डोक्लाम में भारत से पिट चुका चीन अब तिब्बत में खुद को बना रहा ताकतवर
डोक्लाम में भारत से पिट चुका चीन अब तिब्बत में खुद को बना रहा ताकतवर
दो सालों से भारत (India) और चीन ( China) के बीच पूर्वी लद्दाख में विवाद जारी है. दो साल के भीतर भारत ने खुद को एलएसी पर ज़बरदस्त मजबूत किया तो वहीं चीन भी अपनी ताकत को बढ़ाने में जुटा रहा. चीन ने तिब्बत (Tibet) में एलएसी (LAC) के करीब सभी एयर बेस के रनवे की लंबाई को बढ़ाने काम तेज कर दिया है.
हाइलाइट्सचीन ने तिब्बत में अपनी सैन्य ताकत बढ़ाई एयरबेस को मजबूत और रनवे को बढ़ा रहा है चीन इस क्षेत्र में भारतीय वायुसेना से कमजोर है चीन
नई दिल्ली. पिछले दो सालों से भारत (India) और चीन ( China) के बीच पूर्वी लद्दाख में विवाद जारी है और उसे सुलझाने के लिये बातचीत का दौर भी चल रहा है. इसी दो साल के भीतर भारत ने खुद को एलएसी पर ज़बरदस्त मजबूत किया तो वहीं चीन भी अपनी ताकत को बढ़ाने में जुटा रहा. चीन के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि भारत से संख्या में ज़्यादा बड़ी एयरफ़ोर्स होने के बावजूद वह भारतीय वायुसेना के सामने कमजोर है. उसकी सबसे बड़ी वजह है तिब्बत के प्लॉटू की भौगोलिक स्थिति और वातावरण जिसके चलते उनके फाइटर जेट अपनी पूरी ताकत के साथ उड़ान नहीं भर सकते. चीन ने पिछले दो साल में इस समस्या का तोड़ भी निकाल लिया है. चीन ने तिब्बत में एलएसी के करीब अपने जितने भी एयर बेस हैं, उनके रनवे की लंबाई को बढ़ाने काम तेज कर दिया और ये काम पिछले दो साल नहीं बल्कि पिछले पांच साल पहले साल 2017 में डोक्लाम में भारतीय सेना के हाथों पिटने के बाद से ही शुरू कर दिया था.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में डोक्लाम विवाद के बाद से चीन ने अपनी वायुसेना की ताकत को एलएसी के करीब बढ़ाना शुरू कर दिया था. तिब्बत और शिंगजियान में 37 से ज़्यादा नए एयरपोर्ट और हैलिपोर्ट बनाए गए. उनमें से 22 तो ऐसे हैं जिन्हें ड्युअल इस्तेमाल यानी सैन्य और सिविल दोनों ऑप्रेशन के लिए किया जाना है. अकेले साल 2020 में ही 7 नए एयर फेसेलिटी और 7 एयरबेस को अपग्रेड कराना तेज कर दिया था. चीन के इन नए एयरबेस ने पीएलए के अतिरिक्त प्लेटफ़ॉर्म से एयर बॉर्न सर्वेलांस, स्ट्राइक और काउंटर स्ट्राइक की क़ाबिलियत को बढ़ाएगा. साल 2017 से 5 एयरपोर्ट को अपग्रेड किया जिनमें नए टर्मिनल, हैंगर और रनवे तैयार किए.
शिघास्ते टिंगरी एयरपोर्ट तो भारतीय सीमा से महज़ 60 किमी की दूरी पर
ये सभी पाँच एयरपोर्ट को सिविल और मिलेट्री ऑप्रेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. चीन के 4 नए एयरपोर्ट जिनमें 3 एयरपोर्ट लुंटसे ( Lhuntse Airport) नागरी बुरांग (Ngari-Burang) Airport और शिघास्ते टिंगरी ( Shigatse Tingri Airport ) एयरपोर्ट तो भारतीय सीमा से महज़ 60 किलोमीटर की दूरी पर है. इन नई फ़ैसिलिटी से चीनी पीएलए एयरफ़ोर्स उन कमियों को दूर कर रहा है जो कि इस इलाक़े में एयरबेस न होने के चलते झेल रहा था.
चीनी पीएलए के सर्फेस टू एयर मिसाइल कॉम्प्लेक्स को किया अपग्रेड
यही नहीं चीन ने तो 5 नए हैलिपोर्ट भी तिब्बत में तैयार किया है और 2 पुराने हैलिपोर्ट को भी विकसित किया गया है. इसी तरह से चीन ने शिंगजियान प्रांत में भी 2017 के बाद से 15 एयरपोर्ट को अपग्रेड किया है जिनमें से 7 को दोहरे इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया है. जिनमें होटन एयरपोर्ट सबसे अहम है जो कि एलएसी से महज 240 किलोमीटर की दूरी पर है. इस एयरबेस पर नया रनवे भी तैयार किया है. पुराने रनवे की लंबाई 2700 मीटर है और नए रनवे की लंबाई 3500 मीटर के आसपास बताई जा रही है. इस एयरपोर्ट से महज 5 किलोमीटर दूरी पर चीनी पीएलए के सर्फेस टू एयर मिसाइल कॉम्प्लेक्स को भी अपग्रेड किया है ताकी जंग के दौरान भारतीय वायुसेना के फाइटरों से इसके सुरक्षित रखा जा सके. ल्हासा गैंगर के रनवे की लंबाई क़रीब 4000 मीटर है और इसे ड्युअल इस्तेमाल के लिये तैयार किया जा चुका है. वहीं अरुणाचल प्रदेश के दूसरी ओर लुंजे काउंटी , निगिची एयरबेस शामिल हैं. निगिची एयरस्ट्रिप की लंबाई 3000 मीटर है जिसे 500 मीटर और बढ़ाया जा रहा है.
हाई ऑलटेट्यूड एरिया में जंग लड़ने का कोई अनुभव नहीं
खुफ़िया रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश के दूसरी ओर भी चीन लगातार लुंजे काउंटी में 4.2 किलोमीटर यानी 4200 मीटर लंबा नया रनवे तैयार कर रहा है. इसके लिए कंक्रीट सतह तैयार किया जा रहा है. साथ ही इस रनवे के समानान्तर एक सड़क भी तैयार की जा रही है. इस पूरे निर्माण में 22 छोटे-छोटे ब्रिज भी तैयार किए है. तिब्बत और शिंगजियान एरिया में 20 से ज़्यादा एयरपोर्ट और हैलिपोर्ट समुद्र तल से 3000 मीटर से ज़्यादा की ऊँचाई पर स्थित है. इनमें हाई एलिवेशन फेसेलिटी या तो बिलकुल नई है या फिर अपग्रेड है. इतनी हाई ऑलटेट्यूड से किसी भी फाइटर ऑप्रेशन के लिए फ़ुल लोड के साथ एयरक्रफ्ट को उड़ाना बहुत मुश्किल है क्योंकि यहाँ के वातावरण में एयर डेनसिटी कम होती है और जैसे-जैसे दिन बढ़ता है ये और कम हो जाती है. ऐसे में फ़ुल लोड एयरक्रफ्ट को छोटे रनवे से उड़ाना मुश्किल है. लिहाजा रनवे की लंबाई को बढ़ाया जाए ताकी हाई स्पीड से आसान टेकऑफ फ़ुल लोड फाइटर उड़ान भर सके. और एक बार उड़ान भरने के बाद रीफ्यूलर टैंकरों के ज़रिए एयर ऑप्रेशन को देर तक चलाया जा सके. बहरहाल शांति काल और युद्ध काल के दौरान ऑप्रेशन एक्टिविटी बिलकुल अलग होगी. चीन के फाइटर अभी हाई ऑलटेट्यूड एरिया में जंग लड़ने का कोई अनुभव नहीं है. लिहाजा चीन को इन सब का कितना फ़ायदा होगा ये अभी कहना थोड़ा मुश्किल है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: LAC India China, TibetFIRST PUBLISHED : August 09, 2022, 18:40 IST