क्यों डॉक्टरों ने दी चेतावनीटॉयलेट में 10 मिनट से अधिक नहीं बैठें गंभीर असर
क्यों डॉक्टरों ने दी चेतावनीटॉयलेट में 10 मिनट से अधिक नहीं बैठें गंभीर असर
एक शोध में डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि जब आप शौचालय जाएं तो अपने गैजेट्स वहीं छोड़ दें. साथ ही आगाह किया कि टॉयलेट में अधिक समय गुजारने से हेल्थ संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं.
हाइलाइट्स ज्यादा देर तक शीट पर बैठने से हिप्स दबता है तब ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से बवासीर हो सकता है कई बार टॉयलेट जा रहे हैं और ज्यादा देर बैठना पड़ रहा है तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें आजकल टॉयलेट में लंबा बैठने वालों में बढ़ रहा है कोलोरेक्टल कैंसर
ईमानदारी की बात ये है कि अब हम सभी की आदत टॉयलेट में भी मोबाइल फोन या गैजेट्स ले जाने की पड़ गई. बहुत से लोग वहीं मोबाइल या लैपटॉप खोलकर उस पर समय बिताने लगते हैं. बहुत से लोग अब ऐसा करने लगे हैं. एक नया अध्ययन डॉक्टरों के हवाले से ये कहता है कि जब आप टॉयलेट जाएं तो अपने गैजेट्स बाहर ही छोड़ दें.
इस आदत के चलते टॉयलेट का मुश्किल से तीन से पांच मिनट का समय 15 मिनट तक बढ़ जाता है. बहुत से लोग स्मार्ट फोन पर स्क्रॉल करके खबरें और पोस्ट पढ़ने लगते हैं. सोशल मीडिया देखने लगते हैं.
सीएनएन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि टॉयलेट में लंबे समय तक बैठना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. डलास में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर के कोलोरेक्टल सर्जन डॉ. लाई ज़ू ने कहा कि इसे बवासीर और कमजोर पेल्विक मांसपेशियों के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा गया है.
ज़ू ने कहा, “जब मरीज़ मेरे पास शिकायत लेकर आते हैं तो जब हम उनकी परेशानी पर गहराई से सोचते हैं तो अंदाज होेता है कि ऐसा टॉयलेट में बहुत समय बिताने के कारण हो रहा है. एक नई स्टडी ये भी कहती है कि अगर आप कई बार मल त्याग के लिए टॉयलेट जा रहे हैं तो ये भी नुकसान करने वाला होता है. खुली अंडाकार आकार की टॉयलेट सीट हिप्स यानि नितंबों को दबाती है. गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर का निचला आधा हिस्सा नीचे की ओर खिंचता है, जिससे बढ़ा हुआ दबाव आपके रक्त सर्कुलेशन पर असर डालता है. (image generated by Mata AI )
5 से 10 मिनट ही गुजारना चाहिए
न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड स्थित स्टोनी ब्रुक मेडिसिन में सहायक प्रोफेसर और इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज सेंटर के निदेशक डॉ. फराह मोनज़ूर के अनुसार, लोगों को औसतन 5 से 10 मिनट ही टॉयलेट में गुजारना चाहिए.
क्या होगा जबकि ज्यादा देर टॉयलेट शीट पर बैठेंगे
अगर आप ज़्यादा समय तक रुकते हैं तो कई तरह की समस्याएं हो जाएंगी. इसके अपने साइंटिफिक कारण भी हैं. खुली अंडाकार आकार की टॉयलेट सीट हिप्स यानि नितंबों को दबाती है. गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर का निचला आधा हिस्सा नीचे की ओर खिंचता है, जिससे बढ़ा हुआ दबाव आपके रक्त सर्कुलेशन पर असर डालता है.
परिणामस्वरूप गुदा और निचले मलाशय के आसपास की नसें और रक्त वाहिकाएं बढ़ जाती हैं और रक्त से भर जाती हैं, जिससे बवासीर का खतरा बढ़ जाता है.
इससे शरीर के किन अंगों पर बढ़ता है खतरा
जबरदस्ती जोर लगाने से भी बवासीर के बढ़ने का दबाव बढ़ सकता है. टॉयलेट में अपने फोन पर स्क्रॉल करने वाले लोग समय का ध्यान नहीं रख पाते हैं, मल त्याग के लिए बैठे-बैठे अपनी मांसपेशियों पर जोर डालते हैं. अध्ययन में कहा गया कि लोग आजकल टॉयलेट में बैठने में ज्यादा समय बिताने लगे हैं और ये गुदा-मलाशय अंगों और पेल्विक एरिया (कमर से नीचे का हिस्सा) के लिए बहुत ही अस्वास्थ्यकर है.” कमज़ोर गुदा की मांसपेशियों और जबरन तनाव के अलावा, टॉयलेट बाउल पर बहुत देर तक बैठने से रेक्टल प्रोलैप्स का जोखिम भी बढ़ सकता है. (image generated by Mata AI)
कमज़ोर गुदा की मांसपेशियों और जबरन तनाव के अलावा, टॉयलेट बाउल पर बहुत देर तक बैठने से रेक्टल प्रोलैप्स का जोखिम भी बढ़ सकता है. रेक्टल प्रोलैप्स तब होता है जब मलाशय, बड़ी आंत का हिस्सा, नीचे खिसक जाता है और गुदा से बाहर निकल जाता है.
पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां एक और प्रकार की मांसपेशी है जो लंबे समय तक टॉयलेट में बैठने से कमजोर हो जाती है.पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां मल त्याग की मात्रा के साथ तालमेल बिठाती हैं और शरीर के बाकी हिस्सों के साथ मिलकर काम करती हैं ताकि सुनिश्चित हो सके कि मल आसानी से बाहर आ जाए. लंबे समय तक लगातार बैठे रहने पर पेल्विक फ्लोर पर गुरुत्वाकर्षण दबाव मांसपेशियों पर बढ़ जाता है.
बाथरूम में अखबार या पत्रिकाएं भी नहीं पढ़ें
कैलिफोर्निया के एक इंटरवेंशनल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. लांस उराडोमो फोन, पत्रिकाओं और पुस्तकों को बाथरूम से बाहर रखने की सलाह देते हैं. बहुत से लोगों को टॉयलेट में अखबार पढ़ने की आदत होती है, ये भी हानिकारक है. जितना संभव हो उतना टॉयलेट बाउल पर कम बैठें.
तब थोड़ा टहलें
अध्ययन के अनुसार, अगर आपको शौच करने में परेशानी हो रही है, तो 10 मिनट बाद शौच करना छोड़ दें. इसकी बजाय, थोड़ा टहलें. क्योंकि इससे जो गति होगी वो आंत की मांसपेशियों को मल त्याग करने के लिए उत्तेजित कर सकती हैं. अध्ययन में शामिल एक डॉक्टर ने नियमित मल त्याग करने और तनाव से बचने के लिए हाइड्रेटेड रहने और ओट्स और बीन्स जैसे उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ खाने की भी सलाह दी.
कितना पानी पीना चाहिए और फाइबर वाला खाना
जानना चाहते हैं कि कितना पानी पीना चाहिए? नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिसिन रोजाना 2.7 से 3.7 लीटर पानी पीने की सलाह देती है. इसके अलावा, अमेरिकी कृषि विभाग हर 1,000 कैलोरी भोजन के लिए 14 ग्राम फाइबर की सलाह देता है. फाइबर और पानी मल को नरम बनाते हैं, जिससे मल त्यागना आसान हो जाता है.
तो इन बीमारियों का लक्षण
हालांकि कई बार परिस्थितियां ऐसी भी होती हैं, जिनमें लोगों को शौचालय में ज्यादा समय बिताना पड़ता है. मल त्याग करते समय लगातार कठिनाई या असुविधा होना गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का लक्षण हो सकता है, जैसे कि इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और क्रोन डिजीज (irritable bowel syndrome and Crohn’s disease).
तब पाचन तंत्र से जुड़ा एक कैंसर हो सकता है
कब्ज़ का बिगड़ना या लंबे समय तक शौचालय पर बैठने की ज़रूरत कैंसर का संकेत भी हो सकता है. अध्ययन कहता है, “अगर कोलन के अंदर कोई वृद्धि काफी बड़ी हो जाती है, तो यह आपके मल के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती है, जिससे कब्ज़ और रक्तस्राव हो सकता है.” कोलन पाचन तंत्र में एक ट्यूब के आकार का अंग है जो भोजन से पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करता है और अपशिष्ट को मलाशय में भेजता है. आजकल अधिक संख्या में युवा लोगों में कोलोन कैंसर पाया जा रहा है.
अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने हाल ही में बताया कि 1990 के दशक के मध्य से 55 वर्ष से कम आयु के लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर की दर में वृद्धि हुई है. इस संस्था ने अनुमान लगाया कि इस वर्ष कोलन कैंसर के 106,590 नए मामले तथा रेक्टल कैंसर के 46,220 नए मामले सामने आएंगे. अधिकतर युवा लोग उनसे बवासीर और कब्ज के बारे में बात करते थे. बाद में उनमें मलाशय कैंसर का निदान किया गया.
..तब डॉक्टर के पास जरूर जाएं
यदि आपको कब्ज या शौचालय में लंबे समय तक बैठने के ये लक्षण तीन सप्ताह से अधिक समय से हैं, तो आपको जरूर डॉक्टर के पास जाना चाहिए. लक्षणों की गंभीरता के आधार पर, आपका डॉक्टर आपको नज़दीकी जांच के लिए गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट या कोलोरेक्टल सर्जन के पास भेज सकता है.
Tags: Health, Health tipsFIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 15:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed