भारत के प्रसिद्ध मंदिरों के प्रसाद कैसे-कैसे कहीं लड्डू-पेड़ा तो कहीं 56 भोग
भारत के प्रसिद्ध मंदिरों के प्रसाद कैसे-कैसे कहीं लड्डू-पेड़ा तो कहीं 56 भोग
Prasad Offered in Famous Temples: अगर आप मंदिर में जाएं और प्रसाद न चढ़ाए या ग्रहण न करें तो आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है. भारत के हर हिस्से में कोई न कोई ऐसा मंदिर जरूर है जिसमें लोगों की अटूट आस्था है. इन सभी मंदिरों में प्रसाद में अलग-अलग तरह की चीजें चढ़ाई जाती हैं.
Prasad Offered in Famous Temples: भारत के हर कोने में एक ना एक ऐसा मंदिर जरूर मौजूद है जिसमें भक्तों की अपार आस्था है. सभी मंदिरों में एक चीज समान होती है वह है प्रसाद. ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि यहां मिलने वाला प्रसाद भी एक खास अनुभव प्रदान करता है. हर मंदिर का अपना विशिष्ट प्रसाद होता है जो उस मंदिर की परंपरा और देवता के साथ जुड़ा होता है. कभी-कभी एक दिलचस्प कहानी होती है कि किसी विशेष मंदिर में एक विशेष प्रकार का प्रसाद क्यों चढ़ाया जाता है. आइए जानते हैं कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के प्रसाद के बारे में…
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम
यहां प्रसाद में लड्डू दिया जाता है. इसकी मीठी खुशबू और स्वाद भक्तों को खूब भाती है. तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले लड्डू में बेसन, काजू, इलायची, घी, चीनी, मिश्री और किशमिश को मिलाया जाता है. फिर ये प्रसाद तैयार किया जाता है. उन भक्तों के लिए ये प्रसाद बहुत ही पवित्र माना जाता है जो भगवान तिरुपति के दर्शन करने के लिए जाते हैं. फिलहाल ये लड्डू मिलावट के कारण चर्चा में हैं. इन लड्डुओं को बनाने के लिए जो देसी घी इस्तेमाल किया जाता था, उसमें पशुओं की चर्बी और अन्य चीजों की मिलावट पायी गई है. यह मंदिर अपने स्वादिष्ट रसोई प्रसाद के लिए जाना जाता है, जिसे सौर ऊर्जा से संचालित रसोई में 1,100 रसोइयों द्वारा बनाया जाता है.
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जगन्नाथ मंदिर, पुरी
ओडिशा का यह मंदिर अपने महाप्रसाद के लिए जाना जाता है, जिसमें मिट्टी के बर्तनों में पकाए गए विभिन्न प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं, जिन्हें लकड़ी जलाकर गर्म रखा जाता है. इस मंदिर के रसोईघर को दुनिया की सबसे बड़ी रसोईघर का दर्जा मिला हुआ है. इस प्रसाद में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए जाने वाले 56 खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं. महाप्रसाद दो प्रकार का होता है. एक को संकुडी महाप्रसाद और दूसरे को सुखिला महाप्रसाद कहा जाता है. पहले में स्वादिष्ट व्यंजन शामिल हैं, जबकि दूसरे में केवल मिठाइयां शामिल हैं.
सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई का यह मंदिर अपने मोदक के लिए जाना जाता है. मोदक एक मीठा व्यंजन है और इसे भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई माना जाता है. मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर भगवान गणेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. यहां का महाप्रसाद भी बहुत पॉपुलर है. माना जाता है कि सिद्धिविनायक का गणपति का प्रसाद ग्रहण करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
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श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम
केरल के इस मंदिर में कई तरह के प्रसाद मिलते हैं. उसमें मुख्य है पाल पायसम, जो चावल और दूध से बनी एक प्रकार की खीर है. इसके अलावा उन्नियाप्पम भी प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है. ये चावल, गुड़, केला, भुना हुआ नारियल, तिल और घी से बनी मीठी तली हुई गेंदें हैं. इसके साथ ही यहां पारंपरिक सुनहरे पीले रंग के चंदना प्रसाद का वितरण भी किया जाता है.
शिरडी साईं बाबा मंदिर, अहमदनगर
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिरडी के साईं बाबा मंदिर में भी तिरुपति बालाजी की तरह प्रसाद में लड्डू मिलता है. प्रसादालय में परोसा जाने वाला भोजन साईंनाथ का प्रसाद माना जाता है. यह भोजन सबसे पहले साईं को और फिर उनके भक्तों को समर्पित किया जाता है. भोजन में दाल, चपाती, चावल, दो तरह की सब्जियां और मिठाई शामिल होती है. यह सभी भक्तों को मुफ्त परोसा जाता है. इसके अलावा यह मंदिर उदी वितरित करने के लिए जाना जाता है, जो एक पवित्र राख है. ऐसा माना जाता है कि इसमें उपचारात्मक गुण होते हैं.
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राम मंदिर, अयोध्या
अयोध्या के राम मंदिर में पेड़ा और लड्डू का प्रसाद मिलता है. लेकिन माना जाता है कि भगवान श्रीरामजी को केसर भात, खीर और धनिए का भोग पसंद है. इसके अलावा उन्हें कलाकंद, बर्फी और गुलाब जामुन का भोग भी बहुत प्रिय है.
श्री बांकेबिहारी, वृंदावन
भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर माखन मिश्री और पेड़े के लिए जाना जाता है जो गाय के शुद्ध दूध से बनाए जाते हैं. माखन मिश्री मिनी कुल्हड़ (मिट्टी के बर्तन) में आती है जिसे स्थानीय कारीगरों द्वारा हाथों से बनाया जाता है. बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि भगवान कृष्ण को लगाए जाने वाले दिन के पहले भोग को ‘बाल भोग’ कहा जाता है, जिसमें कचौरी, सूखे आलू की सब्जी और बेसन के लड्डू होते हैं. भगवान श्रीकृष्ण को माखन और मिश्री का नैवैद्यम बहुत पसंद है. इसके अलावा खीर, हलुआ, पूरनपोली, लड्डु और सेवइयां भी उनको बहुत पसंद हैं.
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स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
स्वर्ण मंदिर सिखों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है. आटा, घी, चीनी और पानी से बने स्वर्ण मंदिर के प्रसिद्ध प्रसाद को ‘कड़ाह प्रसाद’ कहा जाता है. इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हर दिन लंगर भी चलता है. लंगर में रोटी, दाल, चावल और सब्जी शामिल होती है, जो सभी भक्तों के लिए निर्धारित समय तक मुफ्त में उपलब्ध होता है.
माता वैष्णो देवी, कटरा
जम्मू के पास पहाड़ियों में स्थित इस मंदिर में दो तरह का प्रसाद मिलता है. पहला है मिश्री का छोटा पैकेट, जिसके साथ छोटा चांदी का सिक्का भी होता है. इस सिक्के पर देवी-देवताओं की आकृति अंकित होती है. दूसरा प्रसाद जो आमतौर पर यहां उपलब्ध होता है वह है मुरमुरे, सूखा सेब, सूखा नारियल और इलाइची दाना का मिश्रण. इन्हें पर्यावरण-अनुकूल जूट बैग में खूबसूरती से पैक किया गया है.
कामाख्या देवी, गुवाहाटी
असम की राजधानी गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर में भक्तों को अनोखा प्रसाद मिलता है. तीन दिन देवी सती के मासिक धर्म के चलते माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है. तीन दिन बाद कपड़े का रंग लाल हो जाता है, तो इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है. इसके अलावा, कामाख्या देवी को मिठाई, लौकी, कद्दू, और गन्ना भी चढ़ाया जाता है. यहां न तो माता की कोई मूर्ति है और न ही कोई तस्वीर. साल में तीन दिनों के लिए पुरुषों को इस मंदिर में जाने की अनुमति नहीं होती.
Tags: Ayodhya ram mandir, Golden temple, Shirdi Sai Baba Mandir, Tirupati balajiFIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 19:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed