धान की बुवाई से पहले बीज के साथ जरूर करें ये कामरोगों का चक्कर होगा खत्म!

बीज को उपचारित करके बुवाई करने से फासले रोग मुक्त हो जाती हैं. फसलों में संक्रमण का खतरा नहीं रहता  है.क्योंकि अधिकतर रोग बीज से लगते हैं .लेकिन जब बीज उपचारित करके बुवाई की जाती है. तो इसका खतरा कम हो जाता है. और फसल की पैदावार भी बढ़ जाती हैं.

धान की बुवाई से पहले बीज के साथ जरूर करें ये कामरोगों का चक्कर होगा खत्म!
सौरभ वर्मा/रायबरेली : खरीफ की फसल का सीजन चल रहा है. खरीफ की सीजन में धान की फसल मुख्य फसल मानी जाती है. किसान इस समय धान और खरीफ की अन्य फसलों को बोने की तैयारी में जुट हुए हैं. किसान पहले धान की पौध तैयार करते है या फिर सीधी बुवाई करते हैं. लेकिन खरीफ के सीजन में किसी भी फसल की बुवाई से पहले बीज का उपचार करना जरूरी होता है .तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं कि खरीफ की फसल की बुवाई से पहले बीज उपचार कैसे करें जिससे उन्हें बंपर पैदावार मिल सके. रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा ( बीएससी एजी ,डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या) बताते हैं कि खरीफ की फसल की बुवाई से पहले किसान बीज का शोधन कर लें. जिससे उन्हें फसल की बंपर पैदावार प्राप्त हो सके. वह बताते हैं कि बीज अनेकों रोगाणु, कवक, जीवाणु, विषाणु व सूत्रकृमि के वाहक होते हैं. जो खेत में बोए गए बीज को नुकसान पहुंचाते हैं. जिससे फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़वार, उत्पादन एवं उत्पादकता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसीलिए बुवाई के पहले किसान बीज का जैविक या रासायनिक तरीके से बीज का शोधन यानी की उपचार जरूर कर लें. ऐसे करें धान की बीज का उपचार शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि धान की बुवाई से पहले बीज का उपचार करने के लिए किसान दो ग्राम थीरम या कैप्टान,या कार्बेन्डाजिम दवा 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से अथवा ट्राइकोडर्मा दवा10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से ड्रम में डाल दें. फिर हैंडल द्वारा ड्रम को 10 मिनट तक घुमाएं. ऐसा करने से एक बार में 30 से 35 किलो ग्राम तक बीज का उपचार किया जा सकता है. क्या है घड़ा विधि ? शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि वहीं दूसरी विधि है घड़ा विधि इस विधि में घड़े में बीज की निश्चित मात्रा और दवा को डाल दें. घड़े के मुंह को पॉलिथीन से बांधकर 10 मिनट तक ठीक प्रकार से हिलाएं. उसके बाद घड़े का मुंह खोलकर उपचारित बीज को अलग कर लें. उसके बाद किसान अपनी नर्सरी में बीज की बुवाई कर दें. जिससे फसल की पैदावार बढ़ेगी और फसल रोगमुक्त रहेगी. नहीं होगा धान की फसल में रोग का खतरा शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि बीज को उपचारित करके बुवाई करने से धान की फसल रोग मुक्त हो जाती हैं. फसलों में संक्रमण का खतरा नहीं रहता है. गौरतलब है कि धान में अधिकतर रोग बीज से लगते हैं .लेकिन जब बीज उपचारित करके बुवाई की जाती है. तो इसका खतरा कम हो जाता है. और फसल की पैदावार भी बढ़ जाती हैं. Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 31, 2024, 15:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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