दिल्‍ली अब ढहाया जाएगा शिव मंदिर DDA को सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी

Prachin Shiv Mandir Demolition: हजरत निजामुद्दीन में मस्जिद और मदरसा के बाद अब गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को गिराने की तैयारी है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली हाईकोर्ट के फैसले में हस्‍तक्षेप करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने इसके साथ ही कई सवाल भी उठाए.

दिल्‍ली अब ढहाया जाएगा शिव मंदिर DDA को सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी
हाइलाइट्स सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- प्राचीन मंदिर के निर्माण की शुरुआत का प्रमाण कहां है? दिल्‍ली हाईकोर्ट ने प्राचीन शिव मंदिर एवं अखाड़ा समिति का दावा खारिज किया था DDA गीता कॉलोनी स्थित शिव मंदिर को गिराने की योजना तैयार कर चुका है नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्‍ली के हजरत निजामुद्दीन इलाके में मस्जिद और मदरसा के बाद अब गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को भी गिराने की तैयारी तेज हो गई है. यमुना नदी के डूब क्षेत्र में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को गिराने का रास्‍ता अब साफ हो गया है. मंदिर को बचाने सुप्रीम कोर्ट पहुंची समिति को जोरदार झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली हाईकोर्ट के फैसले में हस्‍तक्षेप करने से इनकार करते हुए उलटे कई सवाल खड़े कर दिए. दिल्‍ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने गीता कॉलोनी के समीप स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को गिराने का फैसला किया था. DDA के इस फैसले को पहले दिल्‍ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हालांकि, याची को कहीं से भी राहत नहीं मिली. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यमुना के डूब क्षेत्र के पास गीता कॉलोनी स्थित प्राचीन शिव मंदिर को गिराने के आदेश को बरकरार रखा है. जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की वेकेशन बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ‘प्राचीन मंदिर के निर्माण की शुरुआत का प्रमाण कहां है? प्राचीन मंदिर पत्थरों से बनाए जाते थे, न कि सीमेंट से और उस पर रंग-रोगन भी नहीं किया जाता था.’ सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही याचिका दायर करने वाली समिति की स्थिति पर भी सवाल उठा दिया और पूछा कि इस बाबत अर्जी दाखिल करने वाले आप कौन होते हैं? हजरत निजामुद्दीन में मस्जिद और मदरसा ढहाने की पूरी तैयारी, बचाने को दौड़े-दौड़े पहुंचे दिल्‍ली हाईकोर्ट फिर… क्‍या था दिल्‍ली हाईकोर्ट का आदेश दिल्‍ली हाईकोर्ट ने 29 मई को कहा था कि भगवान शिव को किसी के संरक्षण की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने यमुना नदी के किनारे अनधिकृत तरीके से बनाए गए मंदिर को हटाने से संबंधित याचिका में उन्हें (भगवान शिव को) पक्षकार बनाने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने गीता कॉलोनी में डूब क्षेत्र के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर को गिराने के आदेश को खारिज करते हुए कहा था कि अगर यमुना नदी के किनारे और डूब क्षेत्र से सभी अतिक्रमण और अनधिकृत निर्माण हटा दिए जाएं तो भगवान शिव अधिक खुश होंगे. याचिकाकर्ता का दावा याचिकाकर्ता प्राचीन शिव मंदिर एवं अखाड़ा समिति ने दावा किया था कि मंदिर आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र है और यहां नियमित रूप से 300 से 400 श्रद्धालु आते हैं. याचिका में दावा किया गया था कि मंदिर की संपत्ति की पारदर्शिता, जवाबदेही और जिम्मेदार प्रबंधन को बनाए रखने के लिए 2018 में सोसाइटी का पंजीकरण किया गया था. अखाड़ा कमेटी का दावा खरिज हाईकोर्ट ने कहा था कि विवादित भूमि व्यापक सार्वजनिक हित के लिए है और समिति (याचिकाकर्ता) इस पर कब्जा करने और इसका उपयोग जारी रखने के लिए किसी निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकती है. अदालत ने कहा था कि यह जमीन शहरी विकास मंत्रालय द्वारा अनुमोदित जोन-‘ओ’ के लिए क्षेत्रीय विकास योजना के अंतर्गत आती है. कोर्ट ने कहा था कि समिति भूमि पर अपने स्वामित्व, अधिकार या हित से संबंधित कोई भी दस्तावेज दिखाने में बुरी तरह विफल रही है और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मंदिर का कोई ऐतिहासिक महत्व है. Tags: Delhi developmet authority, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : June 14, 2024, 17:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed