हमारे दिमाग में भी होता है एक कंपास क्या बताते हैं साइंटिस्ट इसके बारे में

हाल में वैज्ञानिक शोध ये बताते हैं कि हमारे दिमाग में नेचुरल तरीके से एक कंपास जैसी यांत्रिकी काम करती है. जो हमें दिशाबोध कराती है, इसके अनुसार हम ये समझ जाते हैं कि हमें किधर जाना है. अलबत्ता ये क्षमता किसी में कम तो किसी में ज्यादा होती है.

हमारे दिमाग में भी होता है एक कंपास क्या बताते हैं साइंटिस्ट इसके बारे में
हाइलाइट्स पक्षी, चूहे और चमगादड़ जैसे जानवरों में भी ऐसा कंपास होता है मानव मस्तिष्क हमारे अंदर के इस कंपास को मैनेज करता है क्या आपने कभी सोचा है कि हम दिशाओं को कैसे याद रखते हैं. अपने आसपास के वातावरण कैसे कहां जाना है ये अंदाज लगा लेते हैं. किस तरह एक स्वाभाविक दिशाबोध खुद ब खुद हमें हो जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे दिमाग में भी एक कंपास होता है, जो दिशाज्ञान में हमारी मदद करता है. नेचर ह्यूमन बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क गतिविधि के एक पैटर्न की पहचान की है जो हमें कहीं भी भटकने से रोकने में मदद करता है. बर्मिंघम विश्वविद्यालय और म्युनिख के लुडविग मैक्सिमिलियन विश्वविद्यालय की एक टीम की स्टडी पहली बार ये बताने में कामयाब हुई है कि हमारे शरीर और ब्रेन में एक तंत्रिका कम्पास जैसी चीज होती है, जिसका उपयोग मानव मस्तिष्क खुद पर्यावरण के माध्यम से नेविगेट करने के लिए करता है. जानवरों के दिमाग में भी होता है ऐसा सर्किट अध्ययन के पहले लेखक डॉ. बेंजामिन जे. ग्रिफिथ्स ने कहा, हम जानते हैं कि पक्षियों, चूहों और चमगादड़ों जैसे जानवरों में तंत्रिका सर्किटरी होती है जो उन्हें ट्रैक पर रखती है, हम आश्चर्यजनक रूप से इस बारे में बहुत कम जानते हैं कि वास्तविक दुनिया में मानव मस्तिष्क इसे कैसे मैनेज करता है. कैसे वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क में कंपास को पाया चलते समय मनुष्यों में तंत्रिका गतिविधि को मापने की चुनौती पर काबू पाने के लिए, शोधकर्ताओं ने मोबाइल ईईजी उपकरणों और मोशन कैप्चर तकनीक का उपयोग किया. 52 स्वस्थ प्रतिभागियों के एक समूह ने गति-ट्रैकिंग प्रयोगों की एक श्रृंखला में भाग लिया. तब उनकी मस्तिष्क गतिविधि को स्कैल्प ईईजी के माध्यम से दर्ज किया गया. भविष्य के काम में, शोधकर्ता यह जांचने की कोशिश करेंगे कि मस्तिष्क समय के माध्यम से कैसे नेविगेट करता है, यह पता लगाने के लिए कि क्या समान न्यूरोनल गतिविधि मेमोरी जिम्मेदार है. ये कैसे काम करता है शोधकर्ताओं का सुझाव है कि मस्तिष्क वास्तव में हिले बिना मस्तिष्क में इच्छित दिशा का अनुकरण करने के लिए न्यूरॉन्स का उपयोग कर सकता है. वे मानते हैं कि हेड दिशा कोशिकाएं एक भूमिका से दूसरी भूमिका में बदल जाती हैं, ताकि वे लक्ष्य दिशा का अनुकरण करने से पहले ये बता सकें कि अभी आप कहां हैं और किधर की ओर सही रास्ता जा रहा है. किसी में कम तो किसी में ज्यादा होती है ये क्षमता मस्तिष्क के इस क्षेत्र में गतिविधि की ताकत किसी व्यक्ति के नेविगेशन कौशल से जुड़ी होती है. जो किसी में कम तो किसी में ज्यादा होती है. यह मस्तिष्क का वह क्षेत्र भी है जो अल्जाइमर जैसी बीमारियों से सबसे पहले क्षतिग्रस्त होने वाले क्षेत्रों में से एक है, जो यह बता सकता है कि खो जाना और भ्रमित होना पीड़ितों में एक आम प्रारंभिक समस्या क्यों है. कंपास क्या करता है कंपास का काम मुख्य दिशाओं का पता लगाना होता है. इसमें एक चुंबकीय सुई होती है जो स्वतंत्र रूप से घूम सकती है. जब कंपास को किसी जगह पर रखा जाता है, तो चुंबकीय सुई उत्तर-दक्षिण दिशा में घूम जाती है. कंपास सुई के लाल तीर को उत्तरी ध्रुव और दूसरे छोर को दक्षिणी ध्रुव कहा जाता है. सीधे शब्दों में कहें तो कंपास एक उपकरण है जो उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम जैसी दिशाएं बताता है. इन्हें कार्डिनल दिशाओं के रूप में भी जाना जाता है. कंपास किसने बनाया इतिहासकारों का मानना है कि पहला कंपास चीनियों ने पहली शताब्दी के आस-पास बनाया था. हालांकि इसकी सटीक उत्पत्ति के बारे में इतिहासकार निश्चिंत नहीं हैं. चीन के हान राजवंश (202 ईसा पूर्व – 220 ईस्वी) के दौरान लॉडस्टोन से पहला कंपास बनाया गया था. लॉडस्टोन लोहे का एक प्राकृतिक रूप से चुंबकीय पत्थर है. चीनी वैज्ञानिकों ने 11वीं या 12वीं सदी में ही नेविगेशनल कंपास विकसित कर लिया होगा. 12वीं शताब्दी के अंत में पश्चिमी यूरोपीय लोगों ने भी इसका अनुसरण किया. कंपास कितनी तरह के होते हैं कम्पास के दो मुख्य प्रकार होते हैं: चुंबकीय कंपास, जाइरो कंपास. चुंबकीय कंपास में एक चुंबकीय तत्व (सुई या एक कार्ड) होता है जो पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों को इंगित करने के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की चुंबकीय रेखाओं के साथ खुद को एडजस्ट करता है. चुंबकीय कंपास की सुई स्टील की बनी होती है, जिसे लंबे समय तक चुंबकित किया जा सकता है. Tags: Brain, Brain power, Brain science, Science, Science facts, Science newsFIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 10:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed