ठहरो जरा देर सही लेकिन झूम कर बरसेंगे बादल समंदर की सतह नहीं हो रही सर्द

La Nina Impact on Monsoon: मौसम विभाग के अनुसार ला नीना जलवायु पैटर्न विकसित होने की संभावना थी. जिससे अगस्त-सितंबर में भरपूर मानसूनी बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनती. लेकिन इसमें करीब एक महीने की देरी होने की संभावना है. हालांकि देर सही लेकिन झूमकर बादल बरसेंगे.

ठहरो जरा देर सही लेकिन झूम कर बरसेंगे बादल समंदर की सतह नहीं हो रही सर्द
नई दिल्ली: देश में सभी राज्यों में मॉनसून आ चुका है. कई राज्यों में भारी बारिश हो रही है. लेकिन अभी भी दिल्ली से लेकर कई राज्यों में मूसलाधार बारिश का बेसब्री से इंतजार हो रहा है. मौसम विभाग के अनुसार ला नीना जलवायु पैटर्न विकसित होने की संभावना थी. जिससे अगस्त-सितंबर में भरपूर मानसूनी बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनती. लेकिन इसमें करीब एक महीने की देरी होने की संभावना है. गुरुवार देर रात जारी अमेरिकी सरकारी मौसम एजेंसियों के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार, ला नीना अब सितंबर के आसपास आने की संभावना है, जो भारत के बारिश के मौसम का आखिरी महीना है. TOI की रिपोर्ट के अनुसार हालांकि, विशेषज्ञों को ला नीना में अनुमानित देरी के कारण जून-सितंबर के मौसम में मानसून की बारिश में कोई बड़ा झटका लगने की उम्मीद नहीं है. देश भर में मानसून अभी सामान्य से 3% कम है, लेकिन अगले दो हफ्तों में इस आंकड़े में सुधार होने की उम्मीद है. पढ़ें-ॉ वीकेंड पर घर में ही चाय-पकौड़े का लीजिए मजा, दिल्ली में झमाझम बारिश तो नोएडा में छाया घुप्प अंधेरा अमेरिका के राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) से संबद्ध एजेंसियों द्वारा अपडेट में अगस्त-सितंबर-अक्टूबर की अवधि में ला नीना के विकसित होने की 70% संभावना बताई गई थी, जिसे आमतौर पर सितंबर का महीना माना जाता है. नोट में कहा गया है कि अगस्त में ला नीना बनने की संभावना घटकर 48% रह गई है. समंदर की सतह गर्म बता दें कि पिछले महीने जारी पूर्वानुमान में, अगस्त के आसपास ला नीना के स्थापित होने की संभावना 65% थी. ला नीना की स्थिति में, पूर्व और मध्य प्रशांत महासागर में सतही जल सीमा तापमान से नीचे ठंडा हो जाता है, जिससे हवा के प्रवाह में संबंधित परिवर्तन होते हैं जो दुनिया भर के मौसम को प्रभावित करते हैं. यह स्थिति अल नीनो के विपरीत है, जहां असामान्य गर्मी होती है. एम राजीवन, अनुभवी मौसम विज्ञानी और केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव ने कहा ‘ला नीना आमतौर पर भारत में ग्रीष्मकालीन मानसून की बारिश में मदद करता है जबकि अल नीनो अक्सर इसे कम करता है. मॉनसून के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बात यह है कि नीनो 3.4 (प्रशांत क्षेत्र में) के रूप में ज्ञात क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान विसंगति शून्य से नीचे जाती है या नहीं. फिलहाल, यह शून्य से थोड़ा ऊपर है, लेकिन अगस्त तक इसके नकारात्मक क्षेत्र में गिरने की संभावना है. जब ऐसा होता है, तो मॉनसून आमतौर पर मजबूत हो जाता है.’ Tags: Monsoon news, Weather forecast, Weather UpdateFIRST PUBLISHED : July 13, 2024, 12:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed