चीन बॉर्डर तक जल्‍दी पहुंच सकेगी भारतीय सेना इस तरह की सड़क निर्माण से बचेगा समय बुधवार से होगी शुरुआत

जल्‍द ही भारतीय सेना को चीन बॉर्डर तक सड़क मार्ग तक पहुंचने में समय नहीं लगेगा. बॉर्डर तक रसद और सेना दोनों को कम समय में सुविधाजनक ढंग से पहुंचाया जा सकेगा. बॉर्डर इलाकों की सड़कें जल्‍दी जल्‍दी खराब न हों, इसके लिए इन्‍हें तारकोल के बजाए स्‍टील स्‍लैग से बनाया जाएगा. सड़क निर्माण के लिए स्‍टील स्‍लैग की पहली खेप बुधवार को जमशेदपुर टाटानगर से पूर्वोत्‍तर राज्‍य के लिए रवाना की जाएगी.

चीन बॉर्डर तक जल्‍दी पहुंच सकेगी भारतीय सेना इस तरह की सड़क निर्माण से बचेगा समय बुधवार से होगी शुरुआत
जमशेदपुर. जल्‍द ही भारतीय सेना को चीन बॉर्डर तक सड़क मार्ग तक पहुंचने में समय नहीं लगेगा. बॉर्डर तक रसद और सेना दोनों को जल्‍द पहुंचाया जा सकेगा. बॉर्डर इलाकों की सड़कें जल्‍दी-जल्‍दी खराब न हों, इसके लिए इन्‍हें तारकोल के बजाए स्‍टील स्‍लैग से बनाया जाएगा. सड़क निर्माण के लिए बुधवार को जमशेदपुर टाटानगर से स्‍टील स्‍लैग लेकर पहली मालगाड़ी अरुणाचल प्रदेश के लिए रवाना की जाएगी. पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में बारिश अधिक होने की वजह से तारकोल की सड़कें जल्‍दी खराब हो जाती हैं. इस वजह से सेना और रसद को बॉर्डर इलाकों में पहुंचाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. बॉर्डर इलाकों की सड़कें सुरक्षा से जुड़ी होती हैं, इसलिए इनका निर्माण स्‍वयं बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) करती है. ये सड़कें टिकाऊ बनें और जल्‍दी न टूटें, इसलिए बीआरओ ने इन सड़कों को स्‍टील स्‍लैग से बनाने का फैसला किया है. अरुणाचल प्रदेश में चीन बॉर्डर से लगी सड़कें रिसर्च संस्थान सीएसआईआर-सीआरआरआई की देखरेख में बनाई जा रही हैं. जमशेदपुर से स्‍टील स्‍लैग की पहली खेप आज होगी रवाना बॉर्डर इलाकों में सड़क बनाने के लिए स्‍टील स्‍लैग टाटा स्‍टील लिमिटेड जमशेदपुर उपलब्‍ध करा रहा है. बुधवार को स्‍टील स्‍लैग लेकर टाटानगर रेलवे स्‍टेशन से पहली मालगाड़ी ईटानगर अरुणाचल प्रदेश के लिए रवाना की जाएगी. इस मौके पर केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री डा. जितेन्‍द्र प्रसाद, केन्‍द्रीय स्‍टील मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया संबोधित करेंगे. इसके अलावा संस्थान रिसर्च सीएसआईआर-सीआरआरआई के निदेशक डा. मनोरंजन परिड़ा व प्रमुख वैज्ञानिक डा. सतीश पांडेय मौजूद रहेंगे. पहले हो चुका है सफल प्रयोग रिसर्च संस्थान CSIR-CRRI गुजरात में स्‍टील स्‍लैग रोड का सफल निर्माण कर चुकी है. सूरत से हजीरा पोर्ट की ओर जाने वाली 6 लेन की यह रोड स्‍टील स्‍लैग ( बचा हुआ चूरा) से बनायी गयी है. सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के प्रमुख साइंटिस्‍ट और स्‍लैग से बनी रोड प्रोजेक्‍ट के प्रमुख डा. सतीश पांडेय ने बताया कि स्‍लैग को प्‍लांट में प्रोसेस्‍ड कर उसे सड़क में इस्‍तेमाल करने लायक सामग्री में तब्‍दील किया गया है. इसके बाद इसे रोड निर्माण में इस्‍तेमाल किया जा रहा है. यह रोड पत्‍थर और पत्‍थर के मुकाबले अधिक मजबूत है. इतना ही नहीं, इसकी लागत भी सामान्‍य रोड के मुकाबले 30 फीसदी तक कम है. ये होंगे बड़े फायदे . सीआरआरआई के प्रमुख साइंटिस्‍ट डा. सतीश पांडेय बताते हैं कि इस रोड की थिकनेस 30 फीसदी तक कम की गई है. थिकनेस कम होने से कीमत कम है. इस तरह के मैटेरियल से निर्माण कर सड़क की लागत 30 फीसदी तक कम की जा सकती है. . स्‍टील स्‍लैग की रोड सामान्‍य रोड के मुकाबले अधिक मजबूत होती हैं. गुजरात में इस रोड से रोजाना 18 से 20 टन वजनी 1000 से 1200 वाहन रोज गुजर रहे हैं, पर रोड की क्‍वालिटी पर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ा है. . इस तरह की रोड का निर्माण कर प्राकृतिक संसाधान को बचाया जा सकता है. सामान्‍य रोड के निर्माण में पत्‍थर का इस्‍तेमाल होता है, इसके लिए खनन करना होता है. लेकिन स्‍टील स्‍लैग के इस्‍तेमाल से पत्‍थरों की जरूरत नहीं पड़ेगी. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Army, Indian army, North East, Railway, RoadsFIRST PUBLISHED : November 02, 2022, 06:06 IST