ये पहेली हल करो और जीतो 85 करोड़ का इनाम 100 साल से नहीं खोजा जा सका जवाब
ये पहेली हल करो और जीतो 85 करोड़ का इनाम 100 साल से नहीं खोजा जा सका जवाब
Indus Valley Script: आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की तमाम उपलब्धियों के बाद भी सिंधु घाटी की सभ्यता की लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सकता है. अब तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने इसे पढ़ने वाले को 10 लाख डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है.
चेन्नई. आधुनिक ज्ञान- विज्ञान की तमाम उपलब्धियों के बावजूद इस एक आसान पहेली को पूरी दुनिया के इतिहासकार आज तक नहीं सुलझा सके हैं. जी हां बात हो रही है सिंधु घाटी की सभ्यता की लिपि की. जिसको आज तक नहीं पढ़ा जा सका है. अविभाजित भारत के पंजाब और सिंध प्रांतों फैली सिंधु घाटी की सभ्यता की असली पहचान 1920 के दशक के शुरुआती काल में ही हो गई थी. मगर उसके बाद से करीब 100 साल बीतने के बावजूद उस लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है. इसके पढ़ने की काफी कोशिश की लिपि एक्सपर्ट और इतिहासकार लगातार करते रहे हैं.
अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने रविवार को कहा कि सिंधु घाटी लिपि एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है और उन्होंने इसे पढ़ने वाले को 10 लाख अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार देने की घोषणा की. सिंधु सभ्यता की खोज के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए स्टालिन ने कहा, ‘हम अब भी सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को स्पष्ट रूप से समझने में असमर्थ हैं.’
10 लाख डॉलर का पुरस्कार
उन्होंने कहा कि इसे समझने का विद्वान आज भी प्रयास कर रहे हैं और ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर इस लिपि की पहेली को सुलझाने वाले व्यक्तियों या संगठनों को 10 लाख अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार दिया जाएगा. सिंधु सभ्यता, जो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, अपनी शहरी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. इसकी लिपि को अब तक पढ़ा नहीं जा सका है.
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सिंधु घाटी की सभ्यता
सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेषों का सबसे पहले उल्लेख 7वीं शताब्दी में मिलता है. जब पंजाब के लोगों ने ईट बनाने के लिए मिट्टी की खुदाई की और उनको बनी-बनाई ईटें मिलने लगीं. इसे उन्होंने भगवान का वरदान माना. आधुनिक काल में सबसे पहले चार्ल्स मैसन ने इस सभ्यता के अवशेषों का उल्लेख किया था. मगर इसके बारे में व्यवस्थित अध्ययन 1920 के दशक में ही हो पाया. इसके बाद तो सिंधु घाटी के कई शहरों का पता चला, जिनमें-हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल और कालीबंगा शामिल हैं. मगर इसकी भाषा को अभी तक नहीं पढ़ा जा सका.
Tags: M. K. Stalin, MK StalinFIRST PUBLISHED : January 5, 2025, 22:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed