Explainer: क्यों बदले मालदीव के विरोधी सुर फिर जुटा भारत से संबंध सुधारने में
Explainer: क्यों बदले मालदीव के विरोधी सुर फिर जुटा भारत से संबंध सुधारने में
India - Maldives Relation: कोई एक साल बाद जब मालदीव में सत्ता बदली थी और मुहम्मद मुइज्जु राष्ट्रपति बने थे. इसके बाद मुइज्जु सरकार ने हर वो काम किया, जिससे भारत के साथ उसके संबंध खराब हो सकते थे लेकिन अब कैसे बदला उसका रुख और भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है.
हाइलाइट्स मुइज्जु सरकार ने 7 नवंबर 2023 में मालदीव की सत्ता संभाली थी तब मालदीव की नई सरकार ने भारत को ठेस पहुंचाने वाले फैसलों की झड़ी लगा दी अब कुछ समय से क्यों भारत के प्रति उसका रुख बदला और दिखने लगी नरमी
हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर मालदीव के दौरे पर गए. जहां उन्हें मुहम्मद मुइज्जु सरकार ने हाथों हाथ लिया. इसके पहले ही मुइज्जु सरकार के भारत विरोधी सुर बदलने लगे थे. पिछले साल नवंबर में सत्ता में आने के बाद ऐसा लगने लगा था कि मुइज्जु भारत के साथ किसी तरह का कोई संबंध ही नहीं रखना चाहते लेकिन एक साल ऐसा क्या हो गया कि मालदीव को आटे दाल का भाव मालूम हो गया और तब उसको महसूस होने लगा कि भारत उसके लिए बड़ी जरूरत है, बगैर उसके काम ही नहीं चल सकता.
मालदीव के बदले हुए रुख के पीछे आखिर क्या खास वजहें हैं, जिनके कारण उसने समझ लिया कि भारत विरोधी रुख उनके देश के लिए अच्छा नहीं है. जानते हैं उन वजहों के बारे में और ये भी जानेंगे कि जब मालदीव में मुइज्जु सरकार सत्ता में आई थी तो उसने किस तरह रुख दिखाया था कि दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों में असहजता आ गई.
सवाल – आखिर क्यों मालदीव कड़वे रुख के बाद भारत के साथ संबंध सुधारना चाहता है?
– मुइज्जु ने 07 नवंबर 2023 में मालदीव की सत्ता संभाली थी, उसके बाद उन्होंने लगातार ऐसे फैसले लिये, जो भारत के साथ संबंधों को प्रभावित करने वाले थे. लेकिन अब पिछले कुछ से लग रहा है कि मालदीव की सरकार भारत से तल्ख हुए रिश्तों को सुधारना चाहती है. तनावपूर्ण संबंधों की अवधि के बाद राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह मुइज्जु के नेतृत्व में मालदीव सरकार भारत के साथ संबंधों में सामान्य स्थिति की भावना बहाल करने का प्रयास कर रही है. उसके कई कारण तो हैं.
सवाल – एक साल पहले मालदीव ने भारत पर निर्भरता कम करने के लिए क्या घोषणाएं की थी?
– तब राष्ट्रपति मुइज्जु के नेतृत्व में मालदीव ने भारत पर अपनी निर्भरता कम करने और विकल्प तलाशने की मांग की थी, जिसमें भारत से लगातार जाने वाले खाद्य सामग्री को तुर्किए से मंगाने, ड्रोन भी तुर्किये से खरीदने और संयुक्त अरब अमीरात और थाईलैंड से स्वास्थ्य बीमा उपक्रम चलाने की बात की थी. लेकिन हकीकत ये है कि समय के साथ मालदीव को अंदाज हो गया कि उसके खजाने में इतना धन नहीं है कि वो ऐसे फैसले जिसमें अनावश्यक तौर पर खजाने पर बोझ और पड़े.
मालदीव पर विदेशी ऋण का काफी बोझ है. उसे लगातार चेतावनी दी जा रही है कि अगर वह नहीं चेता तो बड़े संकट में फंसेगा. इससे मालदीव ने महसूस किया कि अगर तुरंत ऋण राहत उपाय करने हैं तो भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाना ही होगा. फिर भारत से मालदीव को खाद्य से लेकर तमाम चीजों की जो आपूर्ति की जाती थी, वो बहुत ही सस्ती दरों पर की जाती थी. भारत आमतौर पर पड़ोसी देशों को जरूरत के सामान बिना फायदे के न्यूनतम दरों पर ही भेजता रहा है. मालदीव खूबसूरत देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था टूरिस्म पर टिकी है, भारतीय पर्यटक वहां की अर्थव्यवस्था को उछाल देने में खास भूमिका निभाते रहे हैं.
सवाल – क्या अब मालदीव सरकार को महसूस हो रहा है कि भारत विरोधी रुख से उसका नुकसान हुआ है?
– वजह तो यही है. चूंकि मुइज्जु भारत विरोधी माहौल विरोधी बनाकर चुनावों में जीतकर आए थे, लिहाजा उन्होंने इसी को आगे बढ़ाना चाहा. ऐसे माहौल में सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री और अधिकारी भारत पर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणियां करने से बाज नहीं आए. इससे मालदीव के विदेशी और आर्थिक दृष्टिकोण को खासा नुकसान हुआ. दूसरी ओर चीनी ऋण बढ़ता जा रहा था. मालदीव की समझ में आ गया कि चीन की मदद लेते रहने का मतलब ऋण के ऐसे जाल में फंसना, जहां से निकलना मुश्किल हो जाएगा. तब उसको विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की भूमिका समझ में आने लगी.
सवाल – भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर का इस समय मालदीव दौरा क्यों हुआ, इससे क्या बदलेगा?
– कुछ समय पहले मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जु भारत आए थे. उसके बाद जब मालदीव का रुख भारत के प्रति बेहतर होना शुरू हुआ तो दोनों देशों के बीच उस चैनल को फिर खोलने की कवायद शुरू हो गई, जहां दोनों देश पहले की तरह करीब आएं. एक तरह से भारतीय विदेशमंत्री का ये दौरा मालदीव के अनुरोध पर ही हुआ. विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मालदीव यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत को “निकटतम सहयोगियों में एक” बताया. द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए अपने प्रशासन की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
भारत ने हाल के वर्षों में मालदीव में लगभग 220 मिलियन डॉलर का निवेश किया है, जो दिखाता है कि वो इस द्वीपीय देश में क्षेत्रीय विकास को कितना महत्व देता है.
सवाल – क्या भारतीय पर्यटकों के मालदीव जाना कम करने से भी असर पड़ा?
– मालदीव भारतीय पर्यटकों पर बहुत अधिक निर्भर करता है. मालदीव की अर्थव्यवस्था में सुधार की जरूरत है. भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करने से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है. कुछ समय पहले आई तल्खी के बाद भारतीय पर्यटकों का वहां जाना जब कम हो गया तो पर्यटन पर आधारित इस देश की अर्थव्यवस्था पर खराब असर पड़ने लगा.
सवाल – भारत और चीन की आर्थिक सहायता में आखिर अंतर क्या है, जो चीन के कर्ज तले दबने के बाद मालदीव को भारत की ओर मुड़ना पड़ रहा है?
भारत मालदीव के विकास में सहायता करने के लिए प्रमुख देश रहा है, जो अनुकूल और लचीली शर्तों पर वित्तीय सहायता प्रदान करता है. वहीं चीन की मदद की शर्तें ज्यादा जोखिम भरी हैं, वहां ये महसूस किया जाने लगा है कि मालदीव धीरे धीरे चीन के कर्जे के तले बुरी तरह दब रहा है. उसकी शर्तें भी मुश्किल में डालने वाली हैं.
– 2024-25 के अंतरिम बजट में, भारत ने मालदीव को विकास सहायता के लिए 600 करोड़ रुपये (लगभग 73 मिलियन डॉलर) आवंटित किए, जो पिछले वर्ष के 400 करोड़ रुपये के परिव्यय से 50% अधिक है. मालदीव को भारत की सहायता में रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं. चीन ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से मालदीव में भारी निवेश किया है, जिससे मालदीव पर चीन के प्रति बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता बढ़ गई. साथ ही चीन के कर्ज की शर्तें जटिल हैं.
सवाल – भारत के लिए भी मालदीव का साथ क्यों जरूरी है?
– भूराजनीतिक स्थिरता के लिहाज से मालदीव हिंद महासागर में एक रणनीतिक स्थान रखता है. भारत के साथ इसका संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. मालदीव की पिछली सरकार ने भारत के साथ निकटता से गठबंधन किया था. क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए एक स्थिर साझीदारी जरूरी है. खुद मालदीव सरकार को भी ये अहसास होने लगा है कि भारत का विरोध करने से भू-राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है जो मालदीव के सर्वोत्तम हित में नहीं होगा. भारत के साथ अधिक निकटता से जुड़कर, मालदीव हिंद महासागर की भू-राजनीतिक गतिशीलता को बेहतर ढंग से नेविगेट कर सकता है. मालदीव की आबादी पर खाने से लेकर पीने के सामान तक पर अब तक भारत पर ज्यादा निर्भर रही है, जो काफी रियायती दरों पर उसे मिलता रहा है. (Courtesy – madives site avas)
सवाल – तो क्या ये माना जाए कि अब मालदीव की मुइज्जु सरकार की विदेश नीति भी बदल रही है?
– जब मुइज्जु मालदीव के राष्ट्रपति बने थे, तब उनकी अगुवाई वाली सरकार ने शुरुआत में “भारत को बाहर रखो” रुख अपनाते हुए आगे बढ़ी. लेकिन समय के साथ उन्हें स्थितियों का अंदाज होने लगा. अब स्थिति के पुनर्मूल्यांकन के बाद ये जाहिर हो रहा है कि मुइज्जु सरकार से पहले की भारत समर्थक सरकार की “इंडिया फर्स्ट” नीति देश में ज्यादा आर्थिक लाभ और स्थिरता लेकर आई थी. भारत ने भी इस दौर में धैर्य रखते हुए हमेशा पॉजिटिव रुख अपनाया और सहयोग जारी रखा. इसी वजह से अब मालदीव सरकार का रुख बदला. अब उसका बदला रुख उसको भारत के फिर से करीब लाने लगा है.
सवाल – भारत के साथ संबंधों में सुधार से मालदीव को किस तरह से लाभ मिलते हैं, जो मालदीव के विकास और स्थिरता में मायने रखते हैं?
– ये लाभ मालदीव को कई तरह से मिलते रहे हैं. मालदीव ने पिछले एक साल में इनके विकल्पों के लिए दूसरे देशों की ओर देखने की कोशिश की लेकिन उसको समझ में आ गया भारत जिस तरह तमाम मामलों में उसके साथ खड़ा रहा है, वैसा दूसरे देश नहीं करने वाले. सामानों का आयात भी दूसरे देशों से करना खासा महंगा पड़ रहा था.
– भारत मालदीव के लिए पर्यटकों का एक प्रमुख स्रोत है, वर्ष 2022 में भारतीय पर्यटकों का मालदीव के टूरिज्म बाजार में कुल हिस्सा 14.7 फीसदी रहा. ये मालदीव की अर्थव्यवस्था में बहुत मायने रखता है.भारतीय पर्यटन बढ़ने से राजस्व बढ़ सकता है. स्थानीय व्यवसायों को समर्थन मिल सकता है.
– 2021 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 300 मिलियन डॉलर से अधिक का रहा. भारत उसके सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में एक बन गया. इसमें भोजन, फार्मास्यूटिकल्स और निर्माण सामग्री जैसे आवश्यक सामान शामिल हैं.
– मालदीव भारत से विभिन्न प्रकार के सामान आयात करता है, जिसमें परिष्कृत पेट्रोलियम और कृषि उत्पाद शामिल हैं, जबकि स्क्रैप धातु और अन्य वस्तुओं का निर्यात करता है. मालदीव की दैनिक जरूरतों को पूरा करने और उसकी अर्थव्यवस्था को उछाल देने के लिए ये व्यापार संबंध जरूरी है.
– भारत ने ऐतिहासिक रूप से मालदीव को अक्सर अनुकूल शर्तों पर विकास सहायता प्रदान की है.
– आमतौर पर मालदीव की स्वास्थ्य और शिक्षा ही नहीं बल्कि सर्विस सेक्टर में भी भारत प्रोफेशनलों का योगदान जबरदस्त रहता आया है. स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में सहयोगात्मक परियोजनाएं मालदीव के लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर और आर्थिक अवसर पैदा कर सकती हैं.
– भारत चावल, मसालों और सब्जियों सहित आवश्यक वस्तुओं का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, वो भी बहुत ही रियायती दरों पर.मालदीव में अपना कुछ नहीं होता, ज्यादातर खाने-पीने का सामान वह बाहर से ही मंगाता है.
Tags: EAM S Jaishankar, Maldives, S JaishankarFIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 21:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed