मुगलों को हराने की मान्यता हुई थी पूरी फिर हुआ था इस मंदिर का निर्माण

Tiksi Mahadev Temple: यूपी के इटावा में मशहूर टिक्सी महादेव मंदिर का मंदिर है. इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि मराठा सरकार सदाशिव भाऊ ने मुगलों को पराजित करने के बाद इस मंदिर का निर्माण कराया था. जानें मंदिर का इतिहास...

मुगलों को हराने की मान्यता हुई थी पूरी फिर हुआ था इस मंदिर का निर्माण
इटावा: महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े उत्तर प्रदेश के इटावा में ग्वालियर मार्ग पर स्थित टिक्सी महादेव मंदिर मराठा शैली में निर्मित है. इस मंदिर की स्थापना के बारे कहा जाता है कि मराठा सरदार सदाशिव भाऊ ने कन्नौज और फर्रुखाबाद के मुगल शासकों को पराजित कर मान्यता पूरी करने पर टिक्सी मंदिर का निर्माण करवाया था. पानीपत के तीसरे युद्ध से है संबंधित वहीं, इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि इसको वशिष्ठ मुनि ने स्थापित किया है. जहां पानीपत के तीसरे युद्ध में अहमदशाह अब्दाली का साथ देने वाले इस क्षेत्र के नवाबों को हराने की मन्नत पूरी होने पर मंदिर का निर्माण कराया गया था. जमीन से काफी उंचाई पर है शिवलिंग जहां 1780 में इस मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ था. तब से यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. जनश्रुति के मुताबिक एक समय प्राचीन काल में यह क्षेत्र बीहड़ का जंगल था. जहां वशिष्ठ मुनि ने यहां पर वशिष्ठेश्वर महादेव की स्थापना की थी. यहां शिवलिंग धरातल से बहुत अधिक ऊंचाई पर है, सिद्ध स्थल होने से शिव भक्त यहां आकर पूजा-अर्चना तपस्या करते थे. वहीं, मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर यमुना नदी बहती है. उस समय आवागमन के सही साधन न होने के कारण नाव आदि का सहारा इस इलाके से गुजरने वाले लोग लिया करते थे. जानें कौन कराया मंदिर का निर्माण मराठा सरदार सदाशिव भाऊ कन्नौज तथा फर्रुखाबाद में नवाबों को खात्मा करने के लिए सेना सहित 1772 में यमुना नदी के किनारे आकर रुका था. उस समय नवाबों का भी मजबूत सैन्य संगठन था, लेकिन कुछ श्रद्धालुओं ने मराठा सरदार को इस शिवलिंग पर रुद्रीय अभिषेक करके अपनी विजय सुनिश्चित करने की सलाह दी. मराठा सरदारों ने नवाबों को किया था परास्त इसके बाद मराठा सरदार ने पूजा-अर्चना करके मन्नत मांगकर नवाबों को परास्त कर दिया. तब मराठा सरदार ने मराठा शैली में शिवलिंग तक सीढि़यों सहित मेहराबदार छत का निर्माण कराया. इस मंदिर का 1780 में निर्माण पूर्ण होना इटावा के गजेटियर में दर्ज है. जानें क्यों कहते हैं टिकरी मंदिर जानकारी के अनुसार वशिष्ठेश्वर महादेव शिवलिंग खुले में थे. ग्रीष्मकाल में शिवभक्त शिवलिंग पर टिकरी यानी तिपाई पर कलश रखकर शिवलिंग पर जल की बूंदे टपकते रहने की व्यवस्था करते हैं. उस समय टिकरी रखी जाने से टिकरी वाले मंदिर के नाम से मंदिर मशहूर हुआ, जो अंग्रेजों का दौर आने पर टिकरी से टिक्सी मंदिर के नाम से मशहूर हुआ. बदलता रहता है मंदिर का नाम  इस मंदिर पर धरातल से सीढि़या काफी हैं. महाराष्ट्र की लोकभाषा में सीढ़ी को टिक्सी भी कहते हैं. इससे टिक्सी मंदिर का नाम पड़ा. बहरहाल दौर के अनुरूप इस मंदिर का नाम बदलता रहा. वर्तमान में टीटी मंदिर पुकारा जा रहा है. जानें मंदिर को लेकर इतिहासकार ने क्या कहा इटावा के इतिहासकार और चौधरी चरण सिंह कॉलेज के प्राचार्य डॉ.शैलेंद्र शर्मा बताते हैं कि लोकमान्यता में टैक्सी मंदिर का बेहद महत्व माना जाता है. यहां अधिक ऊंचाई पर शिवलिंग की स्थापना है. इस मंदिर की स्थापना के बारे में ऐसा कहा जाता है कि मराठा सरदार सदाशिव भाऊ ने कन्नौज और फर्रुखाबाद के मुगल शासको को पराजित करने की मान्यता पूरी होने पर इसका निर्माण कराया है. आज के समय में यह मंदिर अपने आप में आस्था का बड़ा केंद्र बना हुआ है. Tags: Hindu Temples, Local18, Lord Shiva, River YamunaFIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 17:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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