हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है यह मंदिर दलित चेतना का भी जलाता है अलख
हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है यह मंदिर दलित चेतना का भी जलाता है अलख
इटावा के प्रसिद्ध कालिका मंदिर परिसर में एक ओर जहां मां काली विराजती हैं तो वहीं उसी आंगन में सैयद पीर बाबा का दरगाह भी है. यह मंदिर एकता और सौहार्द की मिसाल है. पीर बााबा के मजार पर चादर, कौड़ियां एवं बताशा चढ़ाया जाता है. मजार दुआ किए बिना किसी भक्त की मन्नत पूरी नहीं होती है. यहां श्रद्धालु अपनी मनौती मांगते हैं तथा कार्य पूर्ण होने पर प्रसाद चढ़ाते हैं.
इटावा. महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े उत्तरप्रदेश के इटावा जिला स्थित कालका देवी का एक ऐसा मंदिर है, जो हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही दलित पुजारी की तैनाती के कारण देश में दलित चेतना का अलख भी जगाता है. स्वर्ण नगरी के रूप में विख्यात रहे लखना कस्बे में ऐतिहाससिक कालिका देवी मंदिर है.
राजा जसवंत सिंह राव ने जब देखा कि दलितों को समाज में सम्मान नहीं दिया जाता है तो एलान किया था कि इस मंदिर का सेवक दलित ही होगा. तब से दलित परिवार के सदस्य मंदिर की सेवा में जुटे हैं. वर्तमान में मनराज सिंह मुख्य सेवादार हैं.
एक ही परिसर में है मंदिर और सैयद पीर बाबा का मजार
इस मंदिर के प्रांगण में एक ओर जहां मां काली विराजती हैं तो वहीं उसी आंगन में सैयद पीर बाबा का दरगाह भी है. यह मंदिर एकता और सौहार्द की मिसाल है. पहर बााबा के मजार पर चादर, कौड़ियां एवं बताशा चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि सैयद बाबा की दुआ किए बिना किसी भक्त की मन्नत पूरी नहीं होती है. मेले में दूर-दराज से आए श्रद्धालु अपनी मनौती मांगते हैं तथा कार्य पूर्ण होने पर ध्वजा, नारियल, प्रसाद व भोज का आयोजन श्रद्धाभाव से करते हैं. शरद नवरात्रि प्रारंभ होते ही कालिका शक्ति पीठ के दर्शन करने के लिए उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत देश के तमाम राज्यों से लोग आकर मां के दर पर दंडवत कर मनौतियां मनाते हैं. इस स्टेट के राजा जसवंतराव ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे तथा ब्रिटिश हुकूमत में अंग्रेज शासकों ने उन्हें सर तथा राव की उपाधि से नवाजा था.
इस वजह से राजा ने त्याग दिया था अन्न-जल
बीहड़ क्षेत्र के मुहाने पर स्थित इस मंदिर के राजपरिवार के लोग उपासक थे. राजा रोजाना पूजा-अर्चना के लिए जाते थे. बताया जाता है कि एक दिन राव साहब देवी मां की पूजा करने जा रहे थे. बरसात में यमुना नदी के प्रबल बहाव के चलते बाढ़ आ गई और मल्लाहों ने उन्हें यमुना पार कराने से इंकार कर दिया था. राजा देवी मां के दर्शन कर सके, जिसके चलते राजा साहब व्यथित हुए और अन्न-जल त्याग दिया. उनकी इस वेदना से मां द्रवित हो गई और शक्तिस्वरूपा का स्नेह अपने भक्त राव के प्रति टूट पड़ा. रात को अपने भक्त को सपने में दर्शन देकर कहा कि स्वयं इसी राज्य में रहूंगी और मुझे श्लखना मैया के रूप में जाना जाएगा.
राजा ने बनवाया था तीन मंजिला मंदिर
इस स्वप्न के बाद राव साहब उसके साकार होने का इंतजार करने लगे. तभी अचानक उनके कारिंदों ने बेरीशाह के बाग में देवी के प्रकट होने की जानकारी दी. सूचना पर जब राव साहब स्थल पर पहुंचे तो देखा कि पीपल का पेड़ धू-धू कर जल रहा है और चारों ओर घंटों की आवाज गूंज रही थी. जब दैवीय आग शांत हुआ तो उसमें से देवी का नवरूप प्रकट हुआ, जिसे देखकर राव साहब आह्लादित हो गए. उन्होंने वैदिक रीति-रिवाज से मां के नवरूपों की स्थापना कराई और 400 फीट लंबा व 200 फीट चौड़ा 3 मंजिला मंदिर बनवाया. जिसका आंगन आज भी कच्चा है, क्योंकि इसे पक्का ना कराने की वसीयत की गई थी. कालिका देवी का मंदिर मुगल काल से हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है.
9 सिद्धपीठों में शामिल है यह मंदिर
यह मंदिर 9 सिद्धपीठों में से एक है.और इस मंदिर का एक पहलू यह है कि परिसर में सैयद बाबा की दरगाह भी स्थापित है और मान्यता है कि दरगाह पर सिर झुकाए बिना किसी की मनौती पूरी नहीं होती. यह नगरी एक समय कन्नौज के राजा जयचन्द्र के क्षेत्र में थी, लेकिन बाद में स्वतंत्र रूप से लखना राज्य के रूप में जानी गई. मान्यताओं के अनुसार दिलीप नगर के जमींदार लखना में आकर रहने लगे थे. आकाशवाणी के संवाददाता मनोज तिवारी बताते है कि मंदिर करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्थाओं का केंद्र है. इस मंदिर में दर्जनों दस्यु सम्राटों ने ध्वज पताका चढाया है. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, पंडित मोतीलाल नेहरू और भारत के सुप्रसिद्ध वकील तेज बहादुर सप्रू आदि ने मां के दरबार में आकर दर्शन किया है. वर्तमान में मां कालिका का मेला लगा है तथा भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं.
Tags: Dharma Aastha, Etawah news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 19:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed