Explainer : क्यों हर EVM से घटा देते हैं वोट जब शुरू करते हैं उससे काउंटिंग
Explainer : क्यों हर EVM से घटा देते हैं वोट जब शुरू करते हैं उससे काउंटिंग
महाराष्ट्र और झारखंड में 22 नवंबर को वोट काउंटिंग का दिन है. जब किसी ईवीएम से वोटों की काउंटिंग शुरू होती है तो उसके कुछ वोट घटा देते है, क्या होती है इसकी वजह
हाइलाइट्स ये वोट कौन से होते हैं. किस पार्टी के होते हैं क्यों इसका जिक्र फार्म 17 सी में भी होता है इसका जिक्र फिर रिकॉर्ड्स में किया जाता है
क्या आपको मालूम है कि जब चुनावों में काउंटिंग होती है तब ईवीएम मशीनों से कुछ वोट घटाए भी जाते हैं. बकायदा इसका जिक्र फिर रिकॉर्ड्स में किया जाता है. ये आज से नहीं हो रहा है बल्कि जब ईवीएम पर वोटिंग का काम शुरू हुआ. तब से हो रहा है. आप हो सकता है इस पर हैरान हों लेकिन ये काम ना केवल होता है बल्कि भारतीय चुनाव आयोग की सबसे जरूरी दस्तावेज फॉर्म 17 सी में इसके लिए एक कॉलम बना होता है.
जब चुनाव होते हैं तो हर बूथ को उसके यहां मौजूद वोटर्स के हिसाब से ईवीएम यानि इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें मिलती हैं. साथ ही 02-05 मशीनें रिजर्व के तौर पर भी दी जाती हैं ताकि अगर कोई मशीन नहीं चले तो रिजर्व मशीन को इस्तेमाल में लाया जाए.
एक EVM में कितने वोट डाले जाते हैं
एक ईवीएम मशीन में करीब 2000 वोट डाले जा सकते हैं. जब इसमें इतने वोट डल जाते हैं तो मशीन एक खास बीप के जरिए बताती है कि इसमें सारे वोट पड़ चुके हैं. अब इसे बदलना होगा. इसी तरह वोटिंग होने से पहले भी ईवीएम को चेक करके नेटवर्क से जोड़ दिया जाता है.
जब कोई नई EVM लगायी जाती है तो शुरू में क्या होता है
हम सभी जब वोट देने जाते हैं तो बटन दबाते ही हमारा वीवीपैट मशीन की स्क्रीन पर नजर आता है. क्या आपने कभी गौर किया कि ईवीएम मशीनों को कैसे स्टार्ट किया जाता है और स्टार्ट करके कैसे देखा जाता है कि वो प्रापर्ली काम कर रही हैं या नहीं. हमने आपसे जो बात ऊपर की है, उसका जवाब इसी में छिपा है.
कैसे होती है EVM की टेस्टिंग, किसके लिए वोट डालते हैं तब
दरअसल जब भी कोई नई ईवीएम मशीन को वोटिंग के लिए लगाया जाता है तो उसे टेस्ट किया जाता है और टेस्ट करने के लिए उसमें दो से लेकर 05 वोट तक मतदान अधिकारी खुद बटन दबाकर डालते हैं. ये किसी ना किसी पार्टी के उम्मीदवारों के नाम से ही होते हैं. वैसे तरीका ये है कि क्षेत्र में जितने उम्मीदवार खड़े हों, उन सभी के नामों के आगे के बटन दबाकर उन्हें चेक कर लिया जाए. यानि वोटिंग मशीन शुरू होने के प्रोसेस में उन सभी के नाम से वोट डालकर देखा जाता है.
इन्हीं वोट को फिर EVM से घटाया जाता है
यही वो वोट होते हैं, जिन्हें काउंटिंग के समय घटा लिया जाता है. जिस पार्टी के उम्मीदवारों के वोट इस तरह डाले जाते हैं, उन सभी को घटाया जाता है. जब भी वोटिंग के दौरान नई ईवीएम मशीन लगती है, ये प्रक्रिया पूरी की जाती है. इसमें 05-10 मिनट लग सकते हैं. भारतीय चुनाव आयोग हर बूथ के लिए फॉर्म 17 सी जारी करता है, जिसमें वोटिंग से संबंधित सारी डिटेल भरनी होती है.
इसे बकायदा दर्ज भी करना होता है
फॉर्म 17 सी में एक कॉलम ये भी होता है, जिसमें ये दर्ज करना होता है कि ईवीएम को टेस्ट करते समय कितने वोट डाले गए. ये वोट किस पार्टी के पक्ष में पड़े. इसी वोट को घटाया जाता है. फॉर्म 17 सी में ये जिक्र साफ साफ किया जाता है कि ये वोट घटाने हैं. इसी वजह से हर ईवीएम के कुछ वोट घटा दिए जाते हैं.
क्या होता है फॉर्म 17 सी
चलिए ये भी जान लेते हैं कि फॉर्म 17 सी होता क्या है. हर पोलिंग बूथ पर प्रिसाइडिंग अफसर को एक फॉर्म दिया जाता है, जिसे उसे आनलाइन ही भरना होता है. ये काम वोटिंग की प्रक्रिया खत्म होने के तुरंत बाद ही करना होता है.
ऐसा होता है फॉर्म 17सी
अगर आप इस चित्र को देख रहे हैं तो इसमें कई चीजें भरनी होती हैं, जिससे ये साफ हो जाता है कि कितने लोगों ने वोटिंग की, कितने वोट करने नहीं आए और कितने लोगों को वोट देने के काबिल नहीं समझा गया. ये भी भरना होता है कि वोटिंग के दौरान कितनी ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट की संख्या और नंबर देने होते हैं.
फॉर्म 17 सी के कुछ सवाल आपके सामने पेश हैं, जिससे पता लग जाता है कि ये फॉर्म ऐसा होता है, जिससे पोलिंग सेंटर पर वोट गतिविधि की हर बात आ जाती है, जिसके बाद इस बात की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती कि वोटों के प्रतिशत के आंकड़ों में कोई गड़बड़ी हो पाए.
पोलिंग स्टेशन का नाम और नंबर
प्रयोग ईवीएम का पहचान क्रमांक
कंट्रोल यूनिट क्रमांक –
बैलेट यूनिट क्रमांक –
कितने लोग वोट करने आए
रुल 17ए के अनुसार वोटों की संख्या कितनी दर्ज की गई
कितने लोगों को अनुमति नहीं दी (नियम 49 एम के अनुसार)
ईवीएम को रिकॉर्ड के दौरान जब टेस्टिंग की गई तो कितने वोट डाले गए
किन उम्मीदवारों के लिए वोट टेस्ट किए गए.
इस फॉर्म में ये भी दर्ज करना होता है कि किन लोगों को बैलेट दिए गए वो भी दर्ज करना होता है
जितने बैलेट पेपर बचे वो भी दर्ज किया जाता है
मुख्य तौर पर फॉर्म 17 सी में यही बातें दर्ज होती हैं. ये ऐसा फॉर्म होता है, जिसे अगर आनलाइन पब्लिश कर दिया जाए तो हर आंकड़ा सामने होगा, लेकिन देशभर में जितने बूथ हैं, उन सभी के डाटा अलग अलग पब्लिश करना बहुत मुश्किल जरूर है.
फॉर्म 17सी और फॉर्म 17ए क्यों जरूरी है
1961 के नियमों के अनुसार, चुनाव आयोग को दो फॉर्म बनाकर रखने होते हैं, इन्हें वोटिंग खत्म होते ही भरना होता है, जिसमें मतदाताओं की संख्या और डाले गए वोटों का डेटा होता है – फॉर्म 17ए और 17सी. अगर आप वोट डालने गए हों तो रजिस्टर में वोट देने के पहले आपका ब्योरा भी लगातार दर्ज होता रहता है. नियम 49एस(2) के तहत, पीठासीन अधिकारी को मतदान समाप्त होने पर उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों को फॉर्म 17सी में भरे फॉर्म की कॉपी देनी होती है.
फॉर्म 17सी में डेटा का उपयोग उम्मीदवारों द्वारा ईवीएम गणना के साथ मिलान करके मतगणना के दिन परिणामों को सत्यापित करने के लिए किया जाता है. इसके बाद, किसी भी विसंगति के मामले में संबंधित मामलों में उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका भी दायर की जा सकती है.
Tags: Jharkhand election 2024, Maharashtra Elections, Vote countingFIRST PUBLISHED : November 22, 2024, 16:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed