कौन था महाभारत में सबसे बुद्धिमान पुरुष धृतराष्ट्र और दुर्योधन रहते थे नाराज

Mabharat Katha: क्या आपको मालूम है कि महाभारत में सबसे दिमागदार और बुद्धिमान शख्स कौन था. उसकी हर बात का मतलब होता है और उसकी हर बात ध्यान से सुनी जाती थी.

कौन था महाभारत में सबसे बुद्धिमान पुरुष धृतराष्ट्र और दुर्योधन रहते थे नाराज
हाइलाइट्स वह रिश्ते में धृतराष्ट्र और पांडु के भाई लगते थे लेकिन रहते थे सादा जीवन उनकी खरी खरी बातों के चलते वह अक्सर कौरवों के अप्रिय हो जाते थे वह धृतराष्ट्र के मंत्री बने और फिर युधिष्ठिर के राजा बनने भी उनके सलाहकार महाभारत में यूं तो बहुत से लोग अपनी बुद्धिमानी और बहादुरी के लिए जाने जाते हैं लेकिन एक शख्स ऐसा भी था, जो हमेशा खरी-खरी बातें करते थे. उनकी कुछ बातें इतनी सटीक थीं कि उसका लोहा आज भी माना जाता है. कौरव अक्सर उनकी खरी बातों से नाखुश हो जाते थे. धृतराष्ट्र और दुर्योधन तो उनको खरीखोटी भी सुना देते थे, तब वो अपनी बेबाक राय देते जरूर थे. महाभारत में सबसे बुद्धिमान पात्र विदुर माना जाता है. उन्हें अपनी सूझ-बूझ और नैतिकता के लिए जाना जाता है. उन्होंने हस्तिनापुर का प्रधानमंत्री बनने का सम्मान प्राप्त किया था. विदुर ने युद्ध के दौरान अपनी बुद्धिमत्ता से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. ज्ञान और विवेक के कारण उन्हें महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक माना जाता है. रिश्ते में वह धृतराष्ट्र और पांडु के भाई थे. लेकिन उन्होंने राजसी तामझाम के बगैर सादगी से रहने की जिंदगी चुनी. वह पहले धृतराष्ट्र के महामंत्री बने. फिर जब महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर जब राजा बने तो भी विदुर उनके महामंत्री तो नहीं बने. उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया.हालांकि वह उन्हें जरूरी सलाह हमेशा देते रहे. विदुर दूरदर्शी और बहुत बुद्धिमान शख्स थे. उनकी नीतियां और बातें बेशक व्यवहारिक होती थीं लेकिन जीवन में बहुत काम आती थीं. (image generated by Leonardo AI) खरी बात कहने से कभी नहीं डरते थे हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि महाभारत में सबसे बुद्धिमान पात्र श्री कृष्ण हैं लेकिन विदुर उनसे एकदम अलग किस्म के बुद्धिमान थे. उनकी नीतियां आज भी ऐसी हैं, जिन पर चलने वाला कभी धोखा नहीं खाता. विदुर ने कई ऐसे फैसले लिए और सलाह दी, जिसका लोहा हर किसी ने माना. वह खरी बात कहने से कभी भी नहीं डरते थे. क्या चेतावनी देते थे धृतराष्ट्र को वह धृतराष्ट्र को बार-बार याद दिलाते थे कि उनके पुत्र दुर्योधन और अन्य कौरवों के अधर्म के कारण संकट आ सकता है. धृतराष्ट्र और दुर्योधन को यह बात पसंद नहीं आती थी, क्योंकि वे अपनी इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं के लिए विदुर की सलाह को नजरअंदाज करना चाहते थे. विदुर की बुद्धिमानी के उदाहरण 1. पांडवों को चेतावनी देना विदुर ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय तब दिया जब उन्हें लगा कि कौरवों द्वारा लाख के घर में पांडवों को जिंदा जलाने की साजिश रची जा रही है. खतरे को पहचानते हुए, उन्होंने एक पहेली के रूप में युधिष्ठिर से संपर्क किया. उन्हें खतरे के बारे में संकेतों में चेतावनी दी. उन्होंने इतने चतुर तरीके से युधिष्ठिर को उस नए घर के बारे में समझाया कि किसी को पता भी नहीं चला और पांडवों को खतरे की जानकारी मिल गई. 2. जुआ न खेलने की सलाह कुख्यात जुआ मैच के दौरान, विदुर ने धृतराष्ट्र को पांडवों को भाग लेने के लिए आमंत्रित नहीं करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि जुआ खेलना अधर्म है और इससे बहुत दुख हो सकते हैं. उनकी बुद्धिमानी भरी सलाह के बावजूद दुर्योधन की इच्छाओं के बहकावे में आकर धृतराष्ट्र ने विदुर की सलाह को नज़रअंदाज़ कर दिया. यह घटना विदुर की दूरदर्शिता और मानव स्वभाव की समझ को दिखाती है. 3. विदुर नीति राजनीति और व्यक्तिगत विकास पर विदुर की शिक्षाएं आज भी कारगर हैं, उन्हें विदुर नीति के नाम से जाना जाता है. वह बुद्धिमान नेतृत्व और भविष्य को देखने की दृष्टि देती हैं. उनके सिद्धांत आत्म-नियंत्रण, निरंतर सीखने और निष्पक्ष निर्णय जैसे गुणों पर जोर देते हैं, जो प्रभावी शासन और व्यक्तिगत अखंडता के लिए आवश्यक हैं. 4. धृतराष्ट्र के शासन के दौरान हस्तक्षेप जुआ खेलने के बाद पांडवों को वनवास हो गया, धृतराष्ट्र ने स्थिति को सुधारने के लिए विदुर से सलाह मांगी. विदुर ने उन्हें पांडवों को राज्य वापस करने की सलाह दी और चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर उनके परिवार को भयंकर परिणाम भुगतने होंगे. बाद में उनकी सलाह नहीं मानने पर वैसा ही हुआ. 5.चाटुकारिता से दूर रहने वाले मंत्री उनका मानना था कि राजा के मंत्री को हमेशा चाटुकारिता से दूर रहते हुए खरी खरी बात कहनी चाहिए. जब पांडवों को उनके अधिकार से वंचित किया जाता था, तब विदुर ने हमेशा उनके पक्ष में खड़े होकर सही मार्ग दिखाने की कोशिश करते थे. 6. राजनीतिक सलाह विदुर ने राजनीति में नैतिकता और न्याय का पालन करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि एक आदर्श राज्य की स्थापना के लिए नैतिक नीति का पालन जरूरी है. उनके विचारों ने भारतीय राजनीति में साम, दाम, दंड और भेद की नीति के साथ-साथ नैतिकता का भी महत्व बताया. 7. कौरवों के गलत कामों का हमेशा विरोध विदुर ने कौरवों की हठधर्मिता और अन्यायपूर्ण नीतियों पर खुलकर आपत्ति जताई. उन्होंने दुर्योधन और उसके समर्थकों को चेतावनी दी कि यदि वे अपने गलत निर्णयों पर अड़े रहे, तो इसका परिणाम विनाशकारी होगा. उनकी यह स्पष्टता और साहस उन्हें एक बुद्धिमान सलाहकार बनाती है. क्या थीं विदुर की नीतियां 1. बुद्धिमान व्यक्ति के गुण विदुर ने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति में निम्नलिखित पांच गुण होने चाहिए. स्वरूप का ज्ञान- व्यक्ति को अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान होना चाहिए. दुख सहन करने की शक्ति – हानि होने पर दुख सहन करने की क्षमता होनी चाहिए. धर्म और शक्ति पर स्थिरता: शक्ति और धर्म के विषयों पर स्थिर रहना चाहिए. अच्छे कर्मों का पालन: अच्छे कर्मों को अपनाना और बुरे कर्मों से दूर रहना चाहिए. 2. धन को लेकर क्या कहा विदुर ने कहा कि जिस धन को अर्जित करने में मन और शरीर को क्लेश हो, धर्म का उल्लंघन करना पड़े, उसे हासिल करने का विचार ही छोड़ देना चाहिए. 3. सत्य बोलने का महत्व विदुर हमेशा सत्य बोलने और सत्य के मार्ग पर चलने की सलाह देते थे. वह कहते थे कि सत्य बोलना कठिन है, लेकिन ये एक बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान है. 4. बुद्धिमानी एक साधना भी विदुर ने यह भी कहा कि बुद्धिमान बनने के लिए साधना करनी पड़ती है. बुद्धिमान व्यक्ति को अपने गुणों को विकसित करने की जरूरत होती है. विदुर के बारे में खास बातें – विदुर, महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास और एक दासी के पुत्र थे. उनका मूल नाम धर्मदेव था. – विदुर को यम (धर्म) का अवतार माना जाता था. वे सत्य, ज्ञान, साहस, निष्पक्ष निर्णय और धर्म के व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे. – विदुर ने कौरवों के दरबार में द्रौपदी के अपमान का विरोध किया था. – विदुर की नीति को विदुर नीति कहा जाता है और यह बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. – कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद, युधिष्ठिर ने विदुर से प्रधानमंत्री का पद संभालने का अनुरोध किया, लेकिन विदुर ने इस्तीफ़ा दे दिया. – विदुर ने अपनी वृद्धावस्था में एक संत के रूप में अपने सौतेले भाई धृतराष्ट्र और अपनी भाभियों गांधारी और कुंती के साथ जंगलों में चले गए. Tags: MahabharatFIRST PUBLISHED : November 27, 2024, 13:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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