जम्मू-कश्मीर में कौन सी मुख्य पार्टियां लड़ रही हैं चुनाव किसका कितना असर 

Jammu Kashmir Assembly Elections: -कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव कराये जा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर दिल्ली और पुडुचेरी के बाद निर्वाचित विधानसभा वाला तीसरा केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बन जाएगा. पिछले चुनावों के बाद से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या बढ़कर 90 हो गई है. जम्मू-कश्मीर में इस समय कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं है. कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं, लेकिन राज्य में उनकी कोई साझेदारी नहीं है.

जम्मू-कश्मीर में कौन सी मुख्य पार्टियां लड़ रही हैं चुनाव किसका कितना असर 
Jammu Kashmir Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है. केंद्र की मोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को रद्द करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था. इस सरहदी सूबे को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था. चुनाव आयोग ने पिछले हफ्ते बताया कि जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को मतदान होंगे. जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव कराये जा रहे हैं. यहां के प्रमुख दल पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की बात कर रहे हैं. अब चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है तो कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की अपनी मांग फिर से दोहराई है. विधानसभा सीटों पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटा लागू होने के बाद यह पहला चुनाव है. जम्मू-कश्मीर दिल्ली और पुडुचेरी के बाद निर्वाचित विधानसभा वाला तीसरा केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बन जाएगा. पिछले चुनावों के बाद से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या बढ़कर 90 हो गई है, जिसमें जम्मू क्षेत्र को सात अतिरिक्त सीटों में से छह मिली हैं. जम्मू-कश्मीर में पिछले विधानसभा चुनाव दिसंबर, 2014 में हुए थे. उस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. मुफ्ती मोहम्मद सईद की अगुआई वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने 83 सीटों में से सबसे ज्यादा 28 सीटें जीती थीं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 25 सीटें मिली थीं. नेशनल कांफ्रेंस को 15 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस केवल 12 सीटों पर सिमट गई थी. मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके राज्य में सरकार बनाई थी.  पिछली बार बनी थी पीडीपी-बीजेपी सरकार सात जनवरी 2016 को मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हो गया. उनके बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं. बीजेपी के साथ उनका गठबंधन जारी रहा. लेकिन दोनों पार्टियों में मतभेद के चलते यह गठबंधन सरकार जल्द ही गिर गई और पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी. महबूबा मुफ्ती ने 19 जून, 2018 को इस्तीफा दे दिया. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और उसके बाद चुनाव नहीं कराए गए. पांच अगस्त को वो बड़ा फैसला हुआ जिसके बाद से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियां थम सी गईं. जम्मू-कश्मीर में इस समय कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं है. कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं, लेकिन राज्य में उनकी कोई साझेदारी नहीं है.   ये भी पढ़ें- भांग की चटनी क्यों होती है बहुत स्वादिष्ट, नशा भी नहीं करती, उत्तराखंड में खूब खायी जाती है अभी क्या है राज्य में सियासी माहौल जम्मू-कश्मीर में देश के तीन बड़े राष्ट्रीय राजनीतिक दल कांग्रेस, बीजेपी और बसपा सक्रिय हैं. इसके अलावा नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेस भी हैं, जो यहां की राजनीति में अपना खासा दखल रखती हैं. जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेस सज्जाद गनी लोन की पार्टी है और वो कुछ सीटों पर जीतती रही है. मई में हुए लोकसभा चुनाव में कुल 22 पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. चुनाव आयोग की जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय पार्टियों को छोड़कर जम्मू-कश्मीर में 32 पार्टियां रजिस्टर्ड हैं. इनमें से कुछ को क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा हासिल है.  क्या होगा बीजेपी का कदम बीजेपी का सारा ध्यान जम्मू रीजन की 43 सीटों पर है, और वो इस बार किसी के साथ तालमेल नहीं करेगी. पार्टी को उम्मीद है कि उसे लगभग 35-36 सीटें यहां मिल सकती हैं. कश्मीर रीजन में वो ऐसे निर्दलीय उम्मीदवारों पर दांव लगाएगी जो बाद में उसके साथ आ जाएं. बीजेपी ने इस बार 40 साल से कम उम्र वाले उम्मीदवारों पर दांव खेलने का फैसला किया है. साथ ही वो दूसरे दलों के अल्पसंख्यक नेताओं को भी अपने पाले में लाने में जुट गई है. पीडीपी नेता और महबूबा सरकार में मंत्री रहे चौधरी जुल्फिकार अली को इस मुहिम के तहत बीजेपी में शामिल कर लिया गया है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. ये भी पढ़ें- वो 4 खिलाड़ी, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान की ओर से ओलंपिक में की शिरकत, मेडल भी दिलाए क्या है बाकी दलों का हाल कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. लेकिन चुनाव आते-आते कश्मीर की तीन सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी आमने-सामने हो गए थे. हालांकि कांग्रेस को जम्मू की दोनों सीटों पर इन दलों का समर्थन मिला था. उस समय कांग्रेस ने कश्मीर में भी नेशनल कांफ्रेंस का समर्थन किया था. कांग्रेस चाहती है कि विधानसभा चुनाव में वो एनसी और पीडीपी के साथ मिलकर लड़े. इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर जाने वाले थे. पर अब उनका यह दौरा रद्द हो गया है. उमर अब्दुल्ला ने कमर कसी नेशनल कांफ्रेंस द्वारा अपने चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों में 200 यूनिट मुफ्त बिजली, पानी के संकट से राहत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को हर साल 12 एलपीजी सिलेंडर मुफ्त उपलब्ध कराना शामिल है. नेशनल कांफ्रेंस ने सत्ता में आने के 180 दिनों के भीतर एक व्यापक नौकरी पैकेज, एक लाख युवाओं को नौकरियां देने और सरकारी विभागों में सभी रिक्तियों को भरने का वादा किया. पार्टी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी केवल वही वादे कर रही है जिन्हें वह पूरा कर सकती है.  ये भी पढ़ें- कौन सी जगह है होसुर, जहां टाटा बसाने जा रहे हैं जमशेदपुर जैसी नई औद्योगिक नगरी महबूबा की बेटी इल्तिज़ा लड़ेंगी चुनाव नेशनल कांफ्रेंस ने अगर घोषणापत्र जारी कर दिया को पीडीपी ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. पीडीपी ने अपनी पहली लिस्ट में कई प्रमुख नामों का ऐलान किया गया है. इस चुनाव में पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद की तीसरी पीढ़ी भी डेब्यू करने जा रही है. महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिज़ा मुफ्ती भी इस बार चुनाव मैदान में होंगी. उनको बिजबिहारा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. Tags: Assembly election, BJP, Congress, Farooq Abdullah, Jammu and kashmir, Mehbooba mufti, Omar abdullahFIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 18:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed