मोदी-चंद्रचूड़ से 75 साल पहले जज की पार्टी पर हुआ बवाल पटेल को देना पड़ा दखल
मोदी-चंद्रचूड़ से 75 साल पहले जज की पार्टी पर हुआ बवाल पटेल को देना पड़ा दखल
PM Narendra Modi- CJI DY Chandrachud: नेताओं के जजों के प्राइवेट कार्यक्रम में जाने को लेकर बवाल आजादी के ठीक बाद शुरू हो गया था. तत्कालीन गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल को हस्तक्षेप करना पड़ा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) CJI डीवाई चंद्रचूड़ के बुलावे पर उनके आवास पर गणेश पूजा में शामिल हुए. प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल से सीजेआई के साथ तस्वीरें साझा की और लिखा, ‘चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के घर गणेश पूजा में शामिल हुआ. भगवान गणेश हम सबको सुख, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करें…’ पीएम के सीजेआई (CJI DY Chandrachud) के निजी समारोह में शामिल होने सियासी घमासान मच गया. विपक्ष इसे कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बता रहा है. वकीलों का एक गुट भी हमलावर है.
राजगोपालाचारी को जज की पार्टी में बुलाया तो भड़क गए
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब कोई नेता या जज किसी प्राइवेट कार्यक्रम में शामिल हुए हों. खासकर जजों के प्राइवेट पार्टी में शामिल होने को लेकर तो सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से बहस चलती आ रही है. शुरुआत आजादी के 2 साल बाद फरवरी 1949 में हो गई थी. गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी को फेडरल कोर्ट के एमसी महाजन के सम्मान में आयोजित एक पार्टी में इनवाइट किया गया. यह पार्टी दिल्ली के रोशनआरा क्लब में रखी गई थी. राजगोपालाचारी इस न्योते से बहुत नाराज हुए. उन्होंने गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल को चिट्ठी लिखी और कहा, ‘मुझे इस तरीके से जजों, सरकारी अफसरों आदि के लिए प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा आयोजित पार्टी कतई पसंद नहीं है…’
बॉम्बे हाई कोर्ट के एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब ‘सुप्रीम व्हिसपर्स’ (Supreme Whispers) में लिखते हैं कि वल्लभभाई पटेल ने तत्कालीन CJI हरिलाल जे. कानिया से बात की और महाजन को भी राजगोपालाचारी की राय से अवगत कराया. आखिर में पटेल ने राजाजी को चिट्ठी लिखी और कर कहा, ‘संभावना है कि अब वो कार्यक्रम रद्द कर दिया जाए…’ हालांकि बाद में जब साल 1954 में जस्टिस महाजन रिटायर हुए तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि उनके सम्मान में बार और स्टाफ ने गार्डन पार्टी आयोजित की थी. सी. राजगोपालाचारी (फाइल फोटो)
CJI पर बरस पड़े थे अटॉर्नी जनरल
भारत के पहले अटॉर्नी जनरल (AG) एम.सी सीतलवाड़ (Motilal Chimanlal Setalvad) तो प्राइवेट पार्टियों को लेकर तमाम मौके पूर्व सीजेई पीबी गजेंद्रगाडकर को घेरते रहे. साल 1966 में जब गजेंद्रगाडकर रिटायर हुए तो वकीलों ने उनके लिए एक भोज रखा और उन्हें आमंत्रित किया. अटॉर्नी जनरल सीतलवाड़ ने इसे डेकोरम के खिलाफ बताकर तीखा विरोध किया. अभिनव चंद्रचूड़ (Abhinav Chandrachud) लिखते हैं कि जजों को प्राइवेट पार्टी में बुलाने या नेताओं के जजों की पार्टी में जाने का सिलसिला सिर्फ दिल्ली या मुंबई तक सीमित नहीं था. पहले अटॉर्नी जनरल एम.सी सीतलवाड़ (फाइल फोटो)
चीफ जस्टिस ने ठुकरा दिया CM का न्योता
साल 1992 में जब लीला सेठ हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुईं तो राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उनके लिए फेयरवेल डिनर का आयोजन किया. हाईकोर्ट की पहली चीफ जस्टिस रहीं लीला सेठ (Leila Seth) खुद मानती थीं कि डिनर में शामिल होने में कोई हर्ज नहीं है. लेकिन उनके साथी जजों ने कड़ी आपत्ति जताई और उन्हें इनविटेशन एक्सेप्ट करने से मना किया. मजबूरन लीला सेठ को सीएम का न्योता ठुकराना पड़ा.
बेटे की शादी में राष्ट्रपति को नहीं बुला पाए जज
पूर्व सीजेआई एम हिदायतुल्ला तो निजी कार्यक्रमों में नेताओं को बुलाने के कतई खिलाफ थे. अभिनव चंद्रचूड़ लिखते हैं कि जब जस्टिस ग्रोवर के बेटी की शादी हो रही थी तो वह राष्ट्रपति वीवी गिरी और उपराष्ट्रपति जी.एस. पाठक को आमंत्रित करना चाहते थे. दोनों जस्टिस ग्रोवर के अच्छे दोस्त भी थे. जब सीजेआई एम हिदायतुल्ला को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने साफ मना कर दिया और कहा कि इससे अच्छा मैसेज नहीं दिया जाएगा. आखिरकार जस्टिस महाजन को झुकना पड़ा और दोस्त होते हुए भी उन्होंने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को इनवाइट नहीं किया.
Tags: DY Chandrachud, Justice DY Chandrachud, Pm narendra modi, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 15:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed