कौन होते हैं बोहरा और आगाखानी मुस्लिम जिनके लिए वक्फ की जगह बनेगा औकाफ बोर्ड

Bohra and Agakhani Muslims : प्रस्तावित वक्फ अधिनियम, 1995 में कई संशोधनों का मसौदा रखा गया है. इसमें बोहरा और आगाखानियों के लिए अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है. औकाफ वक्फ का बहुवचन है. आइए जानते हैं कि बोहरा और आगाखानियों कौन होते हैं जिनके लिए यह प्रस्तावित किया गया है...

कौन होते हैं बोहरा और आगाखानी मुस्लिम जिनके लिए वक्फ की जगह बनेगा औकाफ बोर्ड
Bohra and Agakhani Muslims : केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम, 1995 में कई संशोधन प्रस्तावित किए हैं. इसमें वक्फ बोर्ड का नाम बदलने से लेकर महिलाओं को प्रतिनिधित्व प्रदान करने और बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड बनाने तक के प्रस्ताव हैं. प्रस्तावित विधेयक में कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं, यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित विवादास्पद धारा 40 को हटा दिया गया है. महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए, विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करने और मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है. यह बोहरा और आगाखानियों के लिए अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का भी प्रावधान करेगा. औकाफ वक्फ का बहुवचन है. आइए जानते हैं कि बोहरा और आगाखानियों कौन होते हैं. कौन होते हैं बोहरा बोहरा शब्द, गुजराती शब्द वोहरू व्यवहार से आया है, जिसका अर्थ है व्यापार. बोहरा समुदाय के मुस्लिम आमतौर पर व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. बोहरा समाज के लोग मुस्लिम होते हैं, लेकिन वे आम मुस्लिमों से थोड़े अलग हैं. 20 लाख से ज्यादा बोहरा लोग महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कोलकाता, चेन्नई आदि स्थानों पर प्रमुख रूप से रहते हैं. बोहरा आम मुस्लिमों की तरह ही शिया और सुन्नी दोनों होते हैं. दाऊदी बोहरा शियाओं से ज्यादा समानता रखते हैं. वहीं सुन्नी बोहरा हनफी इस्लामिक कानून को मानते हैं. कई देशों में है इनकी आबादी पाकिस्तान, यूएसए, दुबई, अरब, यमन, ईराक आदि देशों में भी आबादी फैली है. बोहरा समाज में धर्मगुरु को सैय्यदना कहते हैं और सैय्यदना जो बनता है, उसी को बोहरा समाज अपनी आस्था का केंद्र बना लेता है. 21वें और अंतिम इमाम तैयब अबुल कासिम के बाद 1132 से आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा शुरू हुई, जिन्हें दाई-अल-मुतलक कहते हैं. जब 52वें दाई-अल-मुतलक सैय्यदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का निधन हुआ तो 2014 से बेटे सैयदना डॉ. मुफद्दुल सैफुद्दीन उत्तराधिकारी बने. सैफुद्दीन 53वें दाई-अल-मुतलक हैं. ये भी पढ़ें- भारत में पैदा हुआ वो शख्स जिसने अपनी पार्टी के जरिये 3 मुल्कों में किया ‘नफरत’ फैलाने का काम बोहरा मुसलमानों की उत्पत्ति दाऊदी बोहरा मुसलमान फातिमी इमामों से जुड़े हैं जो पैगंबर मोहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज हैं. 10वीं से 12वीं सदी के दौरान इस्लामी दुनिया के अधिकतर हिस्सों पर राज किया. ‘बोहरा’ गुजराती शब्द ‘वहौराउ’, अर्थात ‘व्यापार’ का अपभ्रंश है. वे मुस्ताली मत का हिस्सा हैं जो 11वीं शताब्दी में उत्तरी मिस्र से धर्म प्रचारकों के माध्यम से भारत में आया था. 1539 के बाद जब भारतीय समुदाय बड़ा हो गया तब यह मत अपना मुख्यालय यमन से भारत में सिद्धपुर ले आया. 1588 में दाऊद बिन कुतब शाह और सुलेमान के अनुयायियों के बीच विभाजन हो गया. आज सुलेमानियों के प्रमुख यमन में रहते हैं, जबकि सबसे अधिक संख्या में होने के कारण दाऊदी बोहराओं का मुख्यालय मुंबई में है. दाऊदी और सुलेमान बोहरा में फर्क दाऊदी और सुलेमान के अनुयायियों में बंटे होने के बावजूद बोहराओं के धार्मिक सिद्धांतों में खास सैद्धांतिक फर्क नहीं है. बोहरा सूफियों और मजारों पर खास विश्वास रखते हैं. सुन्नी बोहरा हनफ़ी इस्लामिक कानून पर अमल करते हैं, जबकि दाऊदी बोहरा समुदाय इस्माइली शिया समुदाय का उप-समुदाय है. यह अपनी प्राचीन परंपराओं से पूरी तरह जुड़ी कौम है, जिनमें सिर्फ अपने ही समाज में ही शादी करना शामिल है. कई हिंदू प्रथाओं को भी इनके रहन-सहन में देखा जा सकता है. ये भी पढ़ें- वो सांप जिनकी लंबाई और वजन से हो जाएंगे हैरान, भारत समेत दुनिया में कहां-कहां इसका घर क्या होता है पहनावा दाऊदी बोहरा समुदाय की पोशाक का एक अलग ही रूप है. पुरुष पारंपरिक तौर पर तीन सफेद टुकड़े वाले परिधान पहनते हैं, जिसमें एक अंगरखा होता है जिसे ‘कुर्ता’ कहा जाता है, समान लंबाई का एक ओवरकोट जिसे ‘साया’ कहा जाता है, और पैंट या पतलून जिसे ‘इज़ार’ कहा जाता है. पुरुष सफेद या गोल्डन रंग की टोपी भी पहनते हैं, जिसमें गोल्डन और सफेद रंग के धागे का प्रयोग किया जाता है. बोहरा समुदाय के पुरुषों से  पैगम्बर मोहम्मद साहब के अभ्यास का पालन करते हुए पूरी दाढ़ी रखने की उम्मीद की जाती है. महिलाएं पहनती हैं रिदा इस समुदाय की महिलाएं एक दोहरी पोशाक पहनती हैं, जिसे ‘रिदा’ कहा जाता है, जो हिजाब के अन्य रूपों से अलग है. रिदा अपने चमकीले रंग, सजावटी प्रतिरूप और फीते से तैयार होता है. रिदा महिला के चेहरे को पूरा कवर नहीं करता है. काले रंग को छोड़कर रिदा किसी भी रंग का हो सकता है. इसमें एक छोटा सा पल्ला होता है जिसे परदी कहा जाता है जो आमतौर पर एक तरफ मुड़ा होता है ताकि महिला का चेहरा दिखाई दे सके, लेकिन जरूरत के अनुसार इसे चेहरे पर पहना भी जा सकता है. ये भी पढ़ें- हरियाणा से ज्यादा बड़ा बर्फ का विशाल टुकड़ा, क्यों 38 सालों से तैर रहा समुद्र में कौन हैं आगाखानी मुस्लिम इस्माइली या आगाखानी मुस्लिम समुदाय के लोग शिया मुस्लिम की एक शाखा है. इस समुदाय के लोग इमाम जाफ़र अस सादिक के बेटे इस्माइल बिन जाफ़र के अनुयायी हैं.इस समुदाय के लोग 25 से अधिक अलग-अलग देशों में रहते हैं. ये मुख्य रूप से मध्य और दक्षिण एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं. दुनिया भर में आगाखानी मुस्लिम समुदाय के लोगों की आबादी 1.5 करोड़ के करीब है. आगाखानी मुसलमान 950 साल पहले अफगानिस्तान के खैबर प्रांत से सिंध प्रांत आए और फिर भारत में आकर बस गए. पांच नमाज नहीं, हज भी नहीं करते आगाखानी समुदाय के लोग अन्य मुसलमानों से अलग है. इनके धार्मिक रीति रिवाज भी अलग हैं. ये दिन में पांच बार नमाज नहीं पढ़ते हैं. आगाखानी मुसलमानों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इन्हें इस्माइली, खोजा मुस्लिम और निजारी मुस्लिम भी कहते हैं. इस्माइली मुसलमान जमातखानों में इबादत करते हैं, जहां पर महिलाएं भी पुरुषों के साथ मिलकर इबादत करती है. आगाखानी मुसलमान रमजान के दौरान पूरे महीने रोजा नहीं रखते हैं. इनका मानना है कि हर दिन खुदा का होता. ये हज पर भी नहीं जाते हैं. क्या करते हैं वक्फ वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड बने हैं. देश भर में करीब 30 वक्फ बोर्ड हैं जो उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं. सभी वक्फ बोर्ड वक्फ अधिनियम 1995 के तहत काम करते हैं. वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है. इस दान की हुई संपत्ति का कोई भी मालिक नहीं होता है. दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है, लेकिन, उसे संचालित करने के लिए वक्फ बोर्ड बनाए गए है. Tags: Indian Muslims, Muslim, Muslim Organisations, Muslim Population, Muslim religion, Shia waqf board, Waqf BoardFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 18:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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