूथ पर नहीं आ सकता. वोटिंग का आधुनिक तरीका ईवीएम कभी भी विवादों से मुक्त नहीं रहा- सांकेतिक फोटो ईवीएम पर सारे आधुनिक देशों ने जताया संदेह  वैसे वोटिंग का आधुनिक तरीका ईवीएम कभी भी विवादों से मुक्त नहीं रहा. छेड़छाड़ या हैकिंग के डर से दुनिया के कई देशों में ईवीएम पर बैन लगा दिया गया. इसकी शुरुआत नीदरलैंड ने की. इसके बाद जर्मनी ने इसे वोटिंग की गलत और अपारदर्शी प्रणाली बताते हुए इसे बंद कर दिया. इटली ने भी ईवीएम के शुरुआती इस्तेमाल के बाद हैकिंग के डर से इसे बंद कर दिया. इंग्लैंड, फ्रांस में बैलेट पेपर ही इस्तेमाल हुए. वहीं अमेरिका में ईवीएम कभी रहा ही नहीं. भारत में ऐसे आई मशीन  भारत में भी सालों तक बैलेट पेपर से वोटिंग होती रही. इसमें वोटों की गिनती में लंबा वक्त लगता था. इसे देखते हुए साल 1989 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की मदद से सरकार ने ईवीएम निर्माण की शुरुआत की. इसके जरिए पहली बार वोटिंग नवंबर 1998 में हुई. 16 विधानसभा चुनावों में वोटिंग के लिए ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद से ये हर जगह चलने लगा और साल 2004 के आम चुनावों में पहली बार पूरे देश के मतदाताओं ने ईवीएम के जरिए अपने वोट डाले थे, तब से मतदान के लिए यही जरिया पूरे देश में लागू है. पार्टियां हारने पर ही करती हैं शक हालांकि समय-समय पर सारी ही राजनैतिक पार्टियां इस मशीन को गलत बताती रही हैं. मजे की बात ये है कि हमेशा हारने वाली पार्टी इस पर संदेह करती है. इस पर बाकायदा एक किताब भी लिखी जा चुकी है- ‘डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट अवर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन.’  ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की बातों के बीच और राजनैतिक दलों की मांग के की वजह से भारत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इलेक्शन कमीशन ने मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ ईवीएम लागू किया. इसमें वोटर खुद ये तय कर पाता है कि उसका वोट उसी को गया है, जिसे उसने डाला है. दावा किया गया कि इससे ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका काफी हद तक दूर हो जाती है. Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Election commission, Election Commission of India, United States (US)FIRST PUBLISHED : June 16, 2024, 20:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed