जब हाथी के ऊपर रखा गया संविधान नरेंद्र मोदी चले पैदल 2010 का वो किस्सा

PM Modi News: संविधान के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का सम्मान लगातार बढ़ता ही गया है. उन्होंने हमेशा ना सिर्फ संविधान को सबसे ऊपर अहमियत दी, बल्कि लोगों से भी इसका पूरी शिद्दत से पालन करने को कहा.

जब हाथी के ऊपर रखा गया संविधान नरेंद्र मोदी चले पैदल 2010 का वो किस्सा
नई दिल्ली. ‘संविधान के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा’ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां गलतियों के लिए कांग्रेस को कोसा, वहीं बताया कि किस तरह उन्होंने संविधान का मान रखा. वो संविधान लागू होने का 60वां साल था, तब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. उन्होंने भव्य ‘संविधान गौरव यात्रा’ निकाली और खुद पैदल चलते हुए उसकी अगुवाई की. मोदी आर्काइव की तरफ से ‘एक्स’ पर साझा किए गए एक पोस्ट में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है. पोस्ट में लिखा गया, “जब भारत ने अपने संविधान के 60 साल पूरे किए, गुजरात एक ऐतिहासिक उत्सव का गवाह बना – ऐसा उत्सव जो भारत में पहले कभी नहीं देखा गया था! 2010 में, पहली बार, संविधान के पवित्र ‘ग्रंथ’ को एक भव्य हाथी के ऊपर रखा गया, और एक भव्य ‘संविधान गौरव यात्रा’ निकाली गई. इस अद्वितीय जुलूस की अगुवाई उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री ने किया, जो संविधान की प्रतिकृति के नीचे पैदल चल रहे थे. वह नेता और कोई नहीं, बल्कि वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र थे.” When India marked 60 years of its Constitution, Gujarat witnessed a historic celebration—a celebration never seen in India before! In 2010, for the first time, the sacred ‘granth’ of the Constitution was placed atop a grand elephant, and a grand ‘Samvidhan Gaurav Yatra’ was… pic.twitter.com/Zez292diGV — Modi Archive (@modiarchive) December 14, 2024

यह संविधान गौरव यात्रा गुजरात के सुरेंद्रनगर में हुई थी. इसे खास बनाने वाली बात थी भव्य जुलूस, जिसमें संविधान की एक विशाल प्रतिकृति को एक हाथी के ऊपर रखा गया था. जी हां, एक हाथी! अब आप सोच रहे होंगे—हाथी क्यों? इसका प्रेरणा स्रोत इतिहास से है, महान राजा सिद्धराजा से, जो ज्ञान के प्रति अपनी भक्ति के लिए जाने जाते थे. तो चलिए, समय में पीछे चलते हैं…

कहा जाता है कि राजा सिद्धराज ने एक बार आचार्य हेमचंद्र द्वारा लिखित संस्कृत व्याकरण के ग्रंथ को अन्हिलवाड़ पाटण की सड़कों पर हाथी पर रखकर परेड करवाई थी. यह ज्ञान का सम्मान और उत्सव मनाने का एक भव्य तरीका था. इसी परंपरा से प्रेरित होकर तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने इसे आधुनिक संदर्भ में फिर से जीवित किया. ‘संविधान गौरव यात्रा’ के दौरान उन्होंने संविधान को हाथी पर रखकर परेड करवाई, जो इस पवित्र दस्तावेज़ के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है, जो भारत के लोकतंत्र की नींव है.

‘संविधान गौरव यात्रा’ के दौरान, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भीड़ को संबोधित किया और संविधान के महत्व पर जोरदार भाषण दिया. उन्होंने बताया कि कैसे दुनिया भारत के संविधान की ताकत और बुद्धिमत्ता की प्रशंसा करती है.

उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे सिर्फ इसकी प्रशंसा न करें, बल्कि इसके सिद्धांतों के अनुसार जीवन जिएं और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करें. वर्षों बाद, आज, लोकसभा के ‘संविधान पर चर्चा’ सत्र के दौरान, पीएम मोदी ने इस पल को फिर से याद किया.

उन्होंने संविधान की 60वीं वर्षगांठ, इसके मील के पत्थर और इसकी स्थायी विरासत पर विचार किया. जो यह दिखाता है कि वर्षों के दौरान, संविधान के प्रति पीएम मोदी का सम्मान और भी गहरा हो गया है.

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