मां को हराकर देश की राजनीति में मचाई सनसनी अब बदला लेने मैदान में उतरा बेटा
मां को हराकर देश की राजनीति में मचाई सनसनी अब बदला लेने मैदान में उतरा बेटा
Delhi Chunav: दिल्ली में अगले महीने विधानसभा चुनाव होना है. इसे देखते हुए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी सबकी निगाहें नई दिल्ली सीट पर टिकी हैं.
हाइलाइट्स नई दिल्ली विधानसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ कहलाती थी दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित यहां से चुनाव लड़ती थीं अरविंद केजरीवाल ने यहां से जीत हासिल कर तहलका मचाा दिया था
नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव आयोग की ओर से इसकी तैयारी पहले ही शुरू कर दी गई है. कुछ ही दिनों में तिथियों की घोषणा होने की संभावना है. दूसरी तरफ, राजनीतिक दलों ने अपने स्तर से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. चुनाव प्रचार अभियान अपने शबाब पर है. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस के नेता ताबड़तोड़ चुनाव रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. विकास कार्यों का श्रेय लिया जा रहा है और बयानबाजी भी होने लगी है. आप, बीजेपी और कांग्रेस की ओर से प्रत्याशियों की लिस्ट भी जारी कर दी गई है. दिल्ली के साथ ही पूरे देश की निगाहें एक बार फिर से नई दिल्ली विधानसभा सीट पर टिकी हैं. अरविंद केजरीवाल ने साल 2013 में पहली बार यहां से चुनाव लड़ा था. केजरीवाल ने कांग्रेस की दिग्गज नेता और दिल्ली में विकास की पर्याय बन चुकीं शीला दीक्षित को हराकर तहलका मचा दिया था. उस वक्त किसी ने यह नहीं सोचा था कि नई दिल्ली विधानसभा सीट से शीला दीक्षित को हराया जा सकता है. अब कांग्रेस ने दिवंगत शील दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को यहां से टिकट दिया है. बीजेपी ने परवेश वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में नई दिल्ली विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल सकता है.
नई दिल्ली विधानसभा सीट पहले गोल मार्केट सीट के तहत थी. परिसीमन के बाद यह नई दिल्ली विधानसभा सीट हो गई. यह सीट हमेशा से हाई-प्रोफाइल सीट रही है. कांग्रेस की दिग्गज नेता और दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं दिवंगत शीला दीक्षित यहां से चुनाव लड़ती थीं. नई दिल्ली विधानसभा सीट शीला दीक्षित के नाम से ही जानी जाती थी. इस तरह से यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. शीला दीक्षित ने यहां से 1998, 2003 (तब गोल मार्केट विधानसभा सीट) और 2008 में यहां से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में उतरीं और चुनावी जीत हासिल की. यहां से उन्हें अपराजेय माना जाने लगा था. साल 2011 के बाद केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सरकार के खिलाफ जबरदस्त जनाक्रोश पैदा हो गया था. इसका खामियाजा उस वक्त दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शील दीक्षित को भी भुगतना पड़ा.
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शीला दीक्षित का किला ध्वस्त
अन्ना हजारे की अगुआई में केंद्र सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी अभियान शुरू किया गया था. अरविंद केजरीवाल उस एंटी करप्शन मुहिम का प्रमुख चेहरा थे. साल 2013 में जब विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ तो अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. उनके इस ऐलान से राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैल गई थी. उस वक्त किसी को यह यकीन नहीं हुआ था कि बिना किसी राजनीतिके अनुभव के चुनाव मैदान में कूदे केजरीवाल मझी हुई राजनीतिज्ञ शीला दीक्षित को पटखनी दे सकते हैं. प्रचंड जनसमर्थन के सैलाब पर सवार अरविंद केजरीवाल ने तमाम राजनीतिक पंडितों के आकलन को झुठलाते हुए शीला दीक्षित को हरा दिया. साल 2013 के बाद अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली क्षेत्र से 2015 और 2020 में भी चुनाव जीते.
संदीप दीक्षित से कांग्रेस को उम्मीद
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है. पार्टी ने शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को नई दिल्ली विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. बड़ा सवाल यह है कि क्या संदीप दीक्षित आप नेता अरविंद केजरीवाल को हरा कर बदला ले सकेंगे. क्या वह कांग्रेस की विरासत समझी जाने वाली नई दिल्ली विधानसभा सीट को वापस अपने पक्ष में कर सकेंगे. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इस बार का चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए भी आसान नहीं रहने वाला है. बीजेपी ने इस बार यहां से फायरब्रांड नेता परवेश वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है. ऐसे में नई दिल्ली विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला देखने को मिल सकता है.
Tags: Arvind kejriwal, Delhi Elections, Delhi newsFIRST PUBLISHED : January 5, 2025, 23:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed