आखिर राहुल क्यों चाहते हैं हरियाणा चुनावों में आप का साथ जबकि कांग्रेस बेहतर
आखिर राहुल क्यों चाहते हैं हरियाणा चुनावों में आप का साथ जबकि कांग्रेस बेहतर
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन किया था, इसके बाद माना जा रहा था कि वो यहां अकेले ही विधानसभा चुनावों में उतरेंगे तो फिर राहुल गांधी क्यों आम आदमी पार्टी के साथ गठजोड़ चाहते हैं.
हाइलाइट्स क्या हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठजोड़ बेहतर रहेगा क्यों कांग्रेस की स्थानीय इकाई क्यों नहीं चाहती गठजोड़ आखिर इसमें फायदा किसका और कैसे होगा
हरियाणा चुनावों की गहमागहमी के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि इन चुनावों में कांग्रेस सहयोगी के तौर पर आम आदमी पार्टी के साथ चुनाव लड़ सकती है. इसका मतलब ये हुआ कि कांग्रेस इन विधानसभा चुनावों में आप के लिए कुछ सीटें छोड़ सकती है. हालांकि हरियाणा की स्थानीय कांग्रेस इकाई इसके समर्थन में नहीं है. खुद लोकसभा चुनावों के बाद ये लगा था कि आप और कांग्रेस के बीच अब शायद ही कोई तालमेल हो पाए.
सवाल इस बात का है कि लोकसभा चुनावों में बढ़िया प्रदर्शन करने के बाद राहुल गांधी क्यों आप के साथ हरियाणा के विधानसभा चुनावों में गठजोड़ करना चाहती है. हालांकि ये देखना होगा कि ये गठबंधन हो पाता है या नहीं.
क्यों राहुल को गठबंधन चाहते हैं
हरियाणा की कांग्रेस कांफिडेंट है कि अगर वो इन चुनावों में अकेले उतरेंगे तो जीत हासिल करके सरकार बना सकते हैं. लेकिन राहुल गांधी को लगता है कि चुनावों में उस पार्टी से गठजोड़ करना बेहतर होगा, जो हरियाणा में फिलहाल बहुत मामूली असर रखती है. आखिर इसकी वजह क्या है, किस बिना पर राहुल को लगता है आप के साथ गठबंधन बेहतर होगा.
लोकसभा चुनावों में क्या हुआ था
कुछ महीने पहले ही जब देश में लोकसभा के चुनाव हुए थे तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने हरियाणा, गुजरात, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में तालमेल किया था लेकिन उसके परिणाम इतने खराब आए तो आप नेता खुलेआम कहने लगे कि अब वो कांग्रेस के साथ कभी कोई गठजोड़ नहीं करेंगे. ऐसा कहने वालों में खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी थीं.
आप को एक भी सीट नहीं मिली लेकिन
हरियाणा में चुनाव 5 अक्टूबर को हैं. जब लोकसभा चुनाव हुए थे तब कांग्रेस को 10 में 5 सीटें मिली थीं जबकि आप को एक भी सीट नहीं मिली थी. इन चुनावों में कांग्रेस 42 विधानसभा चुनावों में आगे थी तो आप ने 04 विधानसभा सीटों पर मजबूती दिखाई थी.
क्या कहा राहुल ने
राहुल गांधी ने सोमवार को केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में गठबंधन का विचार रखा. हालांकि इससे कांग्रेस से शीर्ष नेताओं समेत हरियाणा इकाई के नेता हैरान ही हुए. अभी कुछ फाइनल नहीं है कि लेकिन राहुल ने ये जरूर कहा है कि कांग्रेस की हरियाणा इकाई को गठजोड़ के लिए तैयार रहना चाहिए.
हरियाणा में कांग्रेस में दो धड़े
हरियाणा में कांग्रेस की राज्य इकाई दो धड़ों में बंटी है – एक धड़े का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे हैं, जबकि दूसरे धड़े का सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा कर रही हैं. इसमें भी हुड्डा जहां आप के साथ कुछ सीटें साझा करने के विचार के लिए तैयार हैं, वहीं शैलजा इसके सख्त खिलाफ हैं.
क्या वोट बंटने से रोकने की रणनीति
ये माना जा रहा है कि राहुल गांधी हरियाणा में किसी भी तरह के वोटों के बंटने से बचने के लिए ये गठजोड़ करना चाहते हैं. ऐसे में आप को वो चार सीटें दी जा सकती हैं, जिसमें वो लोकसभा में अच्छी स्थिति में थे.
कैसा है आप का असर और वोटबैंक
आम आदमी पार्टी का बेशक अभी हरियाणा में कम असर है लेकिन उसके वोटर भी मुस्लिम, दलित और जाट हो सकते हैं. अलबत्ता शहर के नौजवान भी उनके साथ जाते हैं. कांग्रेस का भी मुख्य जनाधार हरियाणा में यही है. हरियाणा के शहरी इलाकों में आप का प्रभाव है, जो परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ रहा है.
क्या है समीकरण
राहुल को लग रहा है कि अगर लोकसभा चुनावों को आधार बनाएं तो कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी तो आप के लिए ये आंकड़ा 4 का था. दोनों मिलकर 46 हो जाता है. अगर ये समीकरण मिलकर हरियाणा में कांग्रेस को स्पष्ट तौर पर बहुमत के लिए 46 सीटें दिला सकता है. कांग्रेस को लगता है आप के साथ गठबंधन से न केवल सत्ता विरोधी मतों का विभाजन रुकेगा, बल्कि शहरी इलाकों में भाजपा के समर्थन आधार में भी कमी आएगी. लेकिन इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि कहीं ना कहीं राहुल को ये भी लग रहा है कि चूंकि चुनाव कांटे की टक्कर का होने जा रहा है,लिहाजा किसी भी तरह का जोखिम लेने से बचा जाए.
कितनी सीटें कितने पर बहुमत
हरियाणा में कुल मिलाकर 90 सीटें हैं, इसमें 46 सीटें जीतने वाली पार्टी या गठजोड़ सरकार बनाने की स्थिति में होगा. मौजूदा स्थिति ये बताती है कि हरियाणा में चुनाव कांटे का होगा. बहुत ज्यादा एकतरफा स्थिति नहीं रहेगी. आप की ओर से राहुल गांधी के इस विचार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जरूर आई है लेकिन अभी कुछ भी तय नहीं है कि आप क्या करेगी. ये फैसला शायद राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के हाथ में होगा.
आप की हरियाणा इकाई क्या चाहती है
वैसे आप की हरियाणा इकाई की बात करें तो वहां भी वो अकेले 90 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. केजरीवाल की पत्नी सुनीता राज्य में प्रचार में जुटी हुई हैं. उन्होंने अपने पति को “हरियाणा का बेटा” बताया है, क्योंकि उनका जन्म हिसार में हुआ था.
क्या कांग्रेस को आप भविष्य की नेचुरल पार्टनर लगती है
कांग्रेस दो-तीन दिन में अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर देगी. चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 5 सितंबर से शुरू होगी और 12 सितंबर तक चलेगी. ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को लग रहा है कि आप और उसका वोटबैंक एक जैसा है, लिहाजा इसे बंटने से रोका जाए. राष्ट्रीय स्तर पर आम आदमी पार्टी उन्हें गठजोड़ के लिए नेचुरल पार्टनर लग रही है. हालांकि दोनों के बीच बहुत से मामलों में किंतु और परंतु वाली स्थिति भी है.
हालांकि अगर ऐसा कोई गठजोड़ हुआ तो उसमें आम आदमी पार्टी का फायदा ज्यादा है. उसको हरियाणा में कुछ सीटें मिलने की संभावना मजबूत हो जाएगी, जिसका असर आने वाले समय में उसकी भविष्य की सियासत के साथ दिल्ली के विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है.
Tags: Haryana election 2024, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 19:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed