मानसून के साथ गर्मी से बचने के लिए बिलों में छुपे बैठे सांप पानी भर जाने के कारण बाहर निकलने लगते हैं. देश में सबसे ज्यादा सर्पदंश के मामले भी इसी समय आते हैं. ऐसे समय में सांपों पर चर्चा भी बढ़ जाती है. सांपों को लेकर हिंदी में कहावते भी खूब है. पढ़िए इन कहावतों के पीछे की कहानियां.
विकास नाम के एक लड़के को कथित तौर पर सात बार सांप काटने की खबरें डिजिटल प्लेटफार्म पर क्या चलीं, सांपों से जुड़ी खबरों और घटनाओं की भरमार हो गई. वैसे भी मानसून के इस दौर में देश के बहुत सारे इलाकों में सांप निकलने और सर्पदंश की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं. दरअसल, सांप आदम सभ्यता से ही मनुष्य के लिए रहस्य का विषय रहा है. सांपों के बारे में हम जितना भी जानते हैं उससे और जानने की इच्छा होती ही है. रंग-रूप आकार के साथ उसके चरित्र का गुण भी उसे कौतुहल का विषय रहता है. यही कारण है कि हिंदी में सांप को लेकर बहुत सारे मुहावरे भी बने हुए हैं. मसलन, कलेजे पर सांप लोटना, सांप को दूध पिलाना, आस्तीनों में सांप रखना, सांप सूंघ जाना यहां तक कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. या फिर भई गति सांप छछूंनर केरी…
इन कहावतों की कहानियां भी है. लेकिन सांप को मारना ठीक नहीं है. लोक में भी ये प्रचलित है-सांप को मारना नहीं चाहिए. आधुनिक विज्ञान भी यही सिखा रहा है कि सांप पूरे पर्यावरण के लिए बहुत उपयोगी जीव है. किसानों का मित्र है. चूहे खा कर फसल बचाता है. लिहाजा सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे वाली कहावत को महज कहावत के ही तौर पर लेना चाहिए.कायदा ये है कि अगर किसी को कहीं सांप दिखे तो वो इलाके के एफएसओ या वन विभाग के किसी कर्मचारी को सूचित करना चाहिए. उसके ट्रेंड लोग आकर सांप को सुरक्षित तरीके से पकड़ कर जंगली इलाके में उन्हें छोड़ देंगे. इससे सांप भी बच जाएगा और लाठी भी नहीं निकलेगी.
कलेजे पर सांप लोट गया
सांप को लेकर एक कहावत ये भी है कि कलेजे पर सांप लोट गया. दरअसल इस कहावत का इस्तेमाल दूसरे की तरक्की देख कर भयानक ईर्ष्या से भर जाना होता है. बातचीत में कलेजे का मायने दिल से भी लिया जाता है. यानी किसी के दिल पर अगर सांप लोट जाय तो उसकी हालत की कल्पना की जा सकती है. क्योंकि सांप को देखने भर से आदमी डर जाता है. अगर वो दिल जैसे नाजुक अंग से छू भी जाय तो निश्चित तौर पर सामान्य मनुष्य को बहुत कष्ट होगा.
आस्तीन में सांप पालना
फिर भी कुछ लोग अपने आस्तीन में सांप छुपा कर रखने के आदी होते हैं. वे अपने अंदर बहुत अधिक विद्वेष भरे रहते हैं. ऐसे लोगों को उनके ही अपने द्वेष से ही नुकसान हो जाता है. कहा जाता है कि कोई मदारी अपने आस्तीनों में सांप रखता था. उसे सांप काटता भी नहीं था. इस बात का उसे बहुत फख्र था. वो सोचता था कि सांप उसका पालतू है और उसे नहीं काटेगा. लेकिन मदारी की किसी हरकत से सांप को गुस्सा आ गया और उसने उसी को काट लिया.
सांप को दूध पिलाना
अगली कहावत भी इसी से जुड़ी है- सांप को दूध पिलाना. सांप को दूध नहीं पिलाना चाहिए. इसके मूल में ये है कि सांप के पास ऐसा दिमाग नहीं होता कि वो अपने हित करने वाले को याद रख सके. कहा जरुर जाता है कि मादा सांप अपने जोड़े को मारने वाले की फोटो अपनी आंखों में बसा लेती है और बदला जरूर लेती है. लेकिन है इसके ठीक उल्टा. सांप के दिमाग नहीं होता. बस इतना ही होता है कि उसे चलने और खाने, शिकार करने में मदद कर सके. मनुष्य उसका शिकार नहीं है, लेकिन अगर उसे किसी कारण से गुस्सा आ ही गया तो बिना हाथ पैर वाला ये जीव काट ही सकता है. काटा तो जहर असर करेगा ही. लिहाजा अगर आपने सांप को दूध पिलाया तो भी वो आपको अपना हितकारी मान कर आपको छोड़ ही दे ये जरूरी नहीं है. यहां ये भी बता देना जरूरी है कि सांप दूध पीता ही नहीं. अगर सपेरा जबरदस्ती उसके मुंह में दूध भर भी दे तो दूध को वो हजम नहीं कर सकता. बीमार हो सकता है, मर भी सकता है.
सांप सूंघ गया
सांप जैसा जीव देख कर ही बहुत सारे लोग डर जाते हैं. अगर उसने किसी को सूंघ ही दिया तो बेशक उसकी हालत बहुत खराब हो जाएगी. आखिरकार सांप की नाक जो उसके मुंह के ठीक ऊपर ही होती है. मतलब ये पता ही नहीं चलेगा कि सांप ने काटा या छोड़ दिया. ऐसी हालत में उसके बोलती बंद ही हो जाएगी. इसीलिए जब परिस्थिति बदलने से किसी की बोलती एकदम से बंद हो जाए तो कह देते हैं सांप सूंघ गया क्या?
भई गति सांप छछूंदर केरी
भई गति सांप छछूंदर केरी… ये हिंदी पट्टी में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे रोचक मुहावरा है. रामचरित मानस से लिया गया है. सांप बिल नहीं बना सकता. वो चूहे खाता है और उन्हीं के बिलों में अपना बसेरा भी करता है. चूहे के भ्रम में अगर उसने कभी छछूंदर मुंह में ले लिया तो वह बड़े संकट में पड़ जाता है. मान्यता है कि अगर वो छूछूंदर को निगल लिया तो अंधा हो जाएगा, छोड़ दे तो उसका आहार जाएगा. हालांकि वैज्ञानिक तौर पर छछूंदर सांप का आहार मानी जाती है.
क्षेत्रीय बोलियों में सांप को लेकर और भी कहावतें हो सकती है. इनकी वजह के बारे में बताते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक रामाशंकर कुशवाहा कहते हैं- “इन कहावतों के मूल में सांप का स्वभाव और उनको लेकर लोक में बसे रहस्य हैं. दूसरे तकरीबन सभी जीवों को आप पाल सकते हैं लेकिन सांप पालतू नहीं हो सकते. कुदरत ने उसे इतना सोचने की शक्ति ही नहीं दी है. वे डंस देते हैं और जहर से लोगों की जान भी चली जाती है. इसी कारण सांपों को लेकर ज्यादातर कहावतें नकारात्मक ही बनी है.”
एनसीइआरटी के प्रो. प्रमोद दुबे भी इनकी रहस्यात्मकता को रेखांकित करते हैं. वे कहते हैं – “काल यानि समय को भी सर्पाकार माना जाता है. योग में माना जाता है कि मानव चेतना की परम शक्ति कुंडलनी भी सर्पाकार ही कुंडली मारे बैठे रहती है.” उनके मुताबिक इस तरह के विश्वास इन्हें रहस्यमय बनाते हैं. वे ये भी कहते हैं कि नाग या सांप इतने रहस्यमय होते हैं कि भारत में तो नागवंशी राजपूत होते ही है, इजिप्ट में भी राजाओं के मुकुट पर नाग की आकृति बनी रहती थी. इस लिहाज से उनका सामाजिक बातचीत-व्यवहार में जिक्र होना ही था. ये और ये जिक्र उनके व्यवहार के अनुकूल है.
Tags: Cobra snake, Snake RescueFIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 13:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed