यूपी के इस शहर पर गणपति जी की विशेष कृपा! कारीगरों ने किया लाखों का कारोबार

इन प्रतिमाओं को लकड़ी, बांस, नारियल के खोल और मिट्टी का उपयोग करके बनाया जाता है. ये प्रतिमाएं वजन में हल्की होती हैं और साथ ही दिखने में भी अत्यंत आकर्षक हैं. इनकी कीमत 250 रुपए से लेकर 10,000 रुपए तक है.

यूपी के इस शहर पर गणपति जी की विशेष कृपा! कारीगरों ने किया लाखों का कारोबार
फर्रुखाबाद: यहां की मूर्ति कला सदियों से प्रसिद्ध रही है. यहां धातु और मिट्टी से बनी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं न केवल स्थानीय बल्कि प्रदेश के कई जिलों में भी जाती हैं. इस बार गणेश महोत्सव के अवसर पर भी इन कारीगरों ने लाखों रुपए का कारोबार किया है, जिसमें उनकी अनोखी कला और पर्यावरण-संवेदनशीलता की झलक देखने को मिली. पहले जहां प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी प्रतिमाओं का निर्माण होता था, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता था, वहीं अब कारीगरों ने इस पर ध्यान देते हुए पर्यावरण के अनुकूल प्रतिमाएं बनानी शुरू कर दी हैं. इन प्रतिमाओं को लकड़ी, बांस, नारियल के खोल और मिट्टी का उपयोग करके बनाया जाता है. ये प्रतिमाएं वजन में हल्की होती हैं और साथ ही दिखने में भी अत्यंत आकर्षक हैं. इनकी कीमत 250 रुपए से लेकर 10,000 रुपए तक है. कारीगरों की लाखों में कमाई कारीगर बताते हैं कि किसी भी महोत्सव के लिए वे कई हफ्ते पहले से ही प्रतिमाओं का निर्माण शुरू कर देते हैं. इस बार गणेश महोत्सव के लिए इन्होंने छोटी से लेकर बड़ी प्रतिमाएं तैयार की थीं, जिन्हें कानपुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, बरेली और मैनपुरी से गणेश भक्तों ने ऑर्डर देकर मंगवाया. इस कला और मेहनत के दम पर इन कारीगरों ने लाखों रुपए का कारोबार किया है. कैसे तैयार होती हैं प्रतिमाएं कारीगर जितेंद्र बताते हैं कि प्रतिमा बनाने के लिए सबसे पहले चिकनी मिट्टी का चुनाव किया जाता है, जो जल्दी सूख जाती है. इसके बाद बांस से प्रतिमा की संरचना तैयार की जाती है. इस संरचना पर नारियल के खोल और मिट्टी की परत चढ़ाई जाती है. जब मिट्टी सूख जाती है, तो उस पर प्राकृतिक रंगों से रंगाई की जाती है और फिर आभूषण और वस्त्रों से प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जाता है. Tags: Ganesh Chaturthi, Local18FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 11:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed