कभी सब्जी बेची तो कभी बाहुबली बने रुतबा ऐसा कि 2 बार डिप्टी सीएम रहे

Chhagan Bhujbal: एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल इन दिनों मंत्री पद न मिलने से नाराज हैं. उन्होंने अपना अलग रास्ता अपनाने का संकेत दे दिया है. महाराष्ट्र में ओबीसी का यह बड़ा नेता कभी सब्जी बेचता था, लेकिन 60 के दशक में शिवसेना का दामन थामने के बाद उन्होंने राजनीति में सफलता की सीढ़ियां बहुत तेजी से चढ़ीं. वह दो बार राज्य के डिप्टी सीएम भी रहे.

कभी सब्जी बेची तो कभी बाहुबली बने रुतबा ऐसा कि 2 बार डिप्टी सीएम रहे
Chhagan Bhujbal: महाराष्ट्र में महायुति के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल नई बनी सरकार में मंत्री पद न मिलने से नाराज हैं. छगन भुजबल ने पार्टी प्रमुख अजित पवार पर निशाना साधा और पार्टी के संचालन के तरीके पर असंतोष जताया. यहां तक कि उन्होंने स्वतंत्र रास्ता अपनाने का संकेत दिया. छगन भुजबल ने कहा, “जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.” उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने के इच्छुक होने के बावजूद उन्हें शामिल नहीं किया गया. छगन भुजबल ने नासिक में कहा, “मैं आपके हाथों का खिलौना नहीं हूं जो आंख मूंदकर सब कुछ मान लूंगा… छगन भुजबल ऐसे आदमी नहीं हैं… मुख्यमंत्री ( देवेंद्र फडणवीस ) चाहते थे कि मैं कैबिनेट में शामिल होऊं. मैंने भी इसकी पुष्टि की और मुझे पता चला कि वह मुझे कैबिनेट में शामिल करने पर जोर दे रहे थे. लेकिन मुझे हटा दिया गया. अब मुझे पता लगाना होगा कि किसने इसे खारिज किया.” उन्होंने कहा कि मराठा सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल का विरोध करने और ओबीसी समुदाय के लिए खड़े होने के कारण उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिली.  ये भी पढ़ें- Explainer: एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी मिलने के बाद क्या बदलेगा? समझें पूरा प्रोसेस जब उनसे उनके भविष्य के कदम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने किशोर कुमार के गाने की एक पंक्ति का हवाला देते हुए कहा, “देखते हैं. जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.” छगन भुजबल ने कहा कि शिवसेना , कांग्रेस और एकीकृत एनसीपी समेत वे जिन पार्टियों से जुड़े रहे हैं, वे हमेशा महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले उनके जैसे नेताओं से सलाह लेते हैं. इस मामले में उन्होंने अजित पवार की एनसीपी की आलोचना की.  कभी सब्जी बेचते थे भुजबल महाराष्ट्र की राजनीति में वैसे तो तमाम कद्दावर नेता हैं. लेकिन जितने बड़े चेहरे हैं, लेकिन उन सभी में छगन भुजबल का एक अलग ही मुकाम है. उनका राजनीतिक जीवन तमाम चुनौतियों से भरा रहा है. उनके लिए कहा जा सकता है कि उन्होंने फर्श से लेकर अर्श तक का सफर तय किया है. एक समय था जब भुजबल सब्जी बेचा करते थे, लेकिन यही व्यक्ति एक दिन महाराष्ट्र का डिप्टी सीएम बना. वो भी एक नहीं दो-दो बार. उनको राज्य के बाहुबली नेता के तौर पर भी जाना जाता है. छगन भुजबल महाराष्ट्र के नासिक जिले के येवला निर्वाचन क्षेत्र साल 2004 से लगातार विधायक हैं. पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने येवला में एनसीपी-एसपी के माणिकराव माध्वराव शिंदे को हराकर अपना जलवा बनाए रखा.   बाला साहेब ठाकरे के विचारों से बहुत ज्यादा प्रभावित थे छगन भुजबल. ये भी पढ़ें- भारत के पहले मुस्लिम CJI जो 2 बार रहे कार्यवाहक राष्ट्रपति, पूर्व पीएम थे उनके स्टूडेंट शिवसेना से शुरू किया राजनीतिक सफर साल 1947 में जन्में छगन भुजबल का राजनीतिक सफर 1960 के दशक में तब शुरू हुआ जब उन्होंने शिवसेना का दामन थामा. उस समय बायकुला में सब्ज़ियां बेचने वाले भुजबल बाला साहेब ठाकरे के जोशीले भाषणों से प्रेरित थे. वह बाला साहेब ठाकरे के विचारों से बहुत ज्यादा प्रभावित थे. बाला साहेब के साथ राजनीति करते हुए उन्होंने अपनी राजनीति की जमीन का दायरा बढ़ाया और मुंबई से कॉर्पोरेटर चुने गए. वह शिवसेना के शुरुआती सदस्यों में से एक थे. जल्द ही उन्होंने खुद को पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से एक के रूप में स्थापित कर लिया. वह एक बार मुंबई के मेयर भी बने. महाराष्ट्र में एक स्थापित ओबीसी चेहरा, भुजबल अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के प्रमुख भी हैं.  ये भी पढ़ें- कौन थीं पद्मजा नायडू, क्या उनसे वाकई शादी करना चाहते थे जवाहर लाल नेहरू जब शरद पवार ने अपनी एक अलग पार्टी बनाने की ठानी और कांग्रेस को छोड़कर नई पार्टी का गठन किया उस वक्त छगन भुजबल ने उनका साथ दिया. 1991 में डाली शिवसेना में बड़ी फूट छगन भुजबल पहली बार 1985 में और फिर 1990 में मझगांव विधानसभा सीट से विधायत चुने गए. लेकिन जब बाल ठाकरे ने मनोहर जोशी को विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया, तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी. छगन भुजबल को ठाकरे परिवार के खिलाफ बगावत करने के लिए भी जाना जाता है. 1991 में छगन भुजबल ने शिवसेना में बड़ी फूट डाली थी और 18 विधायकों को अपने साथ लेकर शिवसेना बी पार्टी बना ली थी. वह दलबदल कराने वाले पहले हाई-प्रोफाइल शिवसेना नेता थे. बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए.  ये भी पढ़ें- वो निजाम जो फ्रेंच फैशन के थे दीवाने, उनके इस्तेमाल मोजे बेचकर करोड़पति बन गया नौकर  1999 के विधानसभा चुनावों के बाद जब कांग्रेस-एनसीपी ने सरकार बनाई, तब छगन भुजबल उपमुख्यमंत्री बने. पहले कांग्रेस फिर एनसीपी में गए, बने डिप्टी सीएम लेकिन 1995 में अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पहली बार राज्य में सत्ता से बाहर हो गई और छगन भुजबल भी अपना चुनाव हार गए. एक वक्त आया जब शरद पवार ने अपनी एक अलग पार्टी बनाने की ठानी और कांग्रेस को छोड़कर नई पार्टी का गठन किया. उस वक्त छगन भुजबल ने उनका साथ दिया और कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ खड़े रहे. इसका इनाम उन्हें यह मिला कि उनके नए बॉस शरद पवार ने उन्हें विधान परिषद में विपक्ष का नेता बना दिया. जब शरद पवार ने कांग्रेस छोड़कर एनसीपी बनाई थी, तब छगन भुजबल पार्टी के पहले प्रदेश अध्यक्ष थे. 1999 के विधानसभा चुनावों के बाद जब कांग्रेस-एनसीपी ने सरकार बनाई, तब छगन भुजबल उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि, जब शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने सत्ताधारी शिंदे गुट का साथ देने का फैसला लिया तो छगन भुजबल ने उनका साथ दिया और शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ भी ली. ये भी पढ़ें- 106 यात्रियों को ले जा रही ट्रेन टनल में घुसते ही हो गई गायब, किसी तरह बचे 2 पैसेंजर, आज तक बनी हुई है मिस्ट्री बाल ठाकरे को कराया गिरफ्तार 2002 में उन्होंने 1992-93 के दंगों के सिलसिले में शिवसेना के मुखपत्र सामना के खिलाफ एक मामले में बाला साहेब ठाकरे की गिरफ्तारी का आदेश दिया. हालांकि अदालत ने बाल ठाकरे को छोड़ दिया, लेकिन इस बात पर छगन भुजबल और बाल ठाकरे के बीच संबंध खत्म हो गए. पांच साल पहले छगन भुजबल के शिवसेना में शामिल होने की चर्चा चली थी. लेकिन तब मुंबई के दादर स्थित सेना भवन और मराठी बाहुल्य क्षेत्रों के कुछ अन्य इलाकों के बाहर एनसीपी विधायक को पार्टी में शामिल करने के खिलाफ पार्टी नेतृत्व को आगाह करने वाले बैनर लगाए गए थे. अतीत को याद दिलाते हुए बैनरों में याद दिलाया गया कि यह भुजबल ही थे जिन्होंने सेना सुप्रीमो (दिवंगत) बाल ठाकरे को गिरफ्तार करवाया था. एक बैनर पर लिखा था, “महाराष्ट्र के लोग साहेब (बाल ठाकरे) को दिए गए दर्द को कभी नहीं भूल सकते. आप (भुजबल) जहां हैं, वहीं रहें.” वही छगन भुजबल एक बार फिर अपने लिए नया रास्ता तलाश रहे हैं. देखते हैं कि इस बार उनका पड़ाव कहां पर होता है. Tags: Ajit Pawar news, Maharashtra News, NCP Leader, Sharad pawarFIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 13:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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