डॉक्टर है या सौदागर नवजात बच्चों की फोटो डाल पूछ रहा- चाहिए तो मैसेज करो

Child Trafficking Racket: भारत में 50 करोड़ से ज्यादा लोग इंस्टाग्राम व अन्य सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल करते हैं. सोशल मीडिया अब बिजनेस प्लेटफॉर्म भी बन चुका है. यहां कपड़े, मसाले, खाने-पीने की चीजें, एक्सेसरीज आदि बेची-खरीदी जाती हैं. इसी मार्केट में एक गिरोह ऐसा भी है, जो खुलेआम नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त कर रहा है.

डॉक्टर है या सौदागर नवजात बच्चों की फोटो डाल पूछ रहा- चाहिए तो मैसेज करो
नई दिल्ली (Child Trafficking Racket). अखबारों व न्यूज चैनल्स पर बच्चे चोरी होने, गायब होने, बेचे जाने की खबरें आम होती हैं. अप्रैल में सीबीआई ने दिल्ली में एक रेड डाली थी. उसमें कई नवजात बच्चों को बचाया गया था. यह रेड दिल्ली के आस-पास यानी यूपी व पंजाब में भी चलाई गई थी. इसमें एक बड़े गिरोह के शामिल होने की आशंका जताई गई थी. इस गिरोह के सदस्य सोशल मीडिया के जरिए नवजात बच्चों की बोली लगाकर उन्हें बेचते थे. अफसरों की सूझबूझ से उन्हें अरेस्ट कर लिया गया था. लेकिन लग रहा है कि ऐसे मामले अभी थमे नहीं हैं. सोशल मीडिया अब सिर्फ फोटो, वीडियो या रील शेयर करने का माध्यम नहीं है. यहां बिजनेस ऑपरेट किए जाते हैं. लोग सोशल मीडिया के जरिए स्मॉल बिजनेस का व्यापक नेटवर्क बना रहे हैं. आम आदमी इस नेटवर्क के जाल में बुरी तरह से फंस चुका है. किसी प्रोफाइल पर लाख-दो लाख फॉलोअर्स देखते ही उसे ऑथेंटिक मान बैठते हैं. यह नेटवर्क इतना बड़ा है कि अब सोशल मीडिया पर बच्चों की खरीद-फरोख्त भी शुरू हो गई है. लेकिन क्या यह लीगल है? अगर कोई इस मामले में पकड़ा जाए तो उसकी सजा क्या है? जानिए सबकुछ. Child Trafficking Racket: इस जाल में कैद करती है बच्चे की तड़प किसी भी लड़की की शादी होते ही घर के बड़े उसे जल्दी मां बनने का आशीर्वाद जरूर देते हैं. बच्चा होने में कुछ सालों की देरी हो जाए तो पति-पत्नी के साथ ही उनके घरवाले, मोहल्ले वाले, समाज वाले और यहां तक कि अंजान लोग भी अपनी चिंता जाहिर करने लग जाते हैं. ऐसे में कपल दूसरे रास्तों की तरफ फोकस करने लगते हैं. कोई आईवीएफ का सहारा लेता है तो कोई बच्चा एडॉप्ट करने की कोशिश में जुट जाता है. भारत में बच्चा एडॉप्ट करना आसान नहीं है. इसलिए कई लोग शॉर्टकट वाले रास्ते पर चल पड़ते हैं और यही लोग ऐसे स्कैमर्स या रैकेट का शिकार बनते हैं. यह भी पढ़ें- बच्चों को कैसे लिया जाता है गोद? यहां जानिए कानून, फीस और पूरी प्रक्रिया Child Trafficking Cases: खुलेआम ढूंढ रहे हैं शिकार हाल ही में इंस्टाग्राम स्क्रॉल करते हुए मेरी नजर एक वीडियो पर पड़ी. वह वीडियो किसी हॉस्पिटल का था. उसमें एक डॉक्टर नवजात बच्चे को गोद में लिए हुआ था. कहने को यह बहुत आम था. आज-कल डॉक्टर्स सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव हैं और ड्यूटी के दौरान ऐसे वीडियो शेयर करते रहते हैं. लेकिन मेरी नजर इस वीडियो के कैप्शन पर अटक गई. इसमें लिखा था- बच्चे को एडॉप्ट करने के लिए जल्द से जल्द पर्सनल मैसेज में संपर्क करें. यह पढ़ते ही मैं ठिठक गई. मैंने उस इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर मैसेज किया और बच्चा एडॉप्ट करने की इच्छा जाहिर की. कमाल की बात है कि वहां से तुरंत जवाब भी आ गया. Baby Adoption Form: 50 हजार में तय हुई बात इंस्टाग्राम पर डॉ. उज्ज्वल कुमार ने बताया कि वह मुझे बच्चा दिलवा सकते हैं. इसके लिए उन्होंने मुझे एक मोबाइल नंबर पर संपर्क करने के लिए कहा. मैंने उस नंबर पर मैसेज किया तो वह बंद था. मैंने डॉ. उज्ज्वल कुमार को फिर से मैसेज किया तो उन्होंने एक दिन का इंतजार करने के लिए कहा. साथ ही यह भी बताया कि उस नंबर का मालिक फिलहाल दुबई में है. अगले दिन मेरी उस नंबर पर बात हुई. उस शख्स ने मेरा नाम और लोकेशन जैसी डिटेल्स मांगी. फिर कुछ दिन पहले पैदा हुए बच्चे का सौदा 50 हजार रुपये में किया. इसमें 20 हजार रुपये रजिस्ट्रेशन फीस भी शामिल है. Child Trafficking News: चैट का स्क्रीनशॉट लीगल काम की दी गारंटी जब मैंने उस शख्स से लीगल कॉम्प्लिकेशन पर बात की तो उसने मुझे बेफिक्र रहने के लिए कहा. उसने बताया कि 20 हजार रजिस्ट्रेशन फीस का मतलब है कि सबकुछ लीगल तरीके से किया जा रहा है. उसने मुझसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, घर का पूरा पता और रजिस्ट्रेशन फीस जल्द से जल्द जमा करने के लिए कहा (क्योंकि बच्चे को एडॉप्ट करने के लिए लोगों ने पहले से नंबर लगा रखा था). उसने कहा कि पेपर वर्क कंप्लीट होते ही मैं बच्चे को एडॉप्ट कर सकती हूं. फिर कोई पूछे तो मैं पेपर दिखाकर बच्चे को अपना बता सकती हूं. साथ ही यह भी बताया कि हॉस्पिटल का ओरिजिनल सर्टिफिकेट मिलेगा. बढ़ रहे हैं चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले उस शख्स ने इंस्टाग्राम पर अपना अकाउंट डॉक्टर के नाम से बनाया है. सर्जरी और मांओं की डिलीवरी के वीडियो शेयर करता है. 1 लाख से ज्यादा लोग उसे फॉलो कर रहे हैं. यह अकाउंट काफी ओरिजिनल लगता है और शायद इसीलिए भोले-भाले या बच्चे के लिए बेताब लोग उसका शिकार बन भी जाते होंगे. भारत में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले आम हैं. कभी बच्चे को किडनैप कर घरवालों से फिरौती मांगी जाती है. कभी उसके ऑर्गन निकालकर बेच दिए जाते हैं. कभी उसे दूसरे देशों में बेच दिया जाता है, कभी उससे भीख मंगवाई जाती है तो कभी दूसरे गलत कामों में लगा दिया जाता है. यह भी पढ़ें- क्या सिंगल पैरेंट बेबी को Adopt कर सकता है? जानिए क्या है देश में बच्चे को गोद लेने का नियम Adoption Process in India: एडॉप्शन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें? अगर आप बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो सोशल मीडिया के इस गंदे मायाजाल में फंसने के बजाय लीगल तरीका अपनाए. हो सकता है कि उसमें समय लग जाए लेकिन आप किसी भी तरह के स्कैम या क्रिमिनल एक्टिविटी में फंसने से बच जाएंगे. बच्चा एडॉप्ट करने के लिए सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) की वेबसाइट cara.nic.in पर ऑनलाइन आवेदन करें. इसमें अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, शादी प्रमाण पत्र और फिटनेस प्रमाण पत्र के साथ ही आय प्रमाण पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे. आवेदन करते समय होम विजिट के लिए एक एजेंसी चुन लें. वह एजेंसी जांच-पड़ताल के लिए घर आएगी. Adoption Laws In India: भारत में बच्चा गोद लेने के लिए नियम भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान नहीं है. इसमें काफी वक्त लग सकता है. लेकिन इस दौरान आपको धैर्य रखना होगा. जानिए भारत में कौन बच्चा गोद ले सकता है- 1- कानूनी तौर पर सिंगल पेरेंट या शादीशुदा जोड़े, दोनों ही बच्चे को गोद ले सकते हैं. शादीशुदा कपल लड़का या लड़की, किसी को भी गोद ले सकता है. सिंगल महिला किसी बच्चे को गोद लेना चाहती है तो वह लड़का या लड़की, दोनों में किसी को भी एडॉप्ट कर सकती है, लेकिन सिंगल पुरुष सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकता है. 2- अगर कोई शादीशुदा कपल बच्चे को गोद ले रहा है तो उनकी शादी को कम से कम 2 साल का समय होना चाहिए. 3- बच्चे और गोद लेने वाले पेरेंट्स की उम्र में कम से कम 25 साल का अंतर होना चाहिए. 4- गोद लेने वाले मां-बाप का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी है. यह बात प्रमाणित होनी चाहिए कि संभावित अभिभावकों को कोई जानलेवा बीमारी न हो और उनका कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड न हो. 5- अगर कोई कपल बच्चे को गोद लेना चाहता है तो इस फैसले में दोनों की सहमति होना जरूरी है. IPC Section 370- Human Trafficking: किसको, कितनी मिलेगी सजा अगर आप गैर-कानूनी तरीके से बच्चा एडॉप्ट करते हैं और बाद में पुलिस की गिरफ्त में आते हैं तो उस गिरोह के साथ ही आपको भी सजा हो सकती है. भारतीय कानून चाइल्ड ट्रैफिकिंग को लेकर काफी सख्त है. इसमें कोई राहत नहीं दी जाती है. ह्यूमन ट्रैफिकिंग को आईपीसी की धारा 370 के अंतर्गत रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अजय कुमार गुप्ता ने इस बाबत काफी जानकारी दी है. 1- चाइल्ड या ह्यूमन ट्रैफिकिंग के तहत इते लोगों को सजा होती है- (1) शोषण के उद्देश्य से तस्करी के काम को अंजाम देने के लिए (ए) लोगों की भर्ती करने वाला, (बी) उनको लाने-ले जाने वाला, (सी) आश्रय देने वाला, (डी) स्थानांतरण करने वाला, या (ई) तस्करी वाले बच्चे या मनुष्य को रिसीव करने वाला. 2- तस्करी इनमें से किसी भी तरीके से की जा सकती है- (ए) धमकाकर, (बी) जोर-जबरदस्ती करके, (सी) किडनैप करके, (डी) धोखेबाजी के जरिए, (ई) पावर का गलत इस्तेमाल करके, (एफ) भर्ती, परिवहन, आश्रय, स्थानांतरण, भुगतान का लाभ देने जैसे प्रलोभन का इस्तेमाल करके. 3- तस्करी का अपराध करने वाले शख्स को कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा. इसकी अवधि 7 साल से कम नहीं होगी. इसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा. 4- अगर अपराध में 1 से अधिक व्यक्तियों की तस्करी शामिल है तो वहां कम से कम 10 साल की अवधि का कठोर कारावास की सजा दी जाएगी. इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. 5- जिस अपराध में नाबालिग की तस्करी शामिल है, वहां कठोर कारावास का दंड मिलेगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी. इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाने के साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. 6- जहां अपराध में एक से अधिक नाबालिगों की तस्करी शामिल है, वहां कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि कम से कम 14 साल तक होगी. इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. 7- अगर किसी व्यक्ति को एक से अधिक अवसरों पर नाबालिगों की तस्करी के अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा. इसका मतलब है कि उस व्यक्ति को अपनी बची हुई उम्र जेल में बितानी होगी और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा. 8- जब कोई लोक सेवक या पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति की तस्करी में शामिल होता है तो ऐसे लोक सेवक या पुलिस अधिकारी को आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास होगा. साथ ही जुर्माना भी भरवाया जा सकता है. Disclaimer: इस बात का ध्यान रखें सोशल मीडिया पर नवजात बच्चों की सौदागरी का यह दावा फर्जी भी साबित हो सकता है. आज-कल ऑनलाइन ठगी के मामले बढ़ गए हैं. लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल कर उनके साथ फ्रॉड करना आसान है. ऐसे अकाउंट्स के बहकावे में न आएं. हो सकता है कि वह बच्चे के रजिस्ट्रेशन के नाम पर आपसे हजारों-लाखों रुपये वसूल ले और बाद में आपको हर जगह से ब्लॉक कर दे. इस तरह के मामलों में बहुत ज्यादा सुरक्षित रहने की जरूरत है. साथ ही अगर आपके घर में किसी बच्चे का जन्म हुआ है तो ट्रैफिकिंग से बचाने के लिए उसका खास ख्याल रखें. Tags: Child Rights, Child trafficking, Human traffickingFIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 16:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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