एम्स ने लाइलाज बीमारी बताकर किया वापस आयुर्वेदिक दवाई से मिला जीवनदान

Ayurvedic hospital: नई दिल्ली स्थित एम्स ने गले की बीमारी से पीड़ित अमित नाम के मरीज को लाइलाज बीमारी बता कर घर वापस भेज दिया था. अमित की वह बीमारी आयुर्वेदिक दवाइयों से......

एम्स ने लाइलाज बीमारी बताकर किया वापस आयुर्वेदिक दवाई से मिला जीवनदान
रिपोर्ट- रजत कुमार इटावा: आयुर्वेदिक दवाइयां कितनी प्रभावी होती हैं उसका असर उत्तर प्रदेश के इटावा में देखने को मिल रहा है. यहां के आयुर्वेदिक अस्पताल ने नई दिल्ली स्थित एम्स से वापस लौटे एक मरीज को नया जीवन दिया है. नई दिल्ली स्थित एम्स ने गले की बीमारी से पीड़ित अमित नाम के मरीज को लाइलाज बीमारी बता कर घर वापस भेज दिया था. अमित की वह बीमारी आयुर्वेदिक दवाइयों से ठीक हो रही है. अब तक मरीज को काफी आराम मिला है और उन्हें फायदा मिलता जा रहा है. मरीज की बात मानें तो आयुर्वेदिक दवाइयां उसको जीवनदान देने जैसी देती हुई दिख रही हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल के प्रभारी डॉ.कमल किशोर कुशवाहा बताते हैं कि आयुर्वेदिक दवाइयां तब प्रभावी होती है जब एलोपैथिक दवाइयां निष्प्रभावी हो जाती हैं. इसका जीता जागता प्रमाण भी देखने को मिल रहा है कि एम्स जैसे बड़े संस्थान से जिसे लाइलाज बीमारी बताकर घर भेजा उस मरीज को आयुर्वेदिक दवा से खासा फायदा पहुंच रहा है. मरीज का जीवन सुरक्षित होता हुआ देख रहा है. कुछ साल पहले ही कोरोना काल में भी लोगों ने आयुर्वेद के महत्व को समझा और उसकी तरफ लोगों का रुझान भी बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार भी आयुर्वेद के जरिए लोगों की सेहत सुधारने और प्राकृतिक दवाओं से मरीजों के इलाज को प्रोत्साहन दे रही है. इसके लिये पूरे प्रदेश में आयुर्वेदिक अस्पताल खोले जा रहे हैं. इसी क्रम में इटावा जनपद में भी 8 आयुर्वेदिक चिकित्सालय खोले गए हैं. कोरोना काल मे जब एलोपैथी की दवाएं बेअसर हो रही थी उस समय आयुर्वेद ने लोगों को जीवनदान दिया. इटावा के आयुर्वेद चिकित्सालयों में भी प्रतिदिन बड़ी संख्या लोग इलाज कराने आ रहे हैं. पहले आयुर्वेदिक अस्पताल में दवा लेने वालों की संख्या 30 से लेकर के 50 हुआ करती थी. अब यह संख्या बढ़ कर 150 के ऊपर पहुंच गई है. आयुर्वेद जिला अस्पताल के प्रभारी डॉ.कमल कुशवाहा बताते हैं कि जब एलोपैथी फेल हो जाती है तब कई असाध्य रोग आयुर्वेद के जरिये ठीक किये जा सकते हैं. इस समय सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन दे रही है. इसके लिए आयुर्वेदिक अस्पतालों में सारी व्यवस्थाएं की जा रही हैं. पहले दवाईयां पाउडर या काढ़ा के रूप में आती थी लेकिन, अब अच्छी पैकिंग और गोली के रूप में आ रही हैं. गोली के रूप में आने वाली आयुर्वेदिक दवाईयों को खाने में मरीजों को आसानी होती है. कुशवाहा ने बताया कि आयुर्वेद के अस्पतालों में बड़ी मात्रा में दवाइयां आ रही है. एम्स से लौट कर आए मरीज भी यहां पर ठीक हो रहे हैं. इलाज कराने आए मरीज अमित कुमार ने बताया कि उनको गले में इन्फेक्शन की समस्या थी और उन्होंने एलोपैथी में 2 साल इलाज कराया. इटावा से लेकर दिल्ली तक के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इलाज किया लेकिन, लाभ नहीं हुआ तो डाक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी. अमित ने बताया कि उन्हें टीवी विज्ञापन और अन्य तरीके से आयुर्वेद के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने सरकारी आयुर्वेद अस्पताल में इलाज शुरू किया और अब 2 महीने बाद ही उनकी समस्या बिना ऑपरेशन के ठीक हो रही है. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 12:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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