US Election 2024 : भारतवंशी किसे वोट दे रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस
US Election 2024 : भारतवंशी किसे वोट दे रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस
US Election 2024 : अमेरिका में प्रेसीडेंट पद के लिए 05 नवंबर को वोटिंग हो रही है. अमेरिका में भारतवंशियों का प्रभाव भी लगातार बढ़ा है. वो आखिर किसे वोट दे रहे हैं- डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस या रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप.
हाइलाइट्स वोटिंग के समय के करीब सर्वे बताते हैं कि भारतवंशी कमला हैरिस की ओर ज्यादा पिछले चुनावों में चार साल पहले भी भारतवंशियों ने डेमोक्रेटिक बाइडेन का साथ दिया था भारतवंशियों पर दो बातें ज्यादा असर डालती हैं - वित्तीय नीति और महिलाओं का रुझान
अमेरिका के 50 प्रांतों में अगले राष्ट्रपति के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इस चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगर मैदान में हैं तो रिपब्लिक पार्टी की ओर से कमला हैरिस उनका मुकाबला कर रही हैं. दोनों में से किसी के भी हार जीत का साफ अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है. दोनों साबित कर दिया है कि वो दमदार उम्मीदवार हैं. अब सवाल इस बात का है कि इस बार भारतवंशी समुदाय किस ओर है, वो किसको वोट देने जा रहा है.
संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की तादाद करीब 52 लाख की है. ऐतिहासिक तौर पर भारतीय समुदाय हमेशा से डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर झुका रहा है. लेकिन वोटिंग डे तक भारतीय-अमेरिकियों में वोटिंग समर्थन में उल्लेखनीय बदलाव के संकेत भी मिल रहे हैं. हालांकि सर्वे तो यही बताते हैं कि भारत से गहरा ताल्लुक रखने वाली कमला हैरिस को भारतीयों का समर्थन बढ़ा तो जरूर है लेकिन अब भी वह डेमोक्रेटिक पार्टी की तुलना में आधा ही है.
कुछ समय पहले जब सर्वेक्षण हुआ तो पता चला 47% भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेट समर्थक की पहचान रखते हैं, हालांकि ये संख्या बढ़ी ही रही है. चार साल पहले ये संख्या 56% थी. ये बात बताती है उनकी वफादारी डेमोक्रेटिक पार्टी को लेकर बढ़ रही है, ये बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है.
वहीं रिपब्लिकन के रूप में पहचान करने वाले भारतीय अमेरिकियों का अनुपात कुछ समय घटकर 21% हो गया, जिसके और घटने की उम्मीद जताई गई. हालांकि काफी भारतीय-अमेरिकी ऐसे भी हैं जो स्वतंत्र विचारों वाले हैं. खुलेतौर पर तटस्थ दिखाने की कोशिश करते हुए. वो वोट जरूर देंगे लेकिन आखिर समय में दिमाग बनाएंगे. अमेरिकी मीडिया में माना जा रहा है कि स्वतंत्र भारतीयों का वोट आखिरकार डोनाल्ड ट्रम्प की बजाए कमला की ओर जा सकता है.
वोटिंग से ठीक पहले नए सर्वेक्षणों के अनुसार, लगभग 61% भारतीय अमेरिकी भारतीय मूल की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं. इसके विपरीत, लगभग 31% ने डोनाल्ड ट्रम्प को वोट देने का इरादा जाहिर किया.
किस आधार पर वोट करते हैं भारतीय
आर्थिक नीतियों पर – भारतीय अमेरिकी आमतौर पर औसत अमेरिकी की तुलना में अधिक धनी होते हैं, जिनकी औसत घरेलू आय राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है. यह आर्थिक सफलता उनकी राजनीतिक प्राथमिकताओं को प्रभावित कर सकती है, विशेष रूप से उन नीतियों के संबंध में जो व्यापार और आर्थिक विकास को प्रभावित करती हैं.
सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दे – सामाजिक मुद्दों और यू.एस.-भारत संबंधों पर समुदाय के विचार भी उनके मतदान निर्णयों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. रिपब्लिकन पार्टी ने इन मोर्चों पर अपनी नीतियों पर जोर देकर भारतीय अमेरिकियों को सक्रिय रूप से आकर्षित करने की कोशिश की है.
महिलाएं किस ओर – भारतीय अमेरिकियों के बीच मतदान वरीयताओं में एक उल्लेखनीय लिंग विभाजन है. 67% महिलाएं हैरिस को वोट देने का इरादा रखती हैं, केवल 53% पुरुष इस इरादे को साझा करते हैं. इसके विपरीत, महिलाओं (22%)45 की तुलना में पुरुषों का एक उच्च प्रतिशत (39%) ट्रम्प को वोट देने की योजना बनाता है.
50 फीसदी वोट श्वेतों के तो अश्वेतों के 33 फीसदी
वैसे आपको बता दें कि अमेरिका में कुल 50 फीसदी वोट श्वेत समुदाय के हैं जबकि अश्वेत कम्युनिटी के वोटों का परसेंटेज 33 फीसदी है, इसमें अश्वेत, भारतीय, एशियाई आदि शामिल हैं. हां इस श्वेत समुदाय में जो तादाद है, उसमें आधी डेमोक्रेटिक पार्टी की भी समर्थक मानी जाती है बाकि आधी आबादी रिपब्लिकन की ओर जाती रही है. इसी वजह से डोनाल्ड ट्रंप की खीझ बढ़ गई, उन्हें कमला हैरिस एक दमदार कैंडीडेट लग रही हैं.
भारतीय अमेरिकी कितने और किसको वोट करते हैं
भारतीय अमेरिकी अमेरिका की आबादी का करीब 1.5 प्रतिशत हैं. 2023 तक उनकी संख्या 50-52 लाख की थी. अपने छोटे प्रतिशत के बावजूद वो तेजी से एक महत्वपूर्ण वोटिंग ब्लॉक बन गए हैं.
– 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में 70 फीसदी से अधिक भारतीय अमेरिकियों ने बाइडेन-हैरिस टिकट के लिए मतदान किया. इस समर्थन का श्रेय उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के समुदाय से जुड़ाव और उनके मुद्दों के प्रति उनकी वकालत को दिया जाता है. सर्वेक्षण ये भी बताते हैं कि भारतीय अमेरिकियों के बीच मतदान प्रतिशत बढ़ रहा है. ये भी लग रहा है कि हैरिस के चुनावों में खड़े होने के बाद वो इस चुनावों में ज्यादा वोट करेंगे. इस इंफोग्राफिक से समझा जा सकता है कि अमेरिका में ठीक एक साल पहले किस तरह इन चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. फिर हर चरण में क्या होता है और फिर कैसे वोट डाले जाते हैं. (courtesy – us embassy)
क्या होती रही है भारतीय अमेरिकियों की राजनीतिक प्राथमिकता
ऐतिहासिक रूप से भारतीय अमेरिकियों का झुकाव डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर रहा है लेकिन इस समुदाय के भीतर विचारों में अलगाव भी है. एक हालिया सर्वेक्षण में लगभग 29 फीसदी भारतीय अमेरिकियों ने संकेत दिया कि वे ट्रंप को वोट करेंगे. लेकिन ये सर्वे शायद हैरिस को उम्मीदवार बनाने से पहले का है. निश्चित तौर पर ये स्थितियां बदलेंगी.अगर हुआ तो हैरिस को फायदा मिलेगा.
अमेरिका में कौन माने जाते हैं गैर-श्वेत वोटर्स
हिस्पैनिक, काले, एशियाई और अन्य नस्लीय/जातीय समूहों को गैर-श्वेत वोटर्स मानते हैं. उनकी तादाद लगातार बढ़ रही है. वो श्वेत वोटर्स की तुलना में ज्यादा वोट करते हैं. गैर-श्वेत पात्र वोटर्स की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी है वर्ष 2000 में 24% थी, जो 2018 में बढ़कर 33% हो गई है. अनुमान है कि ये संख्या अब 35 फीसदी से ज्यादा होनी चाहिए. इस वृद्धि में हिस्पैनिक पात्र मतदाताओं का सबसे बड़ा योगदान था, जो 2000 में 7% की तुलना में 2018 में बढ़कर 13% हो गए.
किन्हें हिस्पैनिक कहा जाता है
हिस्पैनिक शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जो क्यूबा, मैक्सिको, प्यूर्टो रिको, दक्षिण या मध्य अमेरिका, या किसी अन्य स्पेनिश संस्कृति या मूल से हैं. इन लोगों की जाति या नस्ल कोई भी हो सकती है. हिस्पैनिक शब्द लैटिन हिस्पैनिकस से बना है, जो हिस्पैनिया का विशेषण है और इसका मतलब है स्पेन. अंग्रेज़ी में हिस्पैनिक शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1500 के दशक के आखिर में किया गया था. 1900 के दशक की शुरुआत में से भी पहले से ही अमेरिका में स्पेनिश द्वारा उपनिवेशित भूमि और लोगों को हिस्पैनिक कहा जाता था.
अमेरिका में श्वेत वोटर्स कितने और कितना वोट करते हैं
2000 और 2018 के बीच सभी 50 राज्यों में गैर-हिस्पैनिक श्वेत वोटर्स की हिस्सेदारी में गिरावट आई है. इस अवधि के दौरान 10 राज्यों में श्वेत वोटर्स के वोटिंग परसेंटेज में 10 फीसदी की गिरावट देखी गई. नेवादा में 18 अंकों की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई. हालांकि अधिकांश राज्यों के मतदाताओं में श्वेत मतदाता अभी भी बहुमत में हैं, वो 47 राज्यों में 50% से ज्यादा हैं.
FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 16:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed