ताइवान के चलते चीन और अमेरिका के बीच बढ़ गई है तल्खी जानें सैन्य मौर्चे पर कौन है ताकतवर
ताइवान के चलते चीन और अमेरिका के बीच बढ़ गई है तल्खी जानें सैन्य मौर्चे पर कौन है ताकतवर
America Vs China: समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक पीएलए की पूर्वी थिएटर कमान समुद्र क्षेत्रों में संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास करेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन और अमेरिका के बीच भी जंग जैसे हालात बन सकते हैं...
हाइलाइट्ससैन्य मोर्चे पर चीन अपनी ताकत लगातार बढ़ा रहा हैचीन ने अपने बेड़े में 348 कॉम्बैट शिप को शामिल किया हैएयरफोर्स के मोर्चे पर अमेरिका चीन से काफी आगे
नई दिल्ली. चीन और अमेरिका के बीच तल्खी बढ़ गई है. लगातार चीन की धमकियों के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी इस वक्त ताइवान की यात्रा पर है. चीन ने कहा है कि इससे द्विपीक्षय संबंधों पर ‘गंभीर असर’ पड़ेगा. उसकी सरकारी मीडिया ने कहा कि सेना उनकी यात्रा का मुकाबला करने के लिए ‘लक्षित’ अभियान चलाएगी. पेलोसी मंगलवार रात ताइपे पहुंची. वो ताइवान की यात्रा करने वाली पिछले 25 सालों में सबसे उच्च स्तर की अमेरिकी अधिकारी हैं.
बता दें कि चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है और कहता है कि वह उसे अपने में मिलाएगा. चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की पूर्वी थिएटर कमान ताइवान द्वीप के आसपास संयुक्त सैन्य अभियानों की एक सीरीज़ शुरू करेगी. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक पीएलए की पूर्वी थिएटर कमान समुद्र क्षेत्रों में संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास करेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन और अमेरिका के बीच भी जंग जैसे हालात बन सकते हैं. आईए एक नज़र डालते हैं दोनों देशों की ताकत पर…
सैन्य बजट
अमेरिका का सैन्य बजट पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है. दुनियाभर के कुल सैन्य बजट को अगर एक साथ जोड़ दिया जाए तो उसका 38 परसेंट हिस्सा अकेले अमेरिका का है. पिछले साल अमेरिका का सैन्य बजट 801 बिलियन डॉलर था. ये अमेरिका की जीडीपी का 3.5 फीसदी हिस्सा है. उधर सैन्य बजट के मामले में चीन दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 2021 में चीन का सैन्य बजट 293 बिलियन डॉलर था. ये चीन की जीडीपी का करीब 1.7 फीसदी है.
चीन बढ़ा रहा है अपनी ताकत
सैन्य मोर्चे पर चीन अपनी ताकत लगातार बढ़ा रहा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सैन्य ताकत को साल 2035 तक आधुनिकीकरण करने का आदेश दिया है. उनके अनुसार, चीन को एक ‘विश्व स्तरीय’ सैन्य शक्ति बनना चाहिए, जो 2049 तक “युद्ध लड़ने और जीतने” में सक्षम हो. इस साल जून में चीन ने फ़ुज़ियान विमानवाहक पोत को लॉन्च किया था. ये चीन में निर्मित अब तक का सबसे एडवाइंस युद्धपोत है.
नौसेना की ताकत
पूरी दुनिया में अगर नौसेना की ताकत की बात की जए तो फिर चीन ने अब अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 से लेकर अब तक चीन ने अपने बेड़े में 348 कॉम्बैट शिप को शामिल किया है. जबकि अमेरिका ने इस दौरान 296 कॉम्बैट शिप को अपने साथ जोड़ा है.अभी के लिए, अमेरिका कई नौसैनिक क्षमताओं में एक मजबूत बढ़त बनाए हुए है, जिसमें चीन के तीन में 11 विमान वाहक, और अधिक परमाणु-संचालित पनडुब्बियां, क्रूजर और विध्वंसक – या बड़े युद्धपोत हैं. लेकिन उम्मीद है कि चीन अपनी नौसेना का और अधिक विस्तार करेगा. अमेरिकी नौसेना ने भविष्यवाणी की है कि 2020 और 2040 के बीच, चीनी नौसेना के जहाजों की कुल संख्या में लगभग 40% की वृद्धि होगी.
लड़ाकू विमान में अमेरिका आगे
एयरफोर्स के मोर्चे पर अमेरिका चीन से काफी आगे है. आर्मफोर्स के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका के पास 12,930 एयरक्राफ्ट हैं, जबकि चीन के पास 430. अमेरिका के पास अटैक एयरक्राफ्ट की संख्या 566 है. जबकि चीन के पास सिर्फ 120 अटैक एयरक्राफ्ट हैं. अमेरिका के पास 334 ड्रोन और 4,741 हेलीकॉप्टर है. चीन यहां भी काफी पीछे है. चीन के पास सिर्फ 1,355 हीकॉप्टर और 151 ड्रोन हैं.
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Tags: America, China Army, China-TaiwanFIRST PUBLISHED : August 03, 2022, 13:21 IST