50 डिग्री तापमान पहुंचने पर क्या बिगड़ सकता है आपका मानसिक संतुलन… जानें सबकुछ

High Temperature Effects on Brain : क्या तापमान बढ़ने से आपके दिमाग पर भी इसका असर पड़ता है? तापमान बढ़ने की यही रफ्तार रही तो देश में मानसिक मरीजों की संख्या और बढ़ जाएगी? 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान रहने से क्या इंसान मानसिक संतुलन खो सकता है?,

50 डिग्री तापमान पहुंचने पर क्या बिगड़ सकता है आपका मानसिक संतुलन… जानें सबकुछ
हाइलाइट्स क्या तापमान बढ़ने से आपके दिमाग पर भी असर पड़ता है? नई दिल्ली. देश के 20 से ज्यादा राज्यों में भीषण गर्मी से कोहराम मचा हुआ है. दिल्ली, यूपी, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में लगातार मौतें हो रही हैं. अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या में लगातार तेजी आ रही है. बच्चों, युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों के साथ-साथ मानसिक रोगियों को बढ़ते तापमान ने अब रुलाना शुरू कर दिया है. देश के कई राज्यों के अस्पतालों के ओपीडी में मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बता दें कि अस्पतालों में 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंचने के बाद लोग बेचैनी और नींद की कमी की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. ऐसे में आज जानेंगे कि क्या तापमान बढ़ने से आपके दिमाग पर भी इसका असर पड़ता है? तापमान बढ़ने की यही रफ्तार रही तो देश में मानसिक मरीजों की संख्या में और तेजी आ जाएगी? तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के ऊपर या आसपास रहने से क्या आप अपना मानसिक संतुलन खो सकते हैं? दिल्ली विश्व विद्यालय के भीम राव अंबेडकर कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के एचओडी नवीन कुमार कहते हैं, ‘देखिए शहरीकरण के बाद मानसिक रोगियों की संख्या में तेजी आई है. तापमान बढ़ने से भी इसमें तेजी आ सकती है. अगर आप पर्यावरण का दोहन करेंगे तो इस स्थिति से सामना करने के लिए तैयार रहें. हाल के वर्षों में तापमान ने भी लोगों के मनोविज्ञान पर गहरा असर डाला है. ये अब ट्रोमा का रुप लेने लगा है. स्ट्रीम हीट कंडिशन होने से बच्चों के मानसिक स्थिति में बदलाव आने लगता है. तापमान बढ़ने से लोगों को कई तरह दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं. जैसे बेचैनी, काम में मन नहीं लगना, किसी से बात करने की इच्छा नहीं होना, शांत और एकांत रहना, मन में घबराहट. लोगों को कई तरह की दिक्कतें शुरू होने लगती हैं, जिसका समय पर इलाज नहीं किया जाए तो उसे पागलपन का दौरा भी पड़ सकता है’ मेनिया में इंसान बहुत तेजी से बात करता है. इंसान का मूड हाई रहता है. क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स मैक्स अस्पताल पटपड़गंज के मनोचिकित्सा विभाग में तैनात डॉ राजेश कुमार कहते हैं,’ पहले हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि कौन-कौन सी ऐसी चीज है, जो गर्मी बढ़ने से बढ़ जाती है. बाइपोलर अफेक्टिव डिसऑर्डर टेम्प्रेचर से बहुत ज्यादा कंट्रोल होता है या प्रभावित होता है. बायपोलर का मतलब दो पोल. एक पोल अगर नॉर्मल मूड से लो है तो इसे डिप्रेशन कहते हैं. दूसरा पोल अगर नॉर्मल मूड से हाई है तो उसे मेनिया फेज बोलते हैं. एक तरफ मेनिया एक तरफ डिप्रेशन. देखिए डिप्रेशन में तो चुपचाप रहना, बात कम करना, निगेटिव सोचना, अलग-अलग रहना, Hopelessness कि हम बेकार हैं कुछ नहीं कर सकते, कोई फायदा नहीं है मर जाना बेहतर है, आज तक कुछ नहीं किए हैं, काम में मन नहीं लगना, माइल्ड फॉर्म में चिड़चिड़ापन रहना, हंसी मजाक नहीं करना, ये सारे डिप्रेशन के लक्षण हैं. वहीं, मेनिया में इंसान बहुत तेजी से बात करता है. इंसान का मूड हाई रहता है. उसके मन में रहता है कि मेरे पास बहुत धन-दौलत है. मैं पढ़ने में बहुत तेज हूं, मेरा कनेक्शन प्रधानमंत्री से है मुख्यमंत्री से है यानी अंड-बंड बोलता रहता है. वह शख्स अपनी बातों को सही ठहराने की भी कोशिश करता है. इस तरह के लोगों को नींद कम आना, नशा ज्यादा करते हैं. इस तरह के मरीज अप्रैल, मई, जून और जुलाई के महीने में ज्यादा प्रभावित होते हैं. गर्मी मानसिक कंट्रोल पर असर करता है. मेनिया वाला सिस्टम इससे मिलता जुलता है.’ डॉक्टरों का मानना है कि अगर आपके चेहरे से हंसी गायब हो जाए तो यह भी अवसाद की ही लक्षण है. ये भी पढ़ें: दिल्ली में हीट वेव से हलकान… क्या लागू होगा एक्शन प्लान? जानें फायर डिपार्टमेंट के पास हर घंटे आ रहे कितने फोन कॉल्स तीसरा, परसेप्शन यह हाई टेम्प्रेचर में भी हो सकता है और लो टेम्प्रेचर में भी हो सकात है. अगर हम इंसान हैं और हमें लगता है कि बाहर बहुत गर्मी है और बाहर जाएंगे तो लू लग जाएगा और हम मर जाएंगे तो वह शख्स घर में रहना शुरू कर देता है. इसे एंजायटी का प्रॉब्लम बी कहते हैं. इस स्थिति में जैसे-जैसे टेम्प्रेचर बढ़ेगा उसको घबरहाट और बढ़ती जाएगी. यह परसेप्शन है. जबकि, यह इलेक्ट्रोलाइड्स शरीर में सोडियम और पोटाशियम की कमी आ जती है. इस तरह के मरीजों को आप नींबू-पानी पिलाएंगे वह ठीक हो जाएगा. यह हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है. सोडियम 130 से कम होने पर लोग अनाप-शनाप बोलने लगता है या फिर और स्लो हो जाता है. मेरी समझ से तापमान बढने से किसी की मानसिक स्थिति पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है. जहां तक रही देश में तापमान बढ़ने से पागलों की संख्या बढ़ने की तो ऐसा स्टडी नहीं है. राजस्थान या दुबई में 50-52 टेम्प्रेचर में भी लोग रहते हैं. इंस्‍टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज इबहास (IHBAS) अस्पातल दिल्ली में रोजाना 2500 मरीज आ रहे हैं. हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पहले भी अमूमन इतने ही मरीज आते थे. लेकिन, तापमान बढ़ने के बाद कुछ ऐसे मरीज भी आ रहे हैं, जिनकी दिक्कतें कुछ अलग नजर आ रही हैं. अस्पताल के मुताबिक, ‘हमने बिजली, पानी और कुलिंग को लेकर विशेष इंतजाम किए हैं. साथ ही मनोचिकित्सक बढ़ते तापमान को लेकर मरीजों को जरूरी सलाह दे रहे हैं.’ Tags: Extreme weather, Heat Wave, Mental diseasesFIRST PUBLISHED : June 1, 2024, 15:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed