कैसे बनें किसी मंदिर का महंत इन 4 चरणों में होता है चयन!
कैसे बनें किसी मंदिर का महंत इन 4 चरणों में होता है चयन!
महंत शशि कांत दास ने बताया कि महंत बनने के लिए सबसे पहले धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है. इसके लिए वेद, उपनिषद, भगवद गीता, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया जाता है. इसके अलावा, संस्कृत भाषा का ज्ञान भी अनिवार्य होता है.
अयोध्या : महंत बनने की प्रक्रिया जटिल और विशेष होती है, जिसमें शिक्षा, दीक्षा, और धार्मिक अनुशासन का पालन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अयोध्या के प्रसिद्ध महंत शशि कांत दास ने महंत बनने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से बताया है, जिसमें पात्रता, शिक्षा, और दीक्षा का महत्व शामिल है.
महंत शशि कांत दास ने बताया कि महंत बनने के लिए सबसे पहले धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है. इसके लिए वेद, उपनिषद, भगवद गीता, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया जाता है. इसके अलावा, संस्कृत भाषा का ज्ञान भी अनिवार्य होता है, ताकि धार्मिक शास्त्रों को सही से समझा जा सके.
गुरुकुल में इन बातों पर होता है विशेष ध्यान
महंत शशि कांत दास के अनुसार पारंपरिक रूप से महंत बनने की प्रक्रिया गुरुकुल प्रणाली के माध्यम से शुरू होती है. छात्रों को गुरुकुल में प्रवेश दिया जाता है, जहां उन्हें धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन, योग, और ध्यान की शिक्षा दी जाती है. यह शिक्षा वर्षों तक चलती है और इसमें संन्यास और ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है.
दीक्षा और गुरु का मार्गदर्शन
महंत शशि कांत दास ने बताया कि महंत बनने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया में दीक्षा प्राप्त करना शामिल है. दीक्षा का अर्थ है गुरु से धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करना. गुरु अपने शिष्य को धार्मिक संस्कारों और नियमों का पालन करने की दीक्षा देते हैं. दीक्षा के दौरान, शिष्य को मंत्र, तप, और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना सिखाया जाता है.
साधना और तपस्या का महत्व
महंत शशि कांत दास ने बताया कि महंत बनने के लिए साधना और तपस्या का विशेष महत्व होता है. शिष्य को कठोर तपस्या और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना होता है. इसके लिए वे एकांतवास, ध्यान, और योग साधना करते हैं. साधना के दौरान, शिष्य को मानसिक और शारीरिक शक्ति का विकास करना होता है.
पत्र की भूमिका
महंत शशि कांत दास ने बताया कि महंत बनने की अंतिम प्रक्रिया में पत्र का महत्व होता है यह पत्र एक प्रकार का आधिकारिक प्रमाण होता है, जिसमें गुरु द्वारा शिष्य को महंत पद देने की स्वीकृति दी जाती है. इस पत्र में शिष्य की तपस्या, साधना, और धार्मिक ज्ञान की प्राप्ति का वर्णन होता है.
मंदिर के महंत का कर्तव्य
महंत शशि कांत दास ने बताया कि महंत बनने के बाद, व्यक्ति को आश्रम या मंदिर की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. महंत का मुख्य कार्य धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन, भक्तों का मार्गदर्शन, और धार्मिक शिक्षा का प्रसार करना होता है. इसके अलावा, महंत को समाज सेवा, भंडारा, और अन्य धार्मिक कार्यों का संचालन भी करना पड़ता है.
Tags: Ayodhya News, Dharma Aastha, Local18, Religion 18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 15:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed