Explainer: क्या अंबेडकर और केएम मुंशी वाकई में चाहते थे यूनीफॉर्म सिविल कोड
Explainer: क्या अंबेडकर और केएम मुंशी वाकई में चाहते थे यूनीफॉर्म सिविल कोड
संविधान के लागू होने के 75 साल पूरे होने के मौके पर संसद में चल रही बहस के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने एक समान नागरक सहिंता या यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर और केएममुंशी ने भी संविधान सभा में यूसीसी की पैरवी की थी.
हाइलाइट्स पीएम मोदी ने संसद मे यूसीसी का जिक्र किया था उन्होंने डॉ अंबेडकर और केएम मुंशी को इससे जोड़ा था दोनों ने संविधान संभा में यूसीसी की जमकर पैरवी की थी
संसद में चल रहे भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं सालगिरह के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के दौरान यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक सहिंता का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर और केएम मुंशी का जिक्र करते हुए बताया कि दोनों ने इसके महत्व को स्वीकार था. पर डॉ अंबेडकर और केएम मुंशी दोनों ही यूसीसी के समर्थक थे. क्या पीएम मोदी के इस दावे में कितनी सच्चाई है. आइए जानते हैं कि संविधान सभा से जुड़े इन महान हस्तियों को यूसीसी पर क्या विचार थे?
क्या कहा था पीएम मोदी ने
उन्होंने बताया कि संविधान सभा ने इस मुद्दे पर गहन चिंतन किया था और फिर यह तय किया था किइसे चुनी हुई सरकार को लागू करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी कई बार इसे लागू करने की जरूरत बता चुका है. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ खत्म करने की जोरदार वकालत की थी. वहीं केएममुंशी ने, समान नागरिक संहिता को राष्ट्र की एकता और आधुनिकता के लिए अनिवार्य बताया था.
पीएम अकेले नहीं ऐसा कहने वाले
पहली बार नहीं है कि पीएम मोदी यूसीसी को बाबा साहेब से जोड़ रहे हैं. इससे पहले स्वतंत्रता दिवस की मौके पर भी उन्होंने अपने भाषण में यूसीसी के साथ बाबा साहेब का जिक्र किया था जिस पर विपक्षी नेताओं ने काफी हंगामा भी मचाया था. लेकिन पीएम मोदी अकेले नहीं हैं जो ये दावा करते हैं कि बाबा साहेब अंबेडकर यूसीसी के पैरोकार थे. पीएम मोदी ने संसद में बताया कि बाबा साहेब और केएम मुंशी दोनों ने यूसीसी का समर्थन किया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
बाबा साहेब का विचार अहम क्यों?
डॉ अंबेडकर के यूसीसी पर विचार अहम इसलिए हो जाते हैं कि एक दलित होकर वे पढ़लिख कर ऐसी ऊंचाइयों को छू सके, जो किसी के सामन्य व्यक्ति के लिए भी आसान काम नहीं था. ऐसा शख्स जो संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्ययक्ष और बाद में भारत का पहला कानून मंत्री रहा हो, उसके बारे मे जानना जरूरी है कि आखिर यूसीसी जैसे नाजुक मुद्दे पर उसके विचार क्या थे?
यूसीसी के समर्थन में
डॉ अंबेडकर उन लोगों में प्रमुखता से शामिल थे जिन्होंने संविधान सभा में बहस के दौरान समान नागरिक संहिता का समर्थन किया था. कॉन्स्टीट्यूएंट असेंबली डिबेट के खंड सात में ड़ॉ अंबेडकर की दलीलों का जिक्र है. उन्होंने संविधान सभा में कहा था कि समान नागरिक संहिता में कुछ भी नया नहीं है. विवाह और उत्तराधिक को छोड़ दिया जाए तो देश में पहले से ही एक यूसीसी मौजूद है. समान नागरिक संहिता जरूरी है लेकिन इसे स्वैच्छिक बनाया रखा जाना चाहिए. संविधान को बनाने वाली संविधान सभा में हुए बहस में यूसीसी पर गहन चिंतन हुआ था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
केएम मुंमशी भी थे यूसीसी के पैराकार
बाबा साहेब के अलावा कांग्रेस के नेता और वकील केएम मुंशी (कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी) ने भी संविधान सभा में यूसीसी का जमकर समर्थन किया था. पीएम मोदी ने संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए कहा कि केएममुंशी ने भी समान नागरिक सहिंता की वकालत की थी. केएम मुंशी एक गुजराती साहित्यकार और वकील होने के साथ कांग्रेस के एक अहम नेता था और संविधान सभा की प्रारूप समिति के भी सदस्य थे. वे विश्व संविधान बनाने का समर्थन करने वालों हस्ताक्षरकर्ताओं में भी शामिल थे.
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इसमें कोई दो राय नहीं कि डॉ अंबेडर इस बारे में स्पष्ट राय नहीं बना पाए थे कि यूसीसी कैसे लागू की जा सकती है, लेकिन वे फिर भी यूसीसी की पैरोकारी करते रहे थे. यूसीसी का विरोध सबसे ज्यादा मुस्लिम लीग ने किया था, लेकिन कई हिंदुवादी भी इसका विरोध कर रहे थे. इसमें सबसे विवादास्पद हिस्सा वह था जो वैवाहिक परम्पराओं के प्रतिकूल था. फिर भी यूसीसी संविधान का हिस्सा है और समय समय पर इसे लागू करने की बात उठती रही है. संविधान की धारा 44 में इसका जिक्र, राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के तहत किया गया है, जो किसी भी संस्था पर बाध्यकारी नहीं है.
Tags: India news, Indian Constitution, PM Modi, Uniform Civil CodeFIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 16:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed