अगर हसीना ने नहीं दिया होगा इस्तीफा तो कैसे बांग्लादेश में आएगा बड़ा संकट
अगर हसीना ने नहीं दिया होगा इस्तीफा तो कैसे बांग्लादेश में आएगा बड़ा संकट
बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़ने के करीब ढाई महीने बाद एक नए संवैधानिक संकट की स्थिति यूनुस सरकार को लेकर आ गई है. क्योंकि राष्ट्रपति ने दावा किया है कि उन्हें हसीना का कोई त्यागपत्र नहीं मिला.
हाइलाइट्स क्या इसीलिए बांग्लादेश में फिर सड़कों पर लौटने लगे हैं छात्र हर कोई यही पूछ रहा है कि क्या शेख हसीना ने इस्तीफा नहीं दिया क्या होता है एक राष्ट्र प्रमुख के इस्तीफे के बाद अगली सरकार बनने की प्रक्रिया
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के रहस्य ने बांग्लादेश में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है. प्रदर्शनकारी सड़कों पर वापस आ गए हैं. राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाने की मांग कर रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दिया है या नहीं। अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया होगा तो संवैधानिक तौर पर मौजूदा सरकार क्यों खतरे में पड़ जाएगी.
दरअसल बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने हाल ही ये कहा है कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का कोई इस्तीफा नहीं मिला. इससे छात्र नाराज हो गए. बांग्लादेश में छात्रों के व्यापक प्रदर्शन ने ही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर दिया था. हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग 2009 से सत्ता में थीं.
हसीना ऐसे समय पर भागीं जब प्रदर्शनकारी भीड़ उनके आवास में घुसने ही वाली थी. वह एक विदाई भाषण रिकॉर्ड करना चाहती थीं लेकिन उन्हें इसका समय भी नहीं मिला. सेना ने उन्हें अपना सामान बांधकर बांग्लादेश छोड़ने के लिए 45 मिनट का समय दिया.
शेख हसीना अपनी छोटी बहन रेहाना के साथ अपने सरकारी आवास से सटे तेजगांव एयर बेस के हेलीपैड पर पहुंचीं. उनका कुछ सामान विमान में लादा गया. हालांकि बताया ये गया था कि वह राष्ट्रपति भवन बंगभोबन गईं, जहां उन्होंने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को अपना औपचारिक इस्तीफा सौंप दिया. बांग्लादेश में राष्ट्रपति मोहम्मदज शहाबुद्दीन के खिलाफ ढाका में बड़ा प्रदर्शन. छात्र फिर बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं. (PHOTO AP)
अब राष्ट्रपति कह रहे हैं कि उन्हें कोई त्यागपत्र नहीं मिला. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने भी केवल इतना सुना कि हसीना ने इस्तीफ़ा दे दिया है, लेकिन उनके पास उनके इस्तीफ़े का कोई सबूत नहीं है. उन्होंने कहा, “मैंने कई बार (इस्तीफा पत्र लेने की) कोशिश की, लेकिन असफल रहा. शायद उनके पास समय नहीं था.”
क्या इसके बगैर यूनुस सरकार अवैध मानी जाएगी
हसीना का इस्तीफा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार को वैधता प्रदान करता है. बगैर इसके इस सरकार को एक नाजायज सरकार माना जाएगा, जिसने बांग्लादेश में सत्ता शून्यता के बीच सत्ता हथिया ली.
अब तक हसीना के इस्तीफे के बारे में किसी को नहीं मालूम. राष्ट्रपति ये कह रहे हैं कि उन्हें कोई इस्तीफा मिला नहीं. लिहाजा अब हसीना के लापता त्यागपत्र को लेकर सवाल उठने शुरू हो चुके हैं.
तस्लीमा नसरीन क्या टिप्पणी की
निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन कह ही चुकी हैं, “शेख हसीना ने अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया. वह अब भी जीवित हैं. इसलिए यूनुस सरकार अवैध है.”
नसरीन ने एक्स पर लिखा, “बांग्लादेश में हर कोई झूठ बोल रहा है. सेना प्रमुख ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया.यूनुस ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन किसी ने भी त्यागपत्र नहीं देखा. कोई भी इसे दिखा नहीं रहा.”
क्यों जरूरी है त्यागपत्र
बांग्लादेश में प्रधानमंत्री का त्यागपत्र कई कारणों से महत्वपूर्ण है, खास तौर पर संवैधानिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए तो ये बहुत जरूरी है. ये संवैधानिक जरूरत भी है.
– बांग्लादेशी संविधान के अनुसार निर्वाचित प्रधानमंत्री को अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को लिखित रूप में प्रस्तुत करना चाहिए. यह औपचारिक प्रक्रिया त्यागपत्र की कानूनी स्वीकृति और उसके बाद पद की रिक्ति के लिए जरूरी है. ढाका में मंगलवार को छात्र फिर बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर आए. उन्होंने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की. (AP Photo)
– दस्तावेज़ीकृत त्यागपत्र की अनुपस्थिति संवैधानिक शून्यता को जन्म दे सकती है, जिससे नई सरकार का गठन जटिल हो सकता है
– उचित रूप से दस्तावेज़ीकृत त्यागपत्र यह सुनिश्चित करता है कि नई सरकार में परिवर्तन को वैध माना जाए. ऐसे मामलों में जहां अस्पष्टता है – जैसे कि यह दावा कि हसीना ने आधिकारिक रूप से त्यागपत्र नहीं दिया – ये बात नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के अधिकार को कमज़ोर कर सकती है.
– इस्तीफ़े के बारे में स्पष्टता की कमी से सार्वजनिक अशांति और विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं, जैसा कि हाल ही में देखा गया जब छात्र समूहों ने हसीना के इस्तीफ़े के बारे में राष्ट्रपति शहाबुद्दीन की टिप्पणियों के लिए जवाबदेही की मांग की.
– औपचारिक रूप से इस्तीफ़ा देने की प्रक्रिया उत्तराधिकार के बारे में कानूनी जवाबदेही और स्पष्टता की अनुमति देती है, जो बांग्लादेश जैसे राजनीतिक रूप से आवेशित वातावरण में महत्वपूर्ण है. अंतरिम सरकार को आगे की राजनीतिक अस्थिरता से बचने के लिए संवैधानिक सीमाओं के भीतर काम करना चाहिए.
– ये कहा जा सकता है कि बांग्लादेश में प्रधानमंत्री का त्याग पत्र केवल एक औपचारिकता नहीं है; यह एक संवैधानिक आवश्यकता है जो व्यवस्थित शासन की सुविधा प्रदान करती है, कानूनी अस्पष्टताओं को रोकती है, और सत्ता परिवर्तन के दौरान सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने में मदद करती है.
तो क्या बांग्लादेश में संवैधानिक संकट की स्थिति आ जाएगी
यदि बांग्लादेश के राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री से त्यागपत्र नहीं मिलता है, तो कई सरकार के अस्तित्व पर ही संवैधानिक संकट आ जाएगा
-बांग्लादेशी संविधान की धारा 57(ए) के अनुसार, प्रधानमंत्री का पद तभी रिक्त होता है जब राष्ट्रपति को औपचारिक रूप से त्यागपत्र सौंपा जाता है. अगर ये पत्र नहीं मिला तो संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है.
– इस्तीफ़े के बारे में स्पष्टता की कमी सार्वजनिक विरोध और अशांति को बढ़ावा दे सकती है, जैसा कि हाल की घटनाओं में देखा गया. क्योंकि छात्र समूह फिर सड़कों पर इकट्टा होने लगे हैं. वह हसीना के इस्तीफ़े के बारे में टिप्पणियों के लिए राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को हटाने की मांग कर रहे हैं. अगर इस्तीफा का पत्र नहीं मिला तो मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की वैधता पर सवाल उठाया जा सकता है.
तो क्या युनूस की सरकार को चुनौती दी जा सकती है
ऐसी स्थितियों में जहां स्पष्ट रूप से त्यागपत्र नहीं है, अंतरिम सरकार का गठन तो बेशक किया जा सकता है लेकिन इसकी वैधता को चुनौती दी जा सकती है. तब सर्वोच्च न्यायालय को बीच में आना होगा और अंतरिम सरकार के गठन पर मार्गदर्शन देना होगा.
अगर राष्ट्रपति फिर कहते हैं कि त्यागपत्र नहीं मिला तो…
यदि बांग्लादेश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से त्यागपत्र प्राप्त न होने का दावा करते हैं तो इस स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं
सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श – राष्ट्रपति ने पहले ही इस स्थिति के बारे में सर्वोच्च न्यायालय की राय मांगी है. ताकि वह संवैधानिक तौर पर ये स्थापना दे कि अंतरिम सरकार को लेकर जो भी कार्रवाई की गई वो कानूनी रूप से सही है. सर्वोच्च न्यायालय ने पहले किसी भी संवैधानिक शून्यता को समाप्त करने के लिए अंतरिम सरकार बनाने की सलाह दी थी.
क्या इन स्थितियों में शेख हसीना पर फिर से इस्तीफा भेजने का दबाव बढ़ सकता है
– शेख हसीना 05 अगस्त को बांग्लादेश से भारत पहुंची थीं. तब से वह यहीं पर हैं. बांग्लादेश के मौजूदा राजनीतिक माहौल में ये सवाल है कि क्या शेख हसीना को फिर से अपना इस्तीफा भेजने के लिए मजबूर किया जा सकता है
बांग्लादेश में एक ऐसा राजनीतिक माहौल बन सकता है, जहां हसीना से औपचारिक रूप से फिर से इस्तीफा देने की मांग उठ सकती है. लेकिन अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.
FIRST PUBLISHED : October 23, 2024, 20:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed