Explainer : महाराष्ट्र संकट के बीच जानिए मुख्यमंत्री की ताकत योग्यता और सेलरी

इन दिनों महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार संकट में है. ये चर्चाएं चल रही हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है. तब ऐसी स्थिति में राज्य को नया मुख्यमंत्री मिलेगा. वास्तविक तौर पर मुख्यमंत्री की पॉवर राज्य में प्रधानमंत्री से कम नही होतीं. उसकी शक्तियां क्या हैं, उसके क्या वेतन और सुविधाएं मिलती हैं.

Explainer : महाराष्ट्र संकट के बीच जानिए मुख्यमंत्री की ताकत योग्यता और सेलरी
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार संकट में है. ये सरकार महा विकास अघाड़ी गठबंधन कही जाती है. ये चर्चाएं होने लगी हैं कि अगर ये सरकार गिरती है तो कौन राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनेगा. हालांकि उद्धव ठाकरे को भरोसा है कि वो अपनी सरकार बचा लेंगे लेकिन पूरे मामले में मुख्यमंत्री का पद और सरकार बनना-बिगड़ना दांव पर लगा है. दरअसल किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री के पास संविधान के जरिए इतनी ताकत दे दी जाती है कि वह प्रदेश का ताकतवर मुखिया होता है. अपने तरीके से राज्य का प्रमुख होने के नाते उसे चलाता है. राज्य के चुने गए नेताओं और मंत्रियों का एक ही सपना होता है कि वो किसी दिन इस ताकतवर कुर्सी पर विराजमान हों. हालांकि इस आसीन होना आसान भी नहीं होता. सवाल – संविधान क्या कहता है? – भारतीय संविधान के अनुसार, राज्य में मंत्रियों की परिषद का निर्वाचित प्रमुख मुख्यमंत्री (सीएम) होता है. हालांकि, राज्यपाल आधिकारिक ‘राज्य का प्रमुख’ होता है, फिर भी यह मुख्यमंत्री ही होता है जिसमें ‘वास्तविक’ कार्यकारी शक्तियां निहित होती हैं. सवाल – कौन वास्तविक प्रमुख होता है राज्यपाल या मुख्यमंत्री? – मुख्यमंत्री राज्य का वास्तविक प्रमुख होता है, न कि राज्यपाल, जो कि औपचारिक प्रमुख होता है. चूंकि भारत ने संवैधानिक लोकतंत्र के वेस्टमिंस्टर मॉडल को अपनाया है, यह मुख्यमंत्री ही है जो राज्य सरकार के दिन-प्रतिदिन के कामकाज की देखरेख करता है. भारतीय संविधान के अनुसार, रोजाना के शासन प्रबंध में, मंत्रियों की परिषद द्वारा मुख्यमंत्री को सहायता दी जाती है, जिसमें कैबिनेट मंत्री, उप मंत्री और अन्य शामिल होते हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त किया गया है और जिन्हें राज्यपाल पद और गोपनीयता की शपथ दिलाता है. सवाल – कितनी होती है मुख्यमंत्री की शक्ति? – एक राज्य के प्रतिबंधित क्षेत्राधिकार के भीतर मुख्यमंत्री द्वारा उपभोग की गई शक्तियां और कार्य भारत के प्रधानमंत्री के ही समान हैं. ये इस तरह हैं – मुख्यमंत्री राज्य सरकार की कार्यकारी शक्तियों का अधिकार रखता है. उनके पास मंत्रियों की परिषद बनाने, राज्य के कामकाज के भीतर विशेष मंत्रालयों के लिए अपनी पार्टी के सदस्यों को चुनने की शक्ति होती है. मंत्रियों की मुख्य परिषद को मंत्रिमंडल कहा जाता है, जिनके सदस्यों का निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा लिया जाता है. विभिन्न विभागों के विभिन्न मंत्रियों को मुख्यमंत्री द्वारा आवंटित किया जाता है. यदि मुख्यमंत्री को उनका कार्य पसंद नहीं है तो मंत्रियों को उनके मंत्री पद से हटा दिया जाता है. महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री को मिलने वाला सरकार आवास वर्षा, जिसे उद्धव ठाकरे ने हाल ही में खाली कर दिया है. – मुख्यमंत्री राज्यपाल और मंत्री परिषद के बीच की कड़ी होता है – राज्य के वित्तीय मामलों में मुख्यमंत्री की एक महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसमें बजट, बुनियादी आधारभूत संरचना और राज्य की विकासात्मक प्राथमिकताएं, वित्तीय योजना और राज्य का आर्थिक विकास और अन्य शामिल हैं – मुख्यमंत्री एक राज्य की सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है सवाल – कितना होता है मुख्यमंत्री का वेतन? – भारत में एक राज्य के मुख्यमंत्री का वेतन, देश के प्रधानमंत्री की तरह, मूल वेतन के अलावा कई अन्य भत्ते जैसे निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, व्ययविषयक भत्ता (कर मुक्त) और दैनिक भत्ता सहित होता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार, देश में संबंधित राज्य विधायिकाओं द्वारा मुख्यमंत्री का वेतन तय किया जाता है. इस प्रकार यह एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न होता है. सवाल – क्या इसे रुपयों में बताया जा सकता है कि ये कितना होता है? मसलन दिल्ली के मुख्यमंत्री को वेतन में 3.9 लाख रुपए और साथ एक विधायक का वेतन भी मिलता है. इसके अलावा भत्ते और सुविधाएं अलग. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री को 3.65 लाख रुपए और साथ में एक विधायक का वेतन जोड़कर दिया जाता है. साथ ही भत्ते और सुविधाएं. चूंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को लेकर इन दिनों काफी गहमागहमी है. लिहाजा उसका वेतन 3.4 लाख और साथ में एक विधायक का वेतन जोड़कर दिया जाता है. इसके अलावा वो तमाम भत्तों और सुविधाओं का हकदार भी होता है. वैसे देशभर में ये वेतन कुछ अलग अलग होता है. सवाल – मुख्यमंत्री कौन सी सरकारी सुविधाओं का उपभोग करता है? – राज्य के मुख्यमंत्री को दी जाने वाली सुविधाओं में चिकित्सा सुविधाएं, आवासीय सुविधाएं, विद्युत और फोन शुल्क की सुविधा तो मिलती ही है. साथ में यात्रा सुविधाएं और कई अन्य सुविधाएं शामिल हो सकती हैं. मुख्यमंत्री के लिए इन सुविधाओं में प्रत्येक की आवंटित राशि एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न होती है. चिकित्सा सुविधाएं- चिकित्सा उपस्थिति नियमों के अनुसार, मुख्यमंत्री सरकार द्वारा चलाए जा रहे सभी अस्पतालों और सरकार द्वारा घोषित अन्य रेफरल अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा उपचार, प्रतिपूर्ति और मुफ्त आवास का लाभ उठाने का अधिकारी है. निवास सुविधाएं- मुख्यमंत्री किराया मुक्त और अच्छी तरह से सुसज्जित निवास के लिए अधिकारी हैं. हालांकि, धनराशि विभिन्न राज्यों में भिन्न हो सकती है. इस स्थिति में, मुख्यमंत्री अपने घर में रहने का फैसला करते हैं, घर किराए पर लेने का मूल्य मुख्यमंत्री को देय किया जाता है. बिजली और फोन का बिल – मुख्यमंत्री एक महीने में किए गए फोन कॉल शुल्क में खर्च राशि के भुगतान का अधिकारी है. ये राशि सरकार वहन करती है. बिजली के लिए भी ऐसा ही होता है. हालांकि उसे मासिक खपत के लिए मुख्यमंत्री को एक निश्चित मात्रा में विद्युत इकाइयों को आवंटन होता है. यात्रा की सुविधा –  मुख्यमंत्री को एक वर्ष में देश के अधिकार क्षेत्र में अपने यात्रा खर्चों के लिए निश्चित राशि आवंटित की जाती है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 की रुपरेखा के अनुसार यह राशि भी भिन्न होती है. मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्य एक वर्ष में मुफ्त यात्रा के लिए एक निश्चित राशि के भी अधिकारी हैं. सवाल – कैसे होता है मुख्यमंत्री का चयन? – संसदीय प्रणाली के वेस्टमिंस्टर मॉडल के अनुसार जिसका भारत पालन करता है, मुख्यमंत्री सीधे राज्य के लोगों द्वारा निर्वाचित नहीं किए जाते हैं. लोग राज्य में, राज्य विधायिका या विधान सभा के सदस्यों (विधायकों) के रूप में, विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के विशेष प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं. ये प्रतिनिधि, विशेष रूप से बहुमत वाले दल से जो सरकार बनाते हैं, फिर उनमें से मुख्यमंत्री का चयन होता है. मुख्यमंत्री का कार्यकाल पांच साल की अवधि के लिए होता हैं, जब राज्य विधानसभा भंग कर दी जाती है और नए चुनाव आयोजित किए जाते हैं। हालांकि, पांच साल की अवधि से पहले मुख्यमंत्री का कार्यकाल राज्यपाल द्वारा समाप्त किया जा सकता है, जब बहुमत दल राज्य विधायी विधानसभा में विश्वास मत खो देता है. सवाल – क्या होता है उसका कार्यकाल और सेवानिवृत्ति आयु की अवधि? – मुख्यमंत्री का कार्यकाल पांच साल तक होता है, उसके बाद राज्य विधानसभा भंग कर दी जाती है और विधानसभा में नए चुनाव आयोजित किए जाते हैं. लेकिन अगर विधानसभा चुनावों के होने के बाद मुख्यमंत्री 02 साल बाद ही विश्वास मत खो देता और उसकी सरकार गिर जाती है तो विधानसभा की बची अवधि के लिए दूसरे मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है. हालांकि, मुख्यमंत्री के कार्यकाल को राज्यपाल द्वारा 05 साल की अवधि से पहले समाप्त किया जा सकता है. वो विधानसभा तय समय से पहले बर्खास्त भी कर सकता है. मुख्यमंत्री खुद भी कार्यकाल पूरा होने से पहले पद से इस्तीफा दे सकता है. मुख्यमंत्री की सेवानिवृत्ति के लिए कोई उम्र नहीं है. हालांकि, मुख्यमंत्री बनने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष है, इसकी कोई सेवानिवृत्ति आयु सीमा नहीं है यह जब तक चाहे मुख्यमंत्री के पद की सेवा कर सकता है. सवाल – क्या मुख्यमंत्री को पेंशन मिलती है ? – भारत के संविधान के अनुसार, राज्य के मुख्यमंत्री अपनी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की एक निश्चित धनराशि के अधिकारी हैं. हालांकि, धनराशि संबंधित राज्य विधायिकाओं में भिन्न होती है. मुख्यमंत्री की मृत्यु के मामले में, उनके पति / पत्नी भी पेंशन के अधिकारी हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Chief Minister, Chief Minister Uddhav Thackeray, Maharashtra, Maharashtra GovernmentFIRST PUBLISHED : June 24, 2022, 12:35 IST