RG Kar Case: ममता की पार्टी में सिर फुटौव्वल अपनी ही सरकार पर नेता हमलावर
कोलकाता के आरजी कर कॉलेज डॉक्टर रेप मर्डर केस से टीएमसी के अंदर नाखुशी नाराजगी की खबरें हैं. सूत्रों के मुताबिक, तमाम सीनियर नेता चाहते हैं कि पार्टी नेता अभिषेक बनर्जी और एक्टिव हों, लेकिन उनकी चुप्पी सवालों के घेरे में है.
मतभेद की वजह
टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद यह साफ हो गया कि शहरी इलाकों में टीएमसी का प्रदर्शन खराब रहा है. तब अभिषेक बनर्जी चाहते थे कि पार्टी या प्रशासन में काम न करने वाले लोगों को हटाया जाए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तब से वे संसद और अपनी कंस्टीट्यूएंसी में तो काफी मुखर रहे हैं, लेकिन पार्टी के अंदर कम एक्टिव नजर आते हैं. सूत्रों का दावा है कि पार्टी की सीनियर लीडरशिप और सेकेंड लाइन लीडरशिप के एक वर्ग में हमेशा से मतभेद रहा है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि 2026 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को काफी मुश्किलें हो सकती हैं, क्योंकि 15 साल का एंटी इनकमबेंसी होगी. ऐसे में अभिषेक बनर्जी के करीबी नेता चाहते हैं कि सुशासन ही पार्टी को तब जिता पाएगा. प्रशासन के स्तर पर जो समस्याएं हैं, वो पार्टी को कमजोर कर रही हैं.
मीडिया से बात करते हुए अभिषेक बनर्जी ने मांग की है कि केंद्र सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिसमें सबूत होने पर ऐसे मामलों में अपराधी को फांसी दी जा सके. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि ये पोस्ट रणनीति के तहत नहीं की गई. टीएमसी नेता कुणाल घोष ने न्यूज18 से कहा, ‘हम चाहते हैं कि वो एक्टिव रहें.’ पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रशासन के गलत कदमों और वरिष्ठ नेताओं के व्यवहार के कारण वो नाराज हैं और इसी वजह से एक्टिव नजर नहीं आ रहे हैं.
आरजी कर मामले में टीएमसी नेताओं के बयान देखिए…
शांतनु सेन
सूत्रों के मुताबिक, टीएमसी नेता शांतनु सेन को आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से हमेशा दिक्कत रहती थी. अस्पताल के डॉक्टर इतने ताकतवर हो गए थे कि इस इलाके का जनप्रतिनिधि होने के बावजूद सेन को वो भाव नहीं मिलता था. इसलिए जैसे ही मामला सामने आया, डॉ. घोष ने सवाल उठाया. इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा कि कुछ जानकारियां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक नहीं पहुंच पातीं. लेकिन नतीजा क्या हुआ, इसके तुरंत बाद उन्हें प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया.
कुणाल घोष
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने सरकार पर तीखे हमले किए. कहा कि डॉ. संदीप घोष को उनके मौजूदा पद से हटा देना चाहिए. उन्होंने टीएमसी की तीन गलतियां गिनाईं. सबसे पहले, डॉ. घोष को बहाल नहीं किया जाना चाहिए था. दूसरे, अस्पताल को महिला के माता-पिता से बिना किसी दबाव के उचित तरीके से संवाद करना चाहिए था. जहां पर जूनियर डॉक्टर के साथ दरिंदगी की गई, वहां पर निर्माण कार्य नहीं शुरू करना चाहिए था. रविवार को कोलकाता में ईस्ट बंगाल बनाम मोहन बागान फुटबाल मैच को रोक दिया गया, क्योंकि पुलिस ने कहा था कि वह पर्याप्त बल नहीं दे सकती, घोष ने इस कदम की भी आलोचना की. उन्होंने पूछा, अगर कोई प्रदर्शन करने के लिए तख्तियां लेकर आता, तो उस पर कोई रोक नहीं. डर्बी को क्यों रोका गया?
I also demand justice in RGKar case.
But strongly oppose this demand regarding CP. After got information He has tried his best. Personally CP was doing his job and investigation was in a positive focus. This kind of post is unfortunate, that too from my senior leader. https://t.co/quLVsUEXCd— Kunal Ghosh (@KunalGhoshAgain) August 18, 2024
सुखेंदु शेखर रॉय
टीएमसी के एक और दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय भी घटना से आहत हैं. 14 अगस्त को जब महिलाएं न्याय के लिए प्रदर्शन कर रही थीं, तब वे अकेले ही धरने पर बैठ गए थे. उन्होंने इस घटना के बारे में गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा. अंत में उन्होंने एक्स पर लिखा और सीबीआई आर जी कर के प्रिंसिपल और कोलकाता कमिश्नर को हिरासत में लेकर पूछताछ करे. बाद में पुलिस ने उन्हें तलब कर लिया. कहा, आप भ्रामक खबरें पोस्ट कर रहे हैं. इस पर कुणाल घोष ने फिर एक्स पर लिखा, मैं भी आरजी कर मामले में न्याय की मांग करता हूं, लेकिन कोलकाता कमिश्नर को लेकर राय अलग है. निजी तौर पर, वो अपना काम कर रहे थे और जांच सकारात्मक दिशा में थी. इस तरह की पोस्ट दुर्भाग्यपूर्ण है, वह भी मेरे जैसे सीनियर नेता की तरफ से. इन सारे बयानों ने टीएमसी के अंदर मतभेद की खबरों को हवा दे दी है.
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