फिरोजाबाद को पहचान दिलाने वाले कौन हैं रुस्तम उस्ताद पोते ने सबकुछ बताया

फिरोजाबाद के इस्लामगंज में उस्ताद रुस्तम के वंशज रहते हैं, उनके पोते मो. शमीम ने लोकल 18 से खास बातचीत की और कहा कि उनके दादा रुस्तम उस्ताद ने 1916 में फिरोजाबाद में चूड़ी उद्योग की शुरुआत की. यहां उन्होने सबसे पहले चूडी का निर्माण करना शुरु किया.  फिर धीरे-धीरे एक उद्योग स्थापित हो गया. इसके बाद उनके बेटे ने चूड़ी के काम को संभाला.

फिरोजाबाद को पहचान दिलाने वाले कौन हैं रुस्तम उस्ताद पोते ने सबकुछ बताया
फिरोजाबाद /धीर राजपूत: फिरोजाबाद को चूडियों के लिए देश विदेश तक पहचान दिलाने वाले रुस्तम उस्ताद के वंशज आज अलग जिंदगी जी रहे हैं. रुस्तम उस्ताद ने कभी रेते से कांच की चूडी का निर्माण किया था. लेकिन अब उनके वंशज का चूड़ियों के कारोबार से नाता टूट गया है. उनके वंशज अब किसी और काम के जरिए अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन, उनके पास आज भी चूडी कारोबार से जुड़ी कई सारी यादें मौजूद हैं. उन्हे फिरोजाबाद में न तो कोई सम्मान मिला और न ही चूड़ी उद्योग द्वारा किसी यूनियन में शामिल किया गया. फिरोजाबाद के इस्लामगंज में उस्ताद रुस्तम के वंशज रहते हैं, उनके पोते मो. शमीम ने लोकल 18 से खास बातचीत की और कहा कि उनके दादा रुस्तम उस्ताद ने 1916 में फिरोजाबाद में चूड़ी उद्योग की शुरुआत की. यहां उन्होने सबसे पहले चूडी का निर्माण करना शुरु किया.  फिर धीरे-धीरे एक उद्योग स्थापित हो गया. इसके बाद उनके बेटे ने चूड़ी के काम को संभाला. लेकिन, जैसे-जैसे उद्योग स्थापित होते गए, वैसे-वैसे सरकार ने भी यहां के लिए नए नियम बना दिए. पहले भट्टियों के द्वारा चूडी बनाने का काम होता था, जिसमें कोयले का इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन, नए नियम बनने के बाद कोयले के प्रयोग पर रोक लगा दी और गैस का प्रयोग करने के लिए बोला गया. उनकी फैक्ट्री शहर में थी, तो उनको गेल कंपनी ने गैस देने से मना कर दिया. जबकि, उनके आसपास की अन्य फैक्ट्रियों के लिए गैस की मंजूरी दी गई और उनमें काम चल रहा था. उस्ताद रुस्तम फैक्ट्री को गेल कंपनी ने गैस देने से मना कर दिया, जिससे उनकी फैक्ट्री बंद हो गई. अब उनके बेटे बाहर नौकरी करते हैं. वहीं दूसरे बेटे ने हाल ही में एक ग्लास आइटम्स को बचने के लिए दुकान की शुरुआत की है. बस इसी से उनका घर का खर्चा चलता है. उन्होंने बताया कि फिरोजाबाद को चूडियों के लिए मशहूर कराने वाले रुस्तम उस्ताद की चौथी पीढ़ी नौकरी कर अपना भरण-पोषण करती है. जिले में नहीं मिला रुस्तम उस्ताद को सम्मान मो.शमीम ने कहा कि फिरोजाबाद को चूडियों के लिए उनके दादा ने मशहूर किया था. यहां के चूड़ी उद्योग के लिए वह कानपुर तक गए और यहां चूड़ी बनाने की शुरुआत हुई. लेकिन आज जिले में कोई भी उनका नाम तक नहीं जानता. शहर में कहीं भी उनकी न तो कोई प्रतिमा स्थापित की गई और नाही किसी चौराहे का नाम रखा गया है. उन्होने कहा कि मौजूदा सरकार में फिरोजाबाद में एक ग्लास म्यूजियम तैयार किया जा रहा है, जिसमें कांच उद्योग से जुड़ी पुरानी धरोहरों को भी दर्शाया जाएगा. लेकिन अभी तक किसी को यह नहीं पता कि चूड़ी उद्योग की शुरुआत कहां से हुई. म्यूजियम में आने वाले पर्यटकों को क्या बताया जाएगा. चूड़ियों के जनक माने जाने वाले रुस्तम उस्ताद और उनके वंशजों को सम्मान मिलना चाहिए. Tags: Firozabad News, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 15:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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