EVM मशीनों की चोरी को लेकर हंगामे का वीडियो वायरल सभी दावे निकले फर्जी
समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी 8 मार्च, 2022 को इस वीडियो को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए वाराणसी में ईवीएम में हेराफेरी का आरोप लगाया था.
चोर चोरी से जाए, हेरा-फेरी से न जाए।
योगी सरकार अभी भी ई.वी.एम. मशीन की हेरा-फेरी कर जनादेश पर डकैती डालना चाहती है। अब समझ में आया कि सूपड़ा साफ होने के बाद भी भाजपा, सरकार बनाने का दम्भ क्यों भर रही है।
ईवीएम मशीन से भरी डीसीएम का वीडियो शिवपुर विधानसभा, वाराणसी।@ECISVEEP pic.twitter.com/FBWgaSysUy— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) March 8, 2022
इस वीडियो का थोड़ा लंबा वर्जन अरुण राजभर के फेसबुक प्रोफाइल पर भी लगा मिला. इन-विड टूल की मदद से इस वीडियो के कई फ्रेम्स को निकाला और इनमें ईवीएम और वीवीपैट के विजुअल से संबंधित दो फ्रेम मिला, जिसमें नजर आ रहे ईवीएम और वीवीपैट पर साफ-साफ और स्पष्ट शब्दों में “प्रशिक्षण/जागरूकता ईवीएम” लिखा हुआ है.
न्यूज सर्च में रिपोर्ट्स मिली, जिसमें इस घटना पर तत्कालीन जिलाधिकारी का बयान और स्पष्टीकरण है. न्यूज एजेंसी एएनआई के 8 मार्च 2022 के ट्वीट के मुताबिक, वाराणसी के तत्कालीन जिलाधीश और जिला निर्वाचन अधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया, “ये ईवीएम प्रशिक्षण के लिए थे, जिन्हें मंडी स्थित खाद्य गोदाम से यूपी कॉलेज ले जाया जा रहा था. कुछ राजनीतिक दलों ने ऐसे ईवीएम को ले जा रहे वाहन को रोका और इन्हें चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम कहकर अफवाह फैलाई.”
Samajwadi Chief Akhilesh Yadav alleges, “Varanasi DM is transporting EVMs without giving any information to local candidates. EC should look into it.” pic.twitter.com/jHp9xwWpaD
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 8, 2022
आठ मार्च 2022 को प्रकाशित न्यूज एजेंसी एएनआई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ईवीएम में हेराफेरी का विवाद सामने आने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी सह जिलाधीश कौशल राज शर्मा ने कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया, “करीब 20 ईवीएम को यूपी कॉलेज प्रशिक्षण के लिए ले जाया जा रहा था. कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने इस वाहन को रोका और यह अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि गाड़ी में ले जाया जा रहा ईवीएम चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम है, जबकि चुनाव में इस्तेमाल होने वाला ईवीएम अलग स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है और प्रशिक्षण वाले ईवीएम को अलग स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है.”
घटना को लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश की तरफ से भी स्पष्टीकरण जारी किया गया. दी गई जानकारी में उन्हीं बातों का उल्लेख है, जिसका जिक्र ऊपर किया गया है.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग समय-समय पर चुनाव बाद ईवीएम की सुरक्षा और उसके रख-रखाव को लेकर दिशा-निर्देश जारी करते रहता है. 22 मार्च, 2019 को जारी निर्देशों के मुताबिक, कैटेगरी D के तहत अनयूज्ड ईवीएम और वीवीपैट्स मशीनें सेक्टर, जोनल या एरिया मजिस्ट्रेट को दी जाती हैं. इन मशीनों का इस्तेमाल मतदान में नहीं होता है.
सोशल मीडिया पर यह वीडियो पहले भी समान दावे के साथ वायरल हुआ था, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है.
वायरल दावे को लेकर फैक्ट चेक टीम ने वाराणसी के उप-जिला निर्वाचन अधिारी रणविजय सिंह से संपर्क किया था. ईवीएम हेराफेरी के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा था, “सभी ईवीएम को मतगणना प्रशिक्षण में लगे कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए उदय प्रताप डिग्री कॉलेज ले जाया जा रहा था. ये सभी ईवीएम प्रशिक्षण के लिए थी और इनका इस्तेमाल चुनाव में नहीं किया गया था.”
वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब 68 हजार लोग फॉलो करते हैं. चुनाव से संबंधित अन्य भ्रामक व फेक दावों की जांच करती फैक्ट चेक रिपोर्ट को विश्वास न्यूज के चुनावी सेक्शन में पढ़ा जा सकता है.
(This story was originally published by vishvasnews.com. Fact Check Desk, as part of the Shakti Collective. Except for the headline/excerpt/opening introduction para this story has not been edited by jharkhabar.comindia.com staff)
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