जज को न‍िबंध ल‍िखना चाह‍िए कोर्ट में स‍िंघवी ने क्‍यों दी यह दलील

Abhishek Manu Singhvi News:केजरीवाल के वकील अभ‍िषेक मनु सिंघवी ने दलीलें देते हुए कहा क‍ि जमानत की सुनवाई कैसी होनी चाहिए? इस बारे में गलत धारणा है. सिर्फ इसलिए कि इसमें राजनीतिक विरोध शामिल है और अगर जज द्वारा सभी मांगों का निपटारा नहीं किया जाता है, तो इससे ASG राजू को जज को बदनाम करने का अधिकार मिल जाता है.

जज को न‍िबंध ल‍िखना चाह‍िए कोर्ट में स‍िंघवी ने क्‍यों दी यह दलील
हाइलाइट्स सिंघवी ने कहा क‍ि ईडी पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है. निचली अदालत मे यह मामला पांच घंटे तक चला. राजू ने करीब 3 घंटे 45 मिनट का समय लिया: स‍िंघवी सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आप जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं: स‍िंघवी नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिली थी लेकिन शुक्रवार को हाई कोर्ट ने उनकी रिहाई पर रोक लगा दी. वह शराब घोटाला से संबंधित मनी लांड्रिंग मामले में जेल में हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में निचली अदालत के जमानत आदेश को चुनौती देते हुए शुक्रवार को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने जस्टिस सुधीर कुमार जैन और जस्टिस रविंदर डुडेजा की वेकेशन बेंच में याचिका लगाई, सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने रिहाई पर रोक लगा दी. एएसजी राजू ने कहा क‍ि मैं तत्काल रोक की मांग कर रहा हूं. आदेश कल 8 बजे सुनाया गया था. आदेश अपलोड नहीं किया गया है. हमारी बात निचली अदालत में नहीं सुनी गई. सीएम केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने स्टे लगाने की मांग का विरोध किया. सिंघवी ने कहा क‍ि सुप्रीम कोर्ट के दस फैसले हैं कि जमानत रद्द करना जमानत देने से बिल्कुल अलग होता है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि मामले की पूरी सुनवाई होने तक जमानत आदेश लागू नहीं किया जाएगा. ईडी के बारे में स‍िंघवी ने कोर्ट में क्‍या कहा? केजरीवाल के वकील अभ‍िषेक मनु सिंघवी ने दलीलें देते हुए कहा क‍ि जमानत की सुनवाई कैसी होनी चाहिए? इस बारे में गलत धारणा है. सिर्फ इसलिए कि इसमें राजनीतिक विरोध शामिल है और अगर जज द्वारा सभी मांगों का निपटारा नहीं किया जाता है, तो इससे ASG राजू को जज को बदनाम करने का अधिकार मिल जाता है. यह निंदनीय है, दुखद है. यह कभी भी सरकारी अधिकारी की ओर से नहीं होना चाहिए था. सिंघवी ने कहा क‍ि ईडी पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है. हर तर्क में पूरी तरह पक्षपात दिखता है. निचली अदालत मे यह मामला पांच घंटे तक चला. राजू ने करीब 3 घंटे 45 मिनट का समय लिया और फिर ट्रायल जज पर दोष लगाया गया क्योंकि उन्होंने हर कॉमा और फुल स्टॉप को दोहराया नहीं. सिंघवी ने हाईकोर्ट में दलील दी क‍ि ईडी को लगता है कि चूंकि सीएम का मामला है तो घंटों सुना जाना चाह‍िए और जज को न‍िबंध ल‍िखना चाह‍िए. उन्‍होंने कहा क‍ि अगर जज राजू जी की सभी दलीलों को आदेश में नहीं लिखे तो उन पर ही सवाल उठा दिए जाएंगे ये दुर्भाग्यपूर्ण है. स‍िंघवी ने बताया, क्‍यों नहीं दी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने जमानत? स‍िंघवी ने कहा क‍ि ईडी की दलील है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता के फैसले को पलटा नहीं है. इसलिए जमानत कभी नहीं दी जा सकती. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा और सुप्रीम कोर्ट जमानत नहीं, बल्कि गिरफ्तारी की वैधता पर सुनवाई कर रहे थे. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि मैं जमानत के बारे में नहीं बल्कि गिरफ्तारी के बारे में बात कर रही हूं. उन्‍होंने कहा क‍ि ईडी ने इस पहलू पर 20 मिनट से अधिक समय तक बहस की, लेकिन इस बिंदु का उल्लेख करना भूल गई. लेकिन जस्टिस स्वर्णकांता का फैसला अंतिम फैसला नहीं है. स‍िंघवी ने कहा क‍ि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आप जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं. मेरा प्रश्न यह है कि यदि जस्टिस शर्मा का निर्णय अंतिम था जैसा कि ईडी बता रही है तो सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वतंत्रता क्यों दी? दूसरा, यदि अवैध गिरफ्तारी की कार्यवाही को जमानत के साथ जोड़ा जा सकता है जैसा कि ईडी कर रहा है तो सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर जाने और अवैध गिरफ्तारी पर आदेश सुरक्षित रखने के बीच अंतर क्यों किया? केजरीवाल की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक जमानत रद्द करने के अलावा कुछ नहीं है. केजरीवाल के वकील सिंघवी ने कहा कि ईडी के पास कानून से बचने का नया तरीका है. सिंघवी ने कहा क‍ि ईडी कानून को दरकिनार करने की कोशिश कर रही है. जमानत मंजूर करना और जमानत रद्द करना दो अलग-अलग चीजें हैं. सिंघवी ने कहा क‍ि ईडी की नजर में किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता बहुत कम है. ईडी कानून को सिर के बल खड़ा करना चाहते हैं. निचली अदालत के फैसले पर रोक नहीं, बल्कि रोक से उन्हें वापस जेल जाना पड़ेगा. ईडी द्वारा बताई जा रही विकृतियां काल्पनिक हैं. यह कोई विकृतियां नहीं हैं. ट्रायल कोर्ट का यह सिर्फ एक अलग दृष्टिकोण भर है. क्‍या हुआ है अब तक? लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल को 21 दिन के लिए जमानत मिली थी. चुनाव समाप्त होते ही 2 जून को फिर से वो जेल चले गए थे. इससे पहले गुरुवार शाम आदेश सुनाए जाने के वक्त ईडी ने अनुरोध किया था कि क्या जमानत बांड पर हस्ताक्षर को 48 घंटे के लिए टाला जाय, ताकि आदेश को बड़ी अदालत में चुनौती दी जा सके. अदालत ने ईडी के आग्रह को खारिज करते हुए आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. अदालत ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर केजरीवाल की जमानत दी थी. इसके बाद शुक्रवार सुबह ईडी दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गई. Tags: Abhishek Manu Singhvi, Arvind kejriwal, DELHI HIGH COURTFIRST PUBLISHED : June 21, 2024, 16:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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