IC 814: एक बार खाना शौचालय की भयंकर बदबू केबिन तक आ गई कुछ को UTI हो गई

आईसी 814 विमान जब 25 दिसंबर 1999 को हाईजैक हुआ तो अगले 8 दिनों तक विमान यात्री बंधक बने रहे. उन्हें इस दौरान क्या खाने को मिला. शौचालय तो इतनी बुरी हालत में आ गया कि उसमें जाना भी एक सजा ही थी.

IC 814: एक बार खाना शौचालय की भयंकर बदबू केबिन तक आ गई कुछ को UTI हो गई
हाइलाइट्स पहले दिन यात्रियों को दिन भर में केवल एक सेब खाने को दिया गया शौचालय से दूसरे दिन से ही बदबू आने शुरू हो चुकी थी कई यात्री वाशरूम में नहीं जाने के डर से कम खाने लगे 25 साल पहले अपहृत हुई इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 पर नेटफ्लिक्स ओटीटी पर रिलीज होने चर्चा में है. ये विमान आठ दिनों तक कंधार में खड़ा रहा. अब इससे जुड़ी बहुत सी बातें सामने आ रही हैं. बहुत सी नई बातों का खुलासा भी हो रहा है. 24 दिसंबर को काठमांडू से टेकऑफ करने के मुश्किल से 10 मिनट बाद ही फ्लाइट हाईजैक हो गई, तब विमान में 174 यात्री और 11 क्रू मेंबर्स इस पर सवार थे. इसके बाद अमृतसर और लाहौर में रोकते हुए विमान को दुबई ले जाया गया. वहां ये रात भर रुकी रही. यहां 27 यात्रियों को अपहर्ताओं ने छोड़ दिया. अगले दिन विमान कंधार के लिए उड़ा. यहां अगले आठ दिन खड़ा रहा. 155 लोग अपहर्ताओं के बंधक बने रहे. ये आठ दिन उनकी जिंदगी के सबसे खराब दिन रहे. इन आठ दिनों तक ना वो नहा सके. ना कपड़े बदले गए. खाना एक टाइम. विमान के 06 टायलेट्स में दो पर आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया. चार शौचालयों ने तीसरे दिन के बाद जवाब दे दिया. गंदगी और बदबू से सारा विमान अंदर से भरने लगा. शौचालय के अंदर घुसना ही जैसे कोई सजा बन गई. आइए जानते हैं कि इन आठ दिनों में विमान में यात्रियों को क्या खाना दिया गया. उन्होंने क्या खाया. कैसे सोए और जब टायलेट जाते थे तो ये कितनी खराब स्थिति होती थी. कंधार में पहले दिन केवल एक सेब मिला अपहरण के दूसरे दिन जब विमान अहमद शाह बाबा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कंधार पर उतरा तो यहां तालिबान का कब्जा हो चुका था. उड़ानें ना के बराबर थीं. एय़रपोर्ट का स्टाफ बहुत कम था. एटीआर रात में आपरेशनल नहीं होता था. लिहाजा आईसी 814 फ्लाइट जब 25 दिसंबर को सुबह वहां उतारी गई तो वहां भयंकर ठंड थी. ज्यादातर यात्रियों के पास कंबल या ज्यादा गर्म कपड़े नहीं थे. दिन भर में उन्हें उस दिन खाने के नाम पर एक छोटा सेब दिया गया. बस उस दिन उन्हें उसी पर संतोष करना था. विमान में 06 टॉयलेट थे. जिसमें जाने के लिए हाईजैकर्स की अनुमति लेनी होती थी. 155 यात्रियों की टायलेट, लैट्रीन इसमें होनी थी. सफाई की कोई व्यवस्था नहीं थी. दूसरे दिन विमान में खाना, दवा और पानी गया पहले दिन के ऊहापोह के बाद भारतीय अधिकारियों का एक दल कंधार पहुंचा. अपहर्ताओं से बातचीत शुरू हो गई थी. हाईजैकर्स के साथ शुरुआती बातचीत के बाद यात्रियों के लिए भोजन, दवाई और पानी अंदर भेजा गया. ये काम केवल कंधार एयरपोर्ट के तालिबानी कर्मचारियों और अधिकारियों की देखरेख में ही होना था. भारतीय अधिकारियों से साफ कहा गया कि वो इससे दूर रहेंगे. अफगानी रोटी, चिकन, दूध और फल इसके बाद विमान में अगले 4-5 दिनों तक एक टाइम खाना आने लगा. इसमें होती थी अफगानी रोटी, चिकन, फल और दूध. बहुत से यात्रियों की हालत खराब थी और सेनीटरी स्थितियां दूसरे दिन से ही खराब होने लगी थीं. लिहाजा बहुत से यात्रियों ज्यादा खाने की बजाए कम के कम खाने या एक दो संतरे और दूध को चुना. इसके बाद दिन भर उन्हें कुछ नहीं मिलता था. पीने के लिए पानी मिलना भी मुश्किल होता था. वाशरूम गंदगी से बदबू मारने लगे  दिक्कत की बात ये थी कि विमान के 06 में 04 वाशरूम में भी हर कोई बहुत इंतजार करने के बाद ही जा सकता था. उसमें पानी की स्थितियां भी अच्छी नहीं थीं. पांचवें दिन आते आते वाशरूम इस कदर गंदगी से बजबजाने लगे थे कि लोगों को उसमें जाना भी किसी सजा से कम नहीं रह गया था. लगातार बंधक बने रहना, बैठे बैठे ही सोना, चलफिर नहीं पाना. जिंदगी पर संकट का तनाव और घबराहट – ये ऐसे हालत थे यात्रियों के खासी लंबी और सबसे अधिक कष्टकारी घटना बन गई. बदबू केबिन तक पहुंच गई, कुछ को यूटीआई की बीमारी धीरे धीरे शौचालय जाम होने लगे और बदबू अंदर केबिन तक आने लगी. उसी में उन्हें रहना था और खाना भी. शौचालय सबसे बड़ी समस्याओं में से एक थे। वहाँ छह शौचालय थे, लेकिन अपहरणकर्ताओं ने दो को अपने लिए रिजर्व कर लिया था. दिन बीतने के साथ, यात्रियों के इस्तेमाल के लिए केवल दो शौचालय ही बचे थे. आखिरकार, 155 यात्रियों के लिए केवल दो शौचालय ही काम कर रहे थे।” गंदे शौचालयों के कारण उन्हें मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई) भी हो गया. यात्री बहुत कम खाते थे विमान में फंसी इप्सिता मेनन और उनके पति ने इस अनुभव पर एक किताब लिखी. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “कंधार में उतरने के बाद हमें कुछ खाना दिया गया. दिन में कम से कम एक बार हमें अफगानी रोटी, चिकन, फल ​​और दूध मिलता था.हालांकि ज्यादातर यात्री खाना नहीं खाते थे या बहुत कम खाते थे.” उन्होंने कहा, “मैं अपने बारे में यही कह सकती हूं कि शौचालय की स्थिति और स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण मैं ज्यादा खाना नहीं खाती थी. मुझे याद है कि मैं सिर्फ एक संतरा और थोड़ा दूध पीकर जीवित रहती थी.” पांचवें दिन तो हालात बहुत खराब  पांचवें दिन जब स्थिति बहुत खराब हो गई. खुद अपहर्ता भी जब इस बदबू से असहज हो गए तब सफाईकर्मी आ गए, लेकिन इससे ज्यादा बदलाव नहीं हुआ. समय के साथ विमान के एयर कंडीशनर भी काम करना बंद कर चुके थे लेकिन दिसंबर की कड़ाके की सर्दी में इस वजह से दिक्कत नहीं थी. छठे दिन से चीजें बेहतर होनी शुरू हुईं, खाना भी कुछ ठीक हालांकि छठे दिन से एयरपोर्ट पर मौजूद भारतीय और इंटरनेशनल टीम की मौजूदगी से चीजें बेहतर होनी शुरू हुईं. तब ने केवल वाशरूम की स्थितियां बेहतर हुईं बल्कि उसकी सफाई भी बेहतर हुई. खाना, पानी भी कुछ अच्छी उपलब्ध कराई गई. सातवें दिन भी इस मामले में चीजें बेहतर रहीं. आखिरकार आठवें दिन विमान के यात्रियों को इस यंत्रणादायक हालात से छुटकारा मिल सका. Tags: Air india, Aircraft operation, Airline News, Controversial airlines, Plane accidentFIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 20:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed