Explainer : मानसून की ट्रेन राइट टाइम कैसे दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता है ये
Explainer : मानसून की ट्रेन राइट टाइम कैसे दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता है ये
World Metrological Day: खुशी की बात ये है कि इस बार मानसून सही समय पर है. बल्कि ये केरल एक दिन पहले ही पहुंच रहा है यानि 31 मई को. उसके बाद ये कैसे उत्तर की ओर रुख करता है और देशभर में पानी बरसाता है.
हाइलाइट्स भारतीय मौसम विभाग के अनुसार मानसून एकदम सही समय पर, केरल को छुएगा एक दिन पहले फिर कितने दिन में और किस रास्ते से होते हुए ये उत्तर तक पहुंचता है और बरसाता है पानी जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में झमाझम बारिश होने लगती है, 15 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है
17 मई को विश्व मौसम विज्ञान दिवस है. इस दिन से ठीक एक दिन पहले भारत को मौसम विज्ञान के जरिए एक शुभ सूचना मिली. मानसून सही समय पर है. जिस समय आप ये खबर पढ़ रहे होंगे उस समय हिंद महासागर में मानसून के बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी होगी. 19 मई को साउथ अंडमान सागर, साउथ ईस्ट बंगाल के इलाकों में ये दस्तक देकर भारत की दक्षिण छोर को छूने् के लिए बढ़ेगा. 31 मई को केरल में मानसून दस्तक दे देगा. अगर भारतीय मौसम विभाग की मानें तो अबकी बार मानसून की ट्रेन इतनी राइट टाइम है कि एक दिन पहले ही आ जाएगी.
अमूमन हर साल मानसून 1 जून को केरल में झमाझम बारिश करता है. इसके बाद फिर ये केरल में और बारिश करते हुए आगे बढ़ना शुरू करता है. उसमें फिर ये कुछ उत्तर की ओर चलता और कुछ पश्चिमी छोरों को भी भिगाता चलता है. इस बार ऐसा लगता है कि 20 जून के आसपास उत्तर भारत की तपिश को बारिश की बूंदे शीतल करने लगेंगी. फिर जेठ की गर्मी काले काले बादल राहत घोलते रहेंगे,
माना जाता है कि मानसून 15 जुलाई तक पूरे देश को अपनी गिरफ्त में लेकर खेतों, नदियों, नहरों, जलाशयों और हमारे आपके शहरों, गांवों, कस्बों में बारिश कर रहा होता है. वैसे आपको बता दें पूरी दुनिया में मानसून की जितनी कृपा भारत पर होती है, उतनी किसी और देश पर नहीं, उसकी वजह शायद हमारी भौगोलिक स्थिति भी है.
मानसून शब्द कहां से आया
अंग्रेजी शब्द मानसून पुर्तगाली शब्द मान्सैओ (Moncao) से बना है. मूलरूप से ये शब्द अरबी शब्द मावसिम (मौसम) से आया है. यह शब्द हिंदी, उर्दू और उत्तर भारतीय भाषाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी एक कड़ी शुरुआती आधुनिक डच शब्द मॉनसन से भी मिलती है. भारत में मानसून जून से शुरू होकर सितंबर तक चार महीने सक्रिय रहता है. मानसून हिंद महासागर में बनने के बाद पहले केरल में दस्तक देता है और फिर हवाओं के जरिए दो हिस्सों में बंटकर देश में फैलने लगता है. (news18)
मौसम विभाग (Meteorological Department) कई पैमानों का इस्तेमाल कर इन चार महीनों के दौरान होने वाली मानसून की बारिश की मात्रा को लेकर भविष्यवाणी करता है. बता दें कि भारत में 127 कृषि जलवायु सब-जोन हैं. वहीं, कुल 36 जोन हैं. समुद्र, हिमालय और रेगिस्तान मानसून को प्रभावित करते हैं. इसलिए मौसम विभाग 100 फीसदी सही अनुमान लगाने में चूक जाता है.
समझिए मानसून बनने की प्रक्रिया
गर्मी के मौसम में जब हिंद महासागर में सूर्य विषुवत रेखा (Equator) के ठीक ऊपर होता है तो मानसून बनता है. इस प्रक्रिया में गर्म होकर समुद्र का तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है. उस दौरान धरती का तापमान 45-46 डिग्री तक पहुंच चुका होता है. ऐसी स्थिति में हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएं सक्रिय हो जाती हैं. ये हवाएं आपस में क्रॉस करते हुए विषुवत रेखा पार कर एशिया की तरफ बढ़ने लगती हैं.
इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. विषुवत रेखा पार करके हवाएं और बादल बारिश करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का रुख करते हैं. इस दौरान देश के तमाम हिस्सों का तापमान समुद्र तल के तापमान से अधिक होता है. ऐसी स्थिति में हवाएं समुद्र से जमीनी हिस्सों की ओर बहने लगती हैं. ये हवाएं समुद्र के जल के वाष्पन से पैदा होने वाली वाष्प को सोख लेती हैं और धरती पर आते ही ऊपर उठती हैं और बारिश करती हैं.
दो हिस्सों में बंटी मानसूनी हवाएं देश को कवर करती हैं
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुंचने के बाद समुद्र से उठी मानसूनी हवाएं दो शाखाओं में बंट जाती हैं. एक शाखा अरब सागर की तरफ से मुंबई, गुजरात राजस्थान होते हुए आगे बढ़ती है तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर होते हुए हिमालय से टकराकर गंगीय क्षेत्रों की ओर मुड़ जाती हैं.
इस तरह से जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में झमाझम बारिश होने लगती है. मानसून मई के दूसरे सप्ताह में बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूहों में दस्तक देता है और 1 जून को केरल में पहुंच जाता है.
अगर हिमालय नहीं होता तो…
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अगर हिमालय पर्वत नहीं होता तो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मानसून की बारिश होती ही नहीं. मानसूनी हवाएं बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ती हैं और हिमालय से टकराकर वापस लौटते हुए उत्तर भारत के मैदानी इलाकों पर बरसती हैं. भारत में मानसून राजस्थान में मामूली बारिश करने के बाद खत्म हो जाता है.
कहां कितनी बारिश करता है मानसून
देश में मानसून के चार महीनों में औसतन 89 सेंटीमीटर बारिश होती है. देश की 65 फीसदी खेती मानसूनी पर निर्भर है. बिजली उत्पादन, नदियों का पानी भी मानसून पर निर्भर है. पश्चिम तट और पूर्वोत्तर के राज्यों में 200 से एक हजार सेमी बारिश होती है, जबकि राजस्थान और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां मानसूनी बारिश सिर्फ 10-15 सेमी बारिश होती है. उत्तर भारत में मानसून के पहुंचने का समय 20 जून का रहता है, हालांकि इसमें 4 दिनों का आगे पीछे भी होता है. (news18)
चेरापूंजी में सालभर में करीब 1,100 सेमी तक बारिश होती है. केरल में मानसून जून के शुरू में दस्तक देता है और अक्टूबर तक करीब पांच महीने रहता है, जबकि राजस्थान में सिर्फ डेढ़ महीने ही मानसूनी बारिश होती है. यहीं से मानसून की विदाई होती है.
हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाएं भारत के साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश में भी भारी बारिश कराती हैं. वैसे किसी भी क्षेत्र का मानसून उसकी जलवायु पर निर्भर करता है. अमूमन मानसून के दौरान तापमान में तो कमी आती है, लेकिन नमी में वृद्धि होती है.
कहां-कहां पहुंचकर बारिश करता है
अरब सागर से आने वाली हवाएं उत्तर की ओर बढ़ते हुए 10 जून तक मुंबई पहुंच जाती हैं. हालांकि इस बार तो मानसून कुछ जल्दी ही हर जगह पहुंच रहा है. मानसून जून के पहले सप्ताह तक असम में पहुंच जाता है. इसके बाद हिमालय से टकराने के बाद हवाएं पश्चिम की ओर मुड़ जाती हैं. मानसून कोलकाता शहर में मुंबई से कुछ दिन पहले 7 जून के आसपास पहुंच जाता है.
मध्य जून तक अरब सागर से बहने वाली हवाएं सौराष्ट्र, कच्छ और मध्य भारत के प्रदेशों में फैल जाती हैं. इसके बाद बंगाल की खाड़ी और अरब सागर हवाएं फिर एकसाथ होकर बहने लगती हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पूर्वी राजस्थान में 1 जुलाई से बारिश शुरू करा देती हैं.
दिल्ली में पहली बौछार किस दिशा से आती है
दिल्ली में कभी-कभी मानसून की पहली बौछार पूर्वी दिशा से आती है और बंगाल की खाड़ी के ऊपर से बहने वाली धारा का हिस्सा होती है. कई बार दिल्ली में यह पहली बौछार अरब सागर के ऊपर से बहने वाली धारा का हिस्सा बनकर दक्षिण दिशा से आती है. आधी जुलाई गुजरते-गुजरते मानसून कश्मीर और देश के बाकी बचे हुए हिस्सों में भी फैल जाता है. हालांकि, तब तक इसकी नमी काफी कम हो चुकी होती है.
तमिलनाडु में कौन सा मानसून कराता है बारिश
सर्दी में स्थल भाग ज्यादा जल्दी ठंडे हो जाते हैं. ऐसे में शुष्क हवाएं उत्तर-पूर्वी मानसून बनकर बहती हैं. इनकी दिशा गरमी के दिनों की मानसूनी हवाओं की दिशा से उलटी होती है. उत्तर-पूर्वी मानसून भारत के स्थल और जल भागों में जनवरी की शुरुआत तक छा जाता है. इस समय एशियाई भूभाग का तापमान न्यूनतम होता है. इस समय उच्च दाब की एक पट्टी पश्चिम में भूमध्यसागर और मध्य एशिया से लेकर उत्तर-पूर्वी चीन तक के भू-भाग में फैली होती है.
इस दौरान भारत में बिना बादल वाला आकाश, बढ़िया मौसम, नमी की कमी और हल्की उत्तरी हवाएं चलती हैं. उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण होने वाली बारिश होती तो कम है, लेकिन सर्दी की फसलों के लिए बहुत फायदेमंद होती है.
उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण तमिलनाडु में झमाझम बारिश होती है. तमिलनाडु का मुख्य वर्षाकाल उत्तर-पूर्वी मानसून के समय ही होता है. दरअसल, पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखलाओं के कारण उत्तर-पश्चिमी मानसून से तमिलनाडु में ज्यादा बारिश नहीं होती है. इसलिए नवंबर और दिसंबर के महीनों में उत्तर-पूर्वी मानसून के दौरान तमिलनाडु में सबसे ज्यादा बारिश होती है.
Tags: Monsoon, Monsoon news, Monsoon Update, Pre Monsoon RainFIRST PUBLISHED : May 17, 2024, 12:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed