तरबूज पीले क्यों होते हैं क्या अफ्रीका से भारत में पहुंचा था ये सुपरफ्रूट
तरबूज पीले क्यों होते हैं क्या अफ्रीका से भारत में पहुंचा था ये सुपरफ्रूट
बाजार में अब केवल लाल ही नहीं, पीले रंग के तरबूज भी मिलते हैं. पीला तरबूज लाल से ज्यादा मीठा होता है. इसकी कीमत भी लाल तरबूज के मुकाबले ज्यादा होती है. क्या आप जानते हैं कि पीला तरबूज भारत में कहां से आया? इसका पीला कैसे बनता है?
गर्मियों का मौसम शुरू होते ही सुपरफ्रूट तरबूज का स्वाद याद आने लगता है. हालांकि, अब बाजार में हर मौसम में सभी फल मिलने लगे हैं, लेकिन मौसम के मुताबिक ताजा फलों की तो बात ही कुछ और होती है. तरबूज को स्वाद के अलावा सेहत के खजाने के तौर पर भी पहचाना जाता है. तरबूज में भरपूर मात्रा में पानी पाया जाता है, जिसको खाने से हमारा शरीर डिहाइड्रेट नहीं होता है. वहीं, इसमें आयरन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. आजकल बाजार में लाल के अलावा पीला तरबूज भी मिलने लगा है. जानते हैं कि ये पीला तरबूज कहां से आया और इसका रंग पीला क्यों होता है?
अब तक ये माना जाता रहा है कि तरबूज की खेती सबसे पहले अफ्रीका में शुरू हुई थी. कहा जाता है कि अफ्रीका में करीब 5000 साल पहले लाल तरबूज के बीज मिले थे. फिर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में इसकी पैदावार शुरू कर दी गई. वहीं, लाल तरबूज के करीब 1000 साल बाद अफ्रीका में ही पीले तरबूज के बीज मिलना भी बताया जाता है. पीला तरबूज ज्यादातर रेगिस्तानी इलाकों में पैदा होता है. कम पानी वाले इलाके में भी अच्छी पैदावार के कारण इसे डेजर्ट किंग भी कहा जाता है. सबसे पहले जानते हैं कि तरबूज की खेती सबसे पहले कहां की गई थी?
कहां से शुरू हुई थी लाल तरबूज की पैदावार?
एक शोध ने तरबूज की वास्तविक उत्पत्ति के बारे में दशकों पुरानी धारणा तोड़ दी है. नए शोध के मुताबिक तरबूज दक्षिण अफ्रिका में नहीं, बल्कि सबसे पहले मिस्र में उगाए गए थे. प्रोसिडिगंस ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित अध्ययन में घरेलू तरबूज की उत्पत्ति की कहानी फिर से लिखी गई है. वैज्ञानिकों ने सैकड़ों प्रजातियों वाले तरबूज के डीएनए के अध्ययन में पाया कि ये फल उत्तरपूर्वी अफ्रीका की जगंली फसल से आए थे. इस अध्ययन से पहले तक कहा जाता रहा है कि तरबूज दक्षिण अफ्रीकी सिट्रॉन मेलन की श्रेणी में ही आते हैं. अध्ययन के प्रमुख लेखक और सेंट लुईस में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने पाया कि सूडान का सफेद तरबूज खेती कर उगाया जाने वाला सबसे नजदीकी तरबूज है. इस सफेद तरबूज को कोरडोफैन तरबूज कहते हैं. एक शोध ने तरबूज की वास्तविक उत्पत्ति के बारे में दशकों पुरानी धारणा तोड़ दी है.
पेंटिंग में मिले तरबूज की शुरुआत के संकेत
जेनेटिक शोध के नतीजे मिस्र की एक पेंटिंग से मेल खाते हैं, जिसमें दिख रहा है कि तरबूज 4 हजार साल पहले के समय से नील नदी के रेगिस्तान में खाए जाते थे. वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के आर्ट्स एंड साइंसेस में बायोलॉजी की प्रोफेसर सुजैन एस. रेनर के मुताबिक, डीएनए के आधार उनकी टीम ने पाया कि मौजूदा लाल और मीठा तरजूब पश्चिम व उत्तर पूर्व अफ्रीका के जंगली तरबूज के सबसे करीब है. रेनर इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट हैं, जो डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक जर्मनी की म्यूनिख में लुडविंग मैक्जिमिलन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के तौर पर काम करने के बाद वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से जुड़ी हुई हैं. यह जेनेटिक रिसर्च न्यूयॉर्क में अमेरिकी कृषि विभाग, लंदन में क्वे के द रॉयल बॉटेनिक गार्डन और शेफील्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से पूरी हुई.
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उन्नत किस्मों से मिलती है ज्यादा पैदावार
दुनियाभर में समय के साथ तरबूज की अलग-अलग प्रजातियां विकसित कर ली गईं. तरबूज की कई उन्नत किस्में होती हैं, जिनसे कम समय में फल तैयार किया जा सकता है. यही नहीं, इन उन्नत किस्मों की मदद से उत्पादन भी अच्छा मिलता हैं. तरबूज की उन्नत किस्मों में शुगर बेबी, अर्का ज्योति, पूसा बेदाना शामिल हैं. वानस्पतिक रूप से पीले तरबूजों को सिट्रुलस लैनाटस के तौर पर पहचाना जाता है. यह कुकुर्बिटेसी परिवार (स्पेशियलिटी प्रोड्यूस के जरिये) का हिस्सा है. इस वजह से पीला तरबूज लौकी, कद्दू और स्क्वैश के परिवार में माना जाता है.
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तरबूज के अंदर कैसे बनते हैं अलग रंग?
तरबूज का नाम लेते ही बाहर से चकत्तेदार हरी स्किन और अंदर लाल रंग का फल ही दिखाई देता है. लेकिन, अब बाजार में पीला तरबूज भी मिलने लगा है. ये खाने में लाल तरबूज से ज्यादा मीठा होता है. दरअसल, तरबूज में एक केमिकल के कारण इनका रंग लाल या पीला होता है. विज्ञान के नजरिये से समझें तो लायकोपीन नाम का केमिकल ही लाल और पीले तरबूज में अंतर का कारण है. लाल तरबूज में लायकोपीन केमिकल पाया जाता है. वहीं, पीले तरबूज में यह केमिकल नहीं होता है. पीले तरबूज का स्वाद शहद की तरह होता है. इसमें विटामिन ए और सी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. पीले तरबूज में लाल के मुकाबले ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट्स और बीटा कैरोटीन पाया जाता है.
कौन सा तरबूज खाना होगा बेहतर?
लाल और पीले तरबूज में से दूसरे रंग के तरबूज को खाना बेहतर माना जाता है. दरअसल, पीले तरबूज में लाल के मुकाबले ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट्स और बीटा कैरोटीन पाया जाता है. बीटा कैरोटीन कैंसर और आंखों से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करता है. वहीं, लाल तरबूज की तरह इसमें मौजूद विटामिन रोगप्रतिरोधक प्राणाली और स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं. दोनों तरबूतों में भरपूर मात्रा में पानी पाया जाता है, जो हमारे शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है. तरबूज को खाने से पहले ठंडा करना बेहद जरूरी माना जाता है. पीले तरबूज में कैलोरी भी कम होती है. जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें पीला तरबूज खाना चाहिए.
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Tags: Food, Fruits, Healthy Foods, SummerFIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 18:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed