कैसे नेहरू के साथ देश में रहे दो प्रधानमंत्री फिर कैसे खत्म किया गया एक पद

ये हैरानी वाली बात नहीं है और ना ही कोई हवा हवाई तथ्य...ये सच है कि देश में आजादी के बाद भी दो प्रधानमंत्रियों ने राज किया. 18 साल के बाद जाकर देश में केवल एक प्रधानमंत्री की सत्ता कायम हुई

कैसे नेहरू के साथ देश में रहे दो प्रधानमंत्री फिर कैसे खत्म किया गया एक पद
हाइलाइट्स नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे लेकिन दूसरा प्रधानमंत्री पद कहीं ज्यादा पुराना था अंग्रेजों ने 1909 में ही गर्वनमेंट इंडिया एक्ट 1909 में प्रधानमंत्री का पद बना दिया था 1965 में भारत सरकार ने कैसे खत्म किया प्रधानमंत्री का दूसरा पद क्या आप यकीन करेंगे आजादी के बाद इस देश में दो दशक तक दो प्रधानमंत्री के पद थे. दोनों अपने अपने तरीके से राज करते थे. हालांकि तब देश के असली प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ही थे लेकिन दूसरे शख्स का ओहदा भी प्रधानमंत्री का ही था. इस ओहदे पर भी कई लोग बैठे. आखिरकार 18 सालों बाद भारत सरकार ने ये विचित्र स्थिति खत्म की. देश में दो प्रधानमंत्री के पद कैसे बने फिर कैसे कायम करे. फिर इन्हें खत्म कैसे किया गया, इसकी भी एक कहानी है. लेकिन कानूनी तौर पर ये एकदम सही है कि देश में आजादी के बाद 18 सालों तक यानि 1965 तक देश में दो प्रधानमंत्री के पद थे. देश में दो प्रधानमंत्री काम कर रहे थे. जब भी दोनों किसी समारोह में शिरकत करते थे, वो उन्हें प्राइम मिनिस्टर ही कहा जाता था. 115 साल पहले देश में बना प्रधानमंत्री का पद वो बताने से पहले हम आपको ये बता देते हैं कि दे भारत में प्रधानमंत्री का पद कब बना. ब्रिटिश सरकार ने 1909 में एक कानून बनाया – गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1909, जिसके जरिए देश में प्राइम मिनिस्टर की पोस्ट क्रिएट की गई. हालांकि अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में कभी इस पद पर किसी को नहीं बिठाया. बस आजादी से पहले जब सितंबर 1946 में अंतरिम सरकार बनी, तब जवाहरलाल नेहरू उसमें प्रधानमंत्री बनाए गए. अंग्रेजों ने कभी किसी को प्रधानमंत्री नहीं बनाया हालांकि अंग्रेजों के जमाने में जब प्रधानमंत्री का पद बनाया गया तो इसके पास ना तो आज की तरह शक्तियां थीं और ना ही वह इस तरह से काम ही कर सकता था. हालांकि भारत में जब आजादी के बाद प्रधानमंत्री बना तो इसी कानून का सहारा लिया गया. वैसे इस एक्ट को 1935 में फिर अपडेट करके उसे द गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 नाम दिया जा चुका था. अंग्रेजों ने वर्ष 1909 में गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट -1909 लाकर देश में प्रधानमंत्री पद का प्रावधान तो किया लेकिन किसी को कभी बनाया नहीं. (news18) देश के पीएम पद को असली ताकत संविधान से मिली आजादी के बाद भारत का वो प्रधानमंत्री पद, जिसको हम आज देख रहे हैं, उसको असली ताकत 26 जनवरी 1950 में संविधान लागू हो जाने के बाद मिली. इसके आर्टिकल 74 में ये व्यवस्था दी गई कि प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का मुखिया होगा और राष्ट्रपति को सलाह देगा. तो तथ्य ये है – देश में प्रधानमंत्री का पद 1909 में एक कानून के जरिए सृजित किया गया – फिर इस भूमिका को फिर 1919 और 1935 में पारिभाषित किया गया – अब देश के प्रधानमंत्री पद की व्याख्या संविधान का आर्टिकल 74 करता है – समय के साथ प्रधानमंत्री का पद देश की सबसे ताकतवर स्थिति बन चुकी है नेहरू पहली बार कब बने प्रधानमंत्री यहां ये भी बता दें कि देश में पहला प्रधानमंत्री सितंबर 1946 में अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया. जब देश 15 अगस्त 1947 में आजाद हुआ तो उन्होंने नए बने देश भारत के प्रधानमंत्री की शपथ ली. जवाहरलाल नेहरू सितंबर 1946 में भारत की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बने. इसके बाद आजादी के बाद जब देश का बंटवारा हुआ तब उन्होंने नए देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि देश के पीएम को असली ताकत संविधान लागू होने के बाद हासिल हुई. (फाइल फोटो) तो ये थे देश में दूसरे प्रधानमंत्री अब आइए असली बात पर आते हैं. दरअसल देश में 1965 तक दो ही प्रधानमंत्री थे. एक प्रधानमंत्री दिल्ली में बैठता था और देश का मुखिया होता था. दूसरा प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर में होता था और वहां की सरकार चलाता था. जो काम अब जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री करता था, वही काम तब राज्य में प्रधानमंत्री पद पर बैठा शख्स करता था. यानि आप कह सकते हैं कि आजादी के बाद 18 सालों तक कश्मीर में मुख्यमंत्री के पद का संवैधानिक नाम प्रधानमंत्री ही था. ये ‘दूसरा’ पीएम 97 साल पहले बना जम्मू और कश्मीर में प्रधानमंत्री का पद 1927 में स्थापित हुआ. 1965 तक चला. कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री सर एल्बियन बनर्जी थे, जिन्हें डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह ने नियुक्त किया था. स्वतंत्रता के बाद, मेहर चंद महाजन ने 1947 के बाद पहले प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. फिर इसके बाद 1948 में शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री बने. कब  ‘दूसरे’ प्रधानमंत्री पद को खत्म किया गया प्रधानमंत्री की भूमिका तब तक जारी रही जब तक कि 1965 में जम्मू और कश्मीर के संविधान में संशोधन नहीं किया गया, जिसने प्रधानमंत्री की जगह मुख्यमंत्री और सदर-ए-रियासत (राज्य के राष्ट्रपति) की जगह राज्यपाल को नियुक्त किया. 30 मार्च, 1965 को जब जम्मू और कश्मीर के संविधान में छठा संशोधन लागू किया गया, तब ये पद आधिकारिक रूप से खत्म कर दिया गया. बस इसके बाद से ही देश में एक प्रधानमंत्री हुआ. 1965 तक प्रधानमंत्री के दो पद भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में थे जरूर लेकिन असंगत माने जाते थे. इसी तरह राज्य में गर्वनर को सदर ए रियासत यानि राष्ट्रपति कहा जाता था. इन पदों को कश्मीर की राजशाही के अवशेष के रूप में भी देखा गया. ये ‘दूसरे’ प्रधानमंत्री की सूची आइए अब ये भी जान लेते हैं कि आजादी के बाद कश्मीर में कितने प्रधान मंत्री रहे और कितने दिनों के लिए 1. मेहर चंद महाजन – 15 अक्टूबर 1947 से 5 मार्च 1948 तक (142 दिन). 2. शेख अब्दुल्ला – 05 मार्च 1948 से 9 अगस्त 1953 तक (5 साल 157 दिन). 3. बख्शी गुलाम मोहम्मद – 09 अगस्त 1953 से 12 अक्टूबर 1963 तक (10 साल 64 दिन). 4. ख्वाजा शम्सुद्दीन – 12 अक्टूबर 1963 से 29 फरवरी 1964 तक (140 दिनों तक) 5. गुलाम मोहम्मद सादिक – 29 फरवरी 1964 से लेकर 30 मार्च 1965 तक (1 साल और 30 दिन फिर 30 मार्च 1965 से जम्मू-कश्मीर में मुख्यमत्री का पद सृजित हुआ. Tags: Jammu and kashmir, Jawahar Lal Nehru, Jawaharlal Nehru, Prime minister, Prime Minister of IndiaFIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 13:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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