पशुओं के गर्भावस्था के दौरान पशुपालक इन बातों का रखें ध्यान नहीं होगा नुकसान
पशुओं के गर्भावस्था के दौरान पशुपालक इन बातों का रखें ध्यान नहीं होगा नुकसान
रायबरेली जिले के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के पशु चिकित्सा अधीक्षक डॉ इंद्रजीत वर्मा (एमवीएससी वेटनरी) बताते हैं कि पशुपालक किसान पशुओं की गर्भावस्था के दौरान उनका विशेष ध्यान रखें.
सौरभ वर्मा/ रायबरेली: हमारे देश की 80% आबादी खेती पर ही निर्भर है. लोग खेती के साथ ही अपनी आय बढ़ाने के लिए पशुपालन का काम भी कर रहे हैं. किसान बकरी, मुर्गी, सूअर पालन के साथ ही गाय, भैंस का पालन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. पशु पालन धीरे-धीरे ग्रामीण भारत के साथ ही शहरी क्षेत्रों में बिजनेस का रूप ले रहा है. अब किसान के अलावा पढ़े-लिखे युवा भी गाय, भैंस, बकरी पालन में रुचि ले रहे हैं. देश में आपको हजारों की संख्या में पढ़े-लिखे युवा मिल जाएंगे, जो अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर गाय, भैंस, बकरी पालनकर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. परंतु पशुपालन का काम करने वाले किसानों को पशुओं के गर्भावस्था के दौरान खास ख्याल रखना चाहिए. क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही पशुओं पर भारी पड़ सकती है. तो आइए पशु विशेषज्ञ से जानते हैं पशुपालक किसान पशुओं के गर्भावस्था के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखें, जिससे पशुओं को इस दौरान किसी किसी भी प्रकार का खतरा न रहे.
रायबरेली जिले के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के पशु चिकित्सा अधीक्षक डॉ इंद्रजीत वर्मा (एमवीएससी वेटनरी) बताते हैं कि पशुपालक किसान पशुओं की गर्भावस्था के दौरान उनका विशेष ध्यान रखें. क्योंकि इस दौरान तुम्हें काफी दिक्कतें होती है. खासकर गाय, भैंस, बकरी का पालन करने वाले किसान पशुओं के गर्भ धारण करने से लेकर बच्चा देने तक खास ख्याल रखना चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान
लोकल 18 से बात करते हुए डॉक्टर इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि पशु की गर्भावस्था के दौरान किसान इन बातों का विशेष ध्यान रखें.
पोषण: गर्भवती पशु को संतुलित और पौष्टिक आहार दें जिसमें प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स शामिल हों.हरा चारा और सूखा चारा दोनों ही महत्वपूर्ण हैं.
पानी: ताजे और साफ पानी की हमेशा उपलब्धता होनी चाहिए.स्वच्छता: पशु का रहने का स्थान साफ-सुथरा और सूखा रखें.इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.
टीकाकरण: समय पर टीकाकरण कराएं और पशु चिकित्सक से नियमित जांच कराते रहें.
व्यायाम: पशु को हल्का व्यायाम करने दें. ताकि उसका शरीर सक्रिय रहे.
विश्राम: गर्भवती पशु को आराम करने के लिए पर्याप्त स्थान दें.
चिकित्सकीय देखभाल: किसी भी समस्या के लक्षण दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
तनाव कम करें: पशु को किसी भी प्रकार के तनाव से बचाने की कोशिश करें.
पर्यवेक्षण: पशु की दिनचर्या पर निगरानी रखें ताकि किसी भी प्रकार की असामान्यता को जल्दी पहचाना जा सके.
जन्म के समय: जब जन्म का समय यानी की पशु के बच्चा देने के बाद समय से जेर नहीं निकलती है. बिल्कुल भी परेशान ना हो . अपने पशु विशेषज्ञ से संपर्क करें जिससे उनकी इस समस्या का आसानी से समाधान हो सके.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 29, 2024, 15:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed