यहां के किसान कर रहे हैं मिश्रित खेती सब्जियों में हो रही तगड़ी कमाई

Vegetable Farming in Farrukhabad: एक समय फर्रुखाबाद के कुछ किसान फसलों के नुकसान को देखते हुए पारंपरिक खेती करना बंद कर शहर की ओर रुख कर दिए थे. वही किसान आज सब्जियों की खेती कर घर से ही लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं. किसानों ने बताया कि सब्जियों से उन्हें काफी लाभ हो रहा है.

यहां के किसान कर रहे हैं मिश्रित खेती सब्जियों में हो रही तगड़ी कमाई
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: यूपी के फर्रुखाबाद में एक समय खेती बाड़ी में निरंतर हो रहे नुकसान से परेशान थे. इस वजह से किसान खेती छोड़कर शहर की ओर रुख करने लगे थे, लेकिन अब यहां के किसान ऐसा नहीं कर रहे हैं. अब बदलते दौर के साथ ही किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नगदी वाली सब्जियों की खेती कर रहे हैं. जिसके कारण वह कम भूमि पर ही मिश्रित खेती करके लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. अब यहां के किसान आलू-धान की फसलों को छोड़कर सब्जियों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. सब्जियों की मिश्रित खेती से हो रहा मुनाफा फर्रुखाबाद के हुसैनपुर गांव निवासी किसान सूबेदार सिंह बताते हैं कि वह अपने खेतों में तोरई, लौकी, शलजम जैसी सब्जियों की मिश्रित रूप से उगाते हैं. जिसमें आमतौर पर एक हजार रूपए प्रति बीघा की लागत आती है. वहीं, जब एक बार सब्जियां तैयार हो जाती हैं, तो बंपर आमदनी के साथ ही कैश भी आना शुरू हो जाता है. क्योंकि सबसे पहले तोरई की फसल तैयार होती है, जो हर सप्ताह तुड़ाई की जाती है. वहीं, इस फसल से 6 से 10 बार तोरई की तुड़ाई की जाती है. इसके बाद लौकी और दूसरी फसलें तैयार होती हैं, जिससे बिक्री का यह क्रम बना रहता है और लगातार नगदी के रूप में कमाई भी होती रहती है. यहां सब्जियों की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि सब्जी की पैदावार काफी अच्छी होती है, जिससे उन्हें मुनाफा भी हो रहा है, लेकिन कभी-कभी सही भाव मंडी में नहीं मिल पाता है. जिसके कारण इन्हें लाभ कम होता है, लेकिन इस समय सब्जियों की बिक्री अच्छी हो रही है और कमाई भी कर रहे हैं. सब्जियों से कम समय में होता है अधिक मुनाफा किसान ने बताया कि जिस प्रकार सब्जियों की फसले साल भर विशेष तरीके से की जाती हैं, ऐसे समय पर इसका उत्पादन भी अच्छा होता रहता है. बस सब्जियों की खेती में नमी बनाए रखने के लिए समय-समय से सिंचाई की जाती है. जब फसल तैयार हो जाती है तो उस समय अच्छे तरीके से उसकी देखरेख और तुड़ाई करके मंडी में बिक्री करते हैं. जिस प्रकार वह इन सब्जियों को तैयार करने में जैविक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं. वह इन उर्वरकों को अपने घर पर ही तैयार करते हैं, जिसके कारण लागत कम हो जाती है और तोरई का उत्पादन अच्छा होता है. जानें कब होती है तोरई की खेती किसानों ने बताया कि तोरई की खेती किसी भी क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है, जिस प्रकार इसकी खेती उचित जल निकासी वाले खेतों में सही रहती है. जिसमें मृदा में कम सिंचाई के बावजूद भी नमी बनी रहे और गर्मी और बारिश के मौसम में जल भराव न हो सके. इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी उचित मानी जाती है. वहीं, विभिन्न प्रकार के अलग-अलग मौसम में भी वह फसलों को तैयार कर उनसे मुनाफा कमाते हैं. Tags: Farrukhabad news, Local18FIRST PUBLISHED : June 30, 2024, 15:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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