सुभाष बोस ने सिंगापुर में आज बनाई वो सरकार जिसने अंग्रेजों की नींद हराम कर दी
सुभाष बोस ने सिंगापुर में आज बनाई वो सरकार जिसने अंग्रेजों की नींद हराम कर दी
भारत के लिए 21 अक्टूबर 1943 का दिन इसलिए हमेशा यादगार रहेगा, क्योंकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में अस्थायी भारतीय सरकार का गठन करके खुली चुनौती दे दी. इसके बाद जब इस सरकार ने आजाद हिंद फौज को नए सिरे से खड़ा करना शुरू किया तो अंग्रेजों को समझ में आ गया कि उन्हें पहली बार बहुत गंभीर लड़ाई का सामना करना पड़ेगा.
हाइलाइट्सआज सिंगापुर में नेताजी ने बनाई थी भारत की आजाद सरकार, बने थे प्रधानमंत्रीअस्थायी सरकार में सुभाष चंद्र बोस ने संभाला था युद्ध और विदेश मंत्री का काम भीसिंगापुर के कैथे सिनेमा हाल में हुई थी ये ऐतिहासिक घटना, 1500 से ज्यादा लोग थे मौजूद
21 अक्टूबर 1943 का दिन भारत के लिए इसलिए बहुत स्पेशल दिन कहा जा सकता है क्योंकि इस दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आजाद भारत की अस्थायी सरकार बनाई थी. इस सरकार के गठन के बाद उन्होंने फिर नए सिरे से आजाद हिंद फौज को खड़ा किया. उनकी सरकार और आजाद हिंद फौज ने फिर अंग्रेजों की नींद हराम कर दी. अंग्रेज पहले तो उनकी अस्थायी सरकार के गठन से ही बहुत बुरी तरह से बौखला गए थे. फिर जब उनकी सेना मजबूती लेती गई तो इससे उन्हें जबरदस्त झटका लगा.
21 अक्टूबर 1943 के दिन भारतीय स्वतंत्रता लीग के प्रतिनिधि सिंगापुर के कैथे सिनेमा हाल में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की ऐतिहासिक घोषणा सुनने के लिए इकट्ठे थे. हाल खचाखच भरा था. खड़े होने के लिए इंच भर भी जगह नहीं.
घड़ी में जैसे ही शाम के 04 बजे. मंच पर नेताजी खड़े हुए. उन्हें एक खास घोषणा करनी थी. ये घोषणा 1500 शब्दों में थी, जिसे नेताजी ने दो दिन पहले रात में बैठकर तैयार किया था.
घोषणा में कहा गया, “अस्थायी सरकार का काम होगा कि वो भारत से अंग्रेजों और उनके मित्रों को निष्कासित करे. अस्थायी सरकार का ये भी काम होगा कि वो भारतीयों की इच्छा के अनुसार और उनके विश्वास की आजाद हिंद की स्थाई सरकार का निर्माण करे.”
सिंगापुर के एस्प्लेनेड पार्क में लगी आईएनए की भूमिका का उल्लेख करती हुई स्मृति पट्टिका
नेताजी ने संभाले तीन पद
अस्थायी सरकार में सुभाष चंद्र बोस प्रधानमंत्री बने और साथ में युद्ध और विदेश मंत्री भी. इसके अलावा इस सरकार में तीन और मंत्री थे. साथ ही एक 16 सदस्यीय मंत्रि स्तरीय समिति. अस्थायी सरकार की घोषणा करने के बाद भारत के प्रति निष्ठा की शपथ ली गई.
हर कोई भावुक था
जब सुभाष निष्ठा की शपथ लेने के लिए खड़े हुुए तो कैथे हाल में हर कोई भावुक था. वातावरण निस्तब्ध. फिर सुभाष की आवाज गूंजी, “ईश्वर के नाम पर मैं ये पावन शपथ लेता हूं कि भारत और उसके 38 करोड़ निवासियों को स्वतंत्र कराऊंगा. “
नेताजी की आंखों से बहने लगे आंसू
उसके बाद नेताजी रुक गए. उनकी आवाज भावनाओं के कारण रुकने लगी. आंखों से आंसू बहकर गाल तक पहुंचने लगे. उन्होंने रूमाल निकालकर आंसू पोछे. उस समय हर किसी की आंखों में आंसू आ गए. कुछ देर सुभाष को भावनाओं को काबू करने के लिए रुकना पड़ा.
आखिरी सांस तक लड़ता रहूंगा
फिर उन्होंने पढ़ना शुरू किया, “मैं सुभाष चंद्र बोस, अपने जीवन की आखिरी सांस तक स्वतंत्रता की पवित्र लड़ाई लडता रहूंगा. मैं हमेशा भारत का सेवक रहूंगा. 38 करोड़ भाई-बहनों के कल्याण को अपना सर्वोत्तम कर्तव्य समझूुंगा.”
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अस्थायी सरकार बनाने के साथ आजाद हिंद फौज में नई जान भी फूंकी. इसका मुख्यालय भी उन्होंने सिंगापुर में ही बनाया.
“आजादी के बाद भी मैं हमेशा भारत की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने रक्त की आखिरी बूंद बहाने को तैयार रहूंगा.” नेताजी के भाषण के बाद देर तक “इंकलाब जिंदाबाद”, “आजाद हिंद जिंदाबाद” के आसमान को गूंजा देने वाले नारे गूंजते रहे.
आजाद हिंद सरकार
सुभाष चंद्र बोस – राज्याध्यक्ष, प्रधानमंत्री, युद्ध और विदेश मंत्री
कैप्टेन श्रीमती लक्ष्मी – महिला संगठन
एसए अय्यर – प्रचार और प्रसारण
लै. कर्नल एसी चटर्जी – वित्त
लै. कर्नल अजीज अहमद, लै, कर्नल एनएस भगत, लै. कर्नल जेके भोंसले, लै. कर्नल गुलजार सिंह, लै. कर्नल एम जैड कियानी, लै. कर्नल एडी लोगनादन, लै. कर्नल एहसान कादिर, लै. कर्नल शाहनवाज (सशस्त्र सेना के प्रतिनिधि), एएम सहायक सचिव, रासबिहारी बोस (उच्चतम परामर्शदाता), करीम गनी, देवनाथ दास, डीएम खान, ए, यलप्पा, जे थीवी, सरकार इशर सिंह (परामर्शदाता), एएन सरकार (कानूनी सलाहकार)
07 देशों ने तुरंत दे दी थी मान्यता
बोस की इस सरकार को जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, इटली, मांचुको और आयरलैंड ने तुरंत मान्यता दे दी. जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिए। नेताजी उन द्वीपों में गए. उन्हें नया नाम दिया. अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप और निकोबार का नाम स्वराज्य द्वीप रखा गया. 30 दिसंबर 1943 को इन द्वीपों पर आजाद भारत का झंडा भी फहरा दिया गया.
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Tags: Netaji Subhash Chandra Bose, Subhash Chandra BoseFIRST PUBLISHED : October 21, 2022, 10:25 IST