मोदी की जीत से चीन का जानी दुश्‍मन गदगद क्यों इससे चीन को होगा टेंशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए की फिर से हुई जीत के बाद उनके पास दुनियाभर से बधाई के संदेश आ रहे हैं लेकिन ताइवान की बधाई कई वजहों से मायने रखती है.

मोदी की जीत से चीन का जानी दुश्‍मन गदगद क्यों इससे चीन को होगा टेंशन
हाइलाइट्स ताइवान के साथ भारत के संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं ताइवान का भारत के करीब आना चीन को चुभता है चीन के साथ भारत के रिश्ते ठंडे बने हुए हैं नरेंद्र मोदी की जीत के बाद उन्हें दुनियाभर से बधाई मिल रही है. ये तय हो चुका है कि वह अब प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरा कार्यकाल में भी जाएंगे. ऐसे में जब ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते ने उन्हें बधाई भेजी तो इसका खास मतलब है. खासकर ये देखते हुए कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अब तक मोदी की जीत के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. यूं भी दक्षिण एशिया के संतुलन में चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्तों में ताइवान का भारत के करीब आना एक खास संकेत देता है. क्या ये माना जाना चाहिए कि अब भारत और ताइवान के संबंध और बेहतर होंगे. ताइवान और चीन के रिश्तों में हमेशा ही तनाव रहा है. चीन लगातार ये कहता है कि ताइवान उसी की संप्रुभता में आता है लेकिन ताइवान ने कभी इसे नहीं माना. इसे लेकर चीन उसे कभी धमकाता है तो कभी लड़ाकू जेट उसकी सीमा के आसपास उड़ाकर उसे डराता है. कभी युद्ध का डर पैदा करता है लेकिन ताइवान कभी इससे विचलित नहीं हुआ. वहीं चीन को ताइवान और अमेरिका के रिश्ते भी कभी अच्छे नहीं लगे. ताइवान छोटा लेकिन समृद्ध और ताकतवर देश ताइवान छोटा देश है लेकिन उसने अपनी समृद्धी की कहानी खुद लिखी है. मौजूदा तौर पर वह दुनिया में चिप का बादशाह है. आईटी में उसकी खास स्थिति है. ये देश ना केवल अपने पैरों पर खड़ा है बल्कि उसके तमाम सिस्टम को लेकर उसकी तारीफ भी होती रही है. जब भी दुनिया का कोई देश ताइवान के करीब आता है तो ये बात चीन को बहुत चुभती है. भारत के रिश्ते ताइवान से बेहतर होते रहे हैं 90 के दशक के बाद से भारत और ताइवान के बीच के रिश्ते लगातार बेहतर होते रहे हैं. उनमें व्यापारिक संबंध भी हैं. हालांकि दोनों देशों के बीच अब तक राजनयिक रिश्ते नहीं हैं. हालांकि भारत ने कुछ समय के लिए ताइवान को 1947 और 1950 में जरूर मान्यता दी थी. भारत रिपब्लिक ऑफ चाइना यानि ताइवान को मान्यता नहीं देता बल्कि वो चीन को मान्यता देता है. इसमें कोई शक नहीं कि मौजूदा समय में ताइवान बड़ी आर्थिक ताकत है. ताइवान संयुक्त राष्ट्र संघ का हिस्सा नहीं है. ताइवान के प्रेसीडेंट ने क्या बधाई दी  ताइवान के लाई उन विश्व नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए मोदी को तीसरा कार्यकाल हासिल करने पर बधाई दी. उन्होंने लिखा, “हम तेजी से बढ़ती #ताइवान-#भारत साझेदारी को बढ़ाने, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए तत्पर हैं, ताकि #इंडोपैसिफिक में शांति और समृद्धि में योगदान दिया जा सके.” मोदी ने भी कुछ घंटों बाद एक्स पर जवाब दिया, लाई को उनके “गर्मजोशी भरे संदेश” के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने आगे कहा, “मैं आपसी लाभ के लिए आर्थिक और तकनीकी साझेदारी की दिशा में काम करते हुए और भी करीबी संबंधों की उम्मीद करता हूं.” चीन ने बधाई दी लेकिन काफी ठंडे तरीके से इससे लगता है कि भारत और ताइवान के संबंध ज्यादा प्रगाढ़ता की ओर बढ़ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर चीन ने भी मोदी को बधाई दी लेकिन ये बधाई व्यक्तिगत तौर पर अब तक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से नहीं आई बल्कि उनके विदेश मंत्रालय की ओर से जारी हुई है. जिसमें चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत के चुनावों में बीजपी की अगुवाई करते हुए नरेंद्र मोदी की जीत पर हम उन्हें और एनडीए को बधाई देते हैं. जाहिर होता है कि भारत और चीन के संबंधों में एक ठंडापन बना हुआ है. खासकर ये देखते हुए भी कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर दुनिया के सभी देशों के प्रमुखों ने मोदी को बधाई दी है. चीन के साथ रिश्ते 06 दशकों में काफी निचले स्तर पर मई 2020 में शुरू हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध को लेकर भारत-चीन संबंध वर्तमान में 06 दशकों में अपने सबसे निचले स्तर पर हैं. भारतीय पक्ष ने चीन के इस दावे को खारिज कर दिया है कि सीमा मुद्दे को समग्र संबंधों में “उचित स्थान” पर रखा जाना चाहिए और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जोर देकर कहा है कि सीमा पर शांति के बिना द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य नहीं किया जा सकता है. ताइवान का नाम क्यों दो बार लिया मोदी ने पिछले कुछ हफ्तों में, मोदी ने सार्वजनिक टिप्पणियों में कम से कम दो बार ताइवान का उल्लेख किया है – एक बार, 13 मार्च को गुजरात के धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन सुविधा के लिए आधारशिला रखने के दौरान, जिसे ताइवान के पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (PSMC) के सहयोग से 91,000 करोड़ रुपये तक के निवेश के साथ विकसित किया जा रहा है और 3 अप्रैल को ताइवान में आए भूकंप के बाद एक्स पर पोस्ट किए गए शोक संदेश में. कितना है भारत और ताइवान का व्यापार भारत और ताइवान के बीच 2023 में दोतरफा व्यापार 8.2 बिलियन डॉलर का था, जिससे भारत ताइवान का 16वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया. भारत को ताइवान का निर्यात 6 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 13% की वृद्धि दर्शाता है और भारत को 12वां सबसे बड़ा निर्यात बाजार बनाता है. 3000 भारतीय छात्र वहां पढ़ रहे हैं ताइवान में लगभग 3,000 भारतीय छात्र रहते हैं और इस द्वीप की इस वर्ष के अंत में मुंबई में अपना तीसरा प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की योजना है. Tags: Narendra modi, Taiwan newsFIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 11:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed