कैसे आता है भूकंप उत्तर भारत में हर साल महसूस होते हैं कितने
कैसे आता है भूकंप उत्तर भारत में हर साल महसूस होते हैं कितने
दिल्ली-एनसीआर के साथ उत्तर भारत में यूं तो हर साल ही हल्के फुल्के भूकंप को महसूस किया जाता है लेकिन 09 नवंबर को रात 02 करीब महसूस किया गया भूकंप तेज तीव्रता का था. हालांकि ये केवल कुछ सेकेंड ही महसूस किया गया लेकिन उत्तर भारत में भूकंप का आना अब नियमित घटना बन चुकी है.
हाइलाइट्सदिल्ली में आया भूकंप अगर कुछ सेकेंड और रुकता तो मच जाती तबाहीदिल्ली और उत्तर भारत सेस्मिक जोन 4 में आता है, जो संवेदनशील माना जाता है2020 में उत्तर भारत में एक के एक कई भूकंप दर्ज हुुए थे और फैली थी घबराहट
नई दिल्ली. समूचे उत्तर भारत में 08 नवंबर को भूकंप के तेज झटके महसूस किये गए. इसका असर सारे उत्तरी राज्यों में नजर आया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 थी. केंद्र नेपाल में था. इससे नेपाल में नुकसान की भी खबरें हैं.
चंद्र ग्रहण के दिन आए इस भूकंप ने इन कयासों को भी जन्म दिया कि क्या भूकंप और ग्रहण के बीच कुछ संबंध होता है. वैसे ये भूकंप रात करीब 02 बजे के करीब आया, जिस समय लोग गहरी नींद में सो रहे थे. अचानक उन्होंने अपने घरों, पलंग, दरवाजे और खिड़कियों को हिलते पाया. क्या आप जानते हैं कि भूकंप क्यों आता है.
धरती के अंदर की प्लेटों का खिसकना बनता है वजह
दरअसल धरती के भीतर कई प्लेटें होती हैं जो समय-समय पर विस्थापित होती हैं. इस सिद्धांत को अंग्रेजी में प्लेट टैक्टॉनिकक और हिंदी में प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं. इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी परत लगभग 80 से 100 किलोमीटर मोटी होती है जिसे स्थल मंडल कहते हैं. पृथ्वी के इस भाग में कई टुकड़ों में टूटी हुई प्लेटें होती हैं जो तैरती रहती हैं.
सामान्य रूप से यह प्लेटें 10-40 मिलिमीटर प्रति वर्ष की गति से गतिशील रहती हैं. हालांकि इनमें कुछ की गति 160 मिलिमीटर प्रति वर्ष भी होती है. भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है.
दिल्ली और उत्तर भारत में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.3 आंकी गई
देश में एक नहीं कई भूकंप जोन
भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है. भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है. जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है.
उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं. उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं. मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं.
09 नवंबर को आए इस भूकंप का केंद्र नेपाल में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे बताया जा रहा है. इससे नेपाल में नुकसान की खबरें हैं
कैसे लगता तीव्रता का अंदाज
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र ( एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है. धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर धरती की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है.
जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है.
उत्तर भारत में कितने भूकंप रिकॉर्ड किए जाते हैं
वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय सेसमॉलॉजिकल नेटवर्क में 745 भूकंप रिकॉर्ड किए गए. जिसमें दिल्ली-एनसीआऱ में सितंबर 2017 से लेकर अगस्त 2020 तक 26 ऐसी घटनाएं मापी गईं. जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.0 या इससे ऊपर थीं. अगर पिछले 20 साल के आंकड़ों को देखें तो उत्तर भारत में भूकंप का कोई पक्का पैटर्न नजर नहीं आता.
.हालांकि वर्ष 2020 में दिल्ली और एनसीआर में कई छोटे बड़े भूकंप को महसूस किया गया था. जिससे काफी चिंता फैली थी.
देश में सबसे ज्यादा भूकंप कहां रिकॉर्ड होते हैं
अगर सितंबर 2017 से अगस्त 2020 के रिकॉर्ड की बात करें तो अंडमान एंड निकोबार में 198 भूकंप दर्ज किए गए जबकि जम्मू-कश्मीर में 98 ऐसी घटनाएं हुईं. ये दोनों इलाके देश में हाई सेस्मिक एक्टीविटी जोन में आते हैं.
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Tags: Earthquake, Earthquake News, EarthquakesFIRST PUBLISHED : November 09, 2022, 09:39 IST