Opinion: हमारे टैक्‍स के पैसे से पुजार‍ियों-इमामों को सैलरी क्‍यों

द‍िल्‍ली में पुजार‍ियों और ग्रंथ‍ियों के ल‍िए अरविंद केजरीवाल ने पुजारी-ग्रंथी सम्‍मान का ऐलान क‍िया है. चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो इमामों की तरह ही उन्‍हें भी 18000 रुपये द‍िए जाएंगे. लेकिन सिर्फ द‍िल्‍ली में नहीं, अन्‍य राज्‍यों में भी इस तरह के ऐलान हुए हैं.

Opinion: हमारे टैक्‍स के पैसे से पुजार‍ियों-इमामों को सैलरी क्‍यों
द‍िल्‍ली के पूर्व मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पुजार‍ियों और ग्रंथ‍ियों को 18000 रुपये महीने सैलरी देने का वादा क‍िया है. ठीक इसी तरह आम आदमी पार्टी की सरकार इमामों को 18000 रुपये महीने भत्‍ता देती है. लेकिन केजरीवाल अकेले नहीं हैं. इस ल‍िस्‍ट में आंध्र प्रदेश, पश्च‍िम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना, हर‍ियाणा और मध्‍य प्रदेश समेत कई और राज्‍य हैं, जो इमामों और कहीं-कहीं पुजार‍ियों को सरकारी खजाने से वेतन दे रहे हैं. सवाल उठता है क‍ि हमारे टैक्‍स के पैसे से पुजार‍ियों और इमामों को सैलरी क्‍यों? संव‍िधान में भी इसे लेकर एक लाइन खींची गई है, तो फ‍िर उनकी क्‍यों नहीं सुनते? पहले तो जान‍िए पुजारी-ग्रंथी सम्‍मान योजना है क्‍या? केजरीवाल ने ऐलान क‍िया क‍ि दिल्ली के मंदिरों और गुरुद्वारों में सेवा कर रहे पुजारी और ग्रंथी को इस योजना के तहत 18 हजार रुपये हर महीने भत्‍ता द‍िया जाएगा. अगले द‍िन से रज‍िस्‍ट्रेशन का भी ऐलान कर द‍िया. इतना ही नहीं, उन्‍होंने बीजेपी और कांग्रेस को भी अपने राज्‍यों में ऐसी ही योजना ऐलान करने की चुनौती दी. बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा क‍ि इमामों को सैलरी दे रहे थे, जब हाईकोर्ट ने सवाल उठाया तो अब सियासी ऐलान कर रहे हैं. जनता ये सब समझती है. अन्‍य राज्‍यों में क्‍या मिल रहा है आंध्र प्रदेश : मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हर मंदिर को 10 लाख लाख और वहां के पुजारियों को हर महीने 15 हजार रुपये सैलरी देने का ऐलान क‍िया है. उन्‍होंने सैलरी 50 फीसदी बढ़ाने की घोषणा की थी. इतना ही नहीं, मंदिरों में काम करने वाले नाई को भी 25,000 रुपये और वेदपाठ करने वाले युवाओं को 3000 रुपये मास‍िक भत्‍ता देने का ऐलान क‍िया था. तेलंगाना: जुलाई 2022 से तेलंगाना में इमामों और मुअज्जिनों को हर महीने 5,000 रुपये मानदेय दिया जा रहा है. पश्चिम बंगाल: सरकार साल 2012 से ही यहां की मस्‍ज‍िदों में इमामों को हर महीने 2,500 रुपये भत्‍ता दे रही है. बिहार: सरकार हर साल 100 करोड़ रुपये का फंड वक्फ बोर्ड को देती है. वक्‍फ बोर्ड इमामों को सैलरी देते हैं. कर्नाटक: बड़े शहरों में इमाम को 20 हजार, नायब इमाम को 14000, मोअज्जिन को 14000 देने का प्रावधान है. उत्‍तर प्रदेश-उत्‍तरखंड: यहां सैलरी तो नहीं दी जाती, लेकिन ASI के अधीन आने वाले मस्‍ज‍िदों में इमामों को पैसे मिलते हैं. संव‍िधान की भी सुन‍िए संव‍िधान का अनुच्‍छेद 27 कहता है क‍ि किसी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म या धार्मिक संप्रदाय के प्रचार या रखरखाव के लिए कर या पैसा देने पर सरकार मजबूर नहीं है. एक धर्म के लोगों को देना और दूसरे धर्म के लोगों को नहीं देना भी यह अनुच्‍छेद गलत मानता है. और सबसे बड़ी बात, यह अनुच्छेद सुनिश्चित करता है कि करदाताओं के पैसे का उपयोग किसी विशेष धार्मिक एजेंडे को समर्थन देने के लिए नहीं किया जाएगा. लेकिन कोई भी सरकार संव‍िधान में ल‍िखी इस पव‍ित्र भावना को नहीं मानता दिखता. इसके पीछे कुछ न कुछ जोड़तोड़ कर ल‍िए जाते हैं. जैसे इमामों को सैलरी देने के ल‍िए वक्‍फ बोर्ड का रास्‍ता तलाश लिया गया है. सरकार वक्‍फ बोर्ड को पैसा देती है, और वहां से इमामों को द‍िया जाता है. द‍िल्‍ली का मामला तो कोर्ट में भी द‍िल्‍ली में 1106 इमाम और मौलवी को पैसे देने का मामला हाईकोर्ट भी चल रहा है. वहां सवाल खड़े क‍िए गए हैं क‍ि जब मौलवी को सैलरी दी जा सकती है तो पुजार‍ियों को क्‍यों नहीं. अब बीजेपी दावा कर रही है क‍ि द‍िल्‍ली सरकार को पुजारियों और ग्रंथियों को पैसे नहीं देने के मामले में 25 जनवरी को हाईकोर्ट में जवाब देना है. उससे बचने के ल‍िए ही केजरीवाल ने यह चुनावी कार्ड खेला है. बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दावा क‍िया क‍ि केजरीवाल ने 58 करोड़ 30 लाख 90 हज़ार रुपये इमामों में बांटा है. जब हाईकोर्ट ने उनसे सवाल पूछा तो अब पंड‍ितों की बात कर रहे हैं. Tags: Arvind kejriwal, Delhi ElectionsFIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 17:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed