पुरानी सड़कों के निर्माण से सड़क ऊंची और घर नीचे की समस्या से राहत मिलेगी सीआरआरआई ने ईजाद की नई तकनीक
पुरानी सड़कों के निर्माण से सड़क ऊंची और घर नीचे की समस्या से राहत मिलेगी सीआरआरआई ने ईजाद की नई तकनीक
शहरों के पुराने इलाकों में यह समस्या वहां रहने वाले लोगों को परेशान करती है कि जब जब सड़क बनती है तो वो ऊंचाी हो जाती हैं और नालियां और लोगों के घर नीचे हो जाते हैं. जिससे बारिश के मौमस में जलभराव की समस्या हो जाती है. सीएसआईआर और सीआरआरआई इस समस्या का समाधान कर दिया है. अब पुरानी सड़क का 60 फीसदी तक मैटेरियल दोबारा इस्तेमाल िकया जा सकता है, इससे निर्माण की लागत में भी कमी आएगी.
नई दिल्ली. पुरानी सड़कों के निर्माण के बाद सड़क ऊंची और घर नीचे होने की समस्या से राहत मिलेगी. सीएसआईआर और सीआरआरआई द्वारा विकसित की गयी नई तकनीक लोगों को इस समस्या से छुटकारा दिलाएगी. सड़क को उखाड़कर 60 फीसदी तक मैटेरयिल को दोबारा से इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसके अलावा लागत भी कम आएगी. सीआरआरआई ने नई तकनीक का इस्तेमाल कर पश्चिम बंगाल में नेशनल हाईवे तैयार किया है. यह पहला देश का पहला हाईवे है, जहां पर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
मौजूदा समय पुरानी सड़क टूटने पर उसके ऊपर नई सड़क का निर्माण कर दिया जाता है. इस तरह सड़क धीरे धीरे ऊंची हो जाती है और नालियां और आसपास के घर नीचे हो जाते हैं, जिससे इलाके में जलभराव की समस्या शुरू हो जाती है. इस परेशानी से राहत दिलाने केलिए सीएसआईआर और सीआरआरआई ने रेजूपेव नाम से नई तकनीक विकसित कर 60 फीसदी तक पुरानी सड़क के मैटेरियल को दोबारा से इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस तकनीक को विकसित करने वाले सीआरआरआई के प्रमुख वैज्ञानिक डा. सतीश पांडेय बताते हैं कि देश में अभी तक 30 फीसदी तक मैटेरियल को दोबारा से इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन नई तकनीक से 60 फीसदी तक मैटेरियल दोबारा से इस्तेमाल किया जा सकता है. सीआरआरआई ने पश्चिम बंगाल के नेशनल हाईवे 34 नई तकनीक का इस्तेमाल कर दोबारा से मैटेरियल का इस्तेमाल किया है. इस सड़क से रोजाना 5000 से 6000 व्यावसायिक वाहन गुजरते हैं. आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर) राज्य चुनें उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब दिल्ली-एनसीआर
'आफताब ने हमारी बहन के 35 टुकड़े किए, इसलिए हम उसके 70 टुकड़े करने आए थे' : हमलावर ने कहा
Ghaziabad News: गाजियाबाद में 1 से 5 लाख रुपये तक के करदाताओं को अब हाउस टैक्स जमा करने से मिली राहत, जानें क्यों
श्रद्धा वालकर मर्डर केस: आरोपी आफताब पूनावाला को ले जा रही पुलिस वैन पर तलवार से हमला, 2 हिरासत में
दिल्ली: महाठग सुकेश चंद्रशेखर ने एलजी वीके सक्सेना को लिखा पत्र, जेल प्रशासन पर धमकाने का लगाया आरोप
दिल्ली AIIMs से हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी में मांगे 200 करोड़ रुपये, छठे दिन भी डाउन रहा सर्वर
अगले साल शहर के प्रमुख रूटों पर दोड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें, जानें रूट
अरविंद केजरीवाल ने जनता का विश्वास खो दिया, भाजपा के प्रति लोगों में उत्साह: शिवराज सिंह
गुजरात के बाद दिल्ली एमसीडी के चुनाव प्रचार में उतरे शिवराज, बीजेपी के लिए मांगे वोट
दिल्ली-NCR में वसीयत को लेकर प्रताड़ना और दुर्व्यवहार झेलते हैं 39 फीसदी बुजुर्ग : सर्वे
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में खादी ने लोगों को खूब लुभाया, बिक्री का बना रिकार्ड
दिल्ली एमसीडी चुनाव 2022: बीजेपी का दावा- 250 वार्डों में से 170 पर मिलेगी जीत राज्य चुनें उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब दिल्ली-एनसीआर
वे बताते हैं कि इस तकनीक के इस्तेमाल से बनी रोड की लागत सामान्य के मुकाबले 40 फीसदी कम आएगी. इस तरह रुपये की बचत होगी. इसके साथ ही थिकनेस अधिक होने से मजबूत भी अधिक होगी. इस तकनीक का पायलट प्रोजेक्ट एनएच 34 पर किया गया है. इस तकनीक के अन्य फायदे भी हैं.
पूरी तरह से इको फ्रेंडली यह तकनीक पूरी से इको फ्रेंडली है. तकनीक बॉयो आयल पर आधारित है.
प्राकृतिक संसाधन संरक्षित करने में मददगार
तकनीक प्राकृतिक संसाधन को संरक्षित करने में मददगार होगी. मौजूदा समय तारकोल को आयात किया जाता है. लेकिन इस तकनीक से तारकोल का स्तेमाल कम किया जा सकता है. सड़क निर्माण में पत्थरों को तोड़कर गिट्टियां बनाई जाती हैं, लेकिन तकनीक की मदद से दोबारा मैटेरियल इस्तेमाल प्राकृतिक संसाधनों को बचाया जा सकता है.
पूरी तरह से भारतीय तकनीक
यह तकनीक सीएसआईआर- सीआरआरआई और वर्मा इंडस्ट्ीज ने विकसित की है जो पूरी तरह से भारतीय है. यह स्वदेशी तकनीक आयात की जाने वाली तकनीक से के मुकाबले सस्ती भी है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी|
Tags: RoadsFIRST PUBLISHED : November 29, 2022, 09:08 IST